चण्डीगढ़, 15 सितम्बर : हरियाणा के परिवहन तथा खान एवं भू-विज्ञान मंत्री मूलचन्द शर्मा ने कहा कि यमुना नदी से गुरुग्राम और आगरा कैनाल में जाने वाले प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए परम्परागत तौर-तरीकों के साथ-साथ आधुनिक टेक्नॉलोजी का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए ताकि लोगों को प्रदूषित पानी से होने वाली जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके और खेतों की सिंचाई के लिए भी साफ पानी उपलब्ध हो सके।
श्री शर्मा आज यहां हरियाणा निवास में गुरुग्राम व आगरा कैनाल में प्रदूषित पानी के मुद्दे पर गठित कमेटी की एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस दौरान आगरा व गुरुग्राम कैनाल में प्रदूषित पानी को लेकर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में तीन कम्पनियों की तरफ से पानी साफ करने की टैक्नॉलोजी के सम्बंध में प्रस्तुतीकरण भी दिए गये। इन पर चर्चा के बाद परिवहन मंत्री ने अधिकारियों को इन कम्पनियों के साथ करार करने की संभावनाएं तलाशने के मकसद से अगली बैठक में पूरी तैयारी के साथ आने के निर्देश दिए।
बैठक में विधायक सत्य प्रकाश, आफताब अहमद, मामन खान, सीमा त्रिखा, राजेश नागर, प्रवीण डागर और दीपक मंगला सहित सात विधायकों ने शिरकत की। ये सभी विधायक प्रभावित जिलों पलवल, फरीदाबाद, गुरुग्राम और मेवात से आते हैं। इस दौरान विधायकों ने पानी के प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कई रचनात्मक सुझाव दिए।
बैठक में बताया गया कि यमुना नदी प्रदेश के यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत, फरीदाबाद और पलवल जिलों से होते हुए हरियाणा के कुल 179 किलोमीटर क्षेत्र से गुजरती है। यह नदी जिला सोनीपत के पल्ला गांव से दिल्ली में प्रवेश करती है और पल्ला से दिल्ली के जैतपुर तक 52 किलोमीटर कवर करती है। इसके बाद यह ओखला हैड के निकट जिला फरीदाबाद से पुन: राज्य में प्रवेश करती है। इस साल जनवरी से अगस्त माह तक किए गए पल्ला से गुरुग्राम कैनाल, बदरपुर तक पानी की गुणवत्ता के अध्ययन से पता चलता है कि हरियाणा से दिल्ली को साफ पानी जाता है परन्तु बदरपुर बॉर्डर तक पहुंचते-पहुंचते यह बुरी तरह से प्रदूषित हो जाता है।
इस दौरान यह भी जानकारी दी गई कि दिल्ली के क्षेत्र में 62 ड्रेन यमुना में जबकि 3 ड्रेन आगरा कैनाल में गिरती हैं। दिल्ली 3800 एमएलडी सीवेज जनरेट करती है जबकि इसके पास 2330 एमएलडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं और यह केवल 1575 एमएलडी ही उपचारित कर पाती है। इसी तरह, हरियाणा से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 11 प्रमुख ड्रेन यमुना में गिरती हैं ।
परिवहन मंत्री मूलचन्द शर्मा को बैठक में अवगत करवाया गया कि यमुना के साथ लगते 34 शहरों से 973 एमएलडी सीवेज निकलता है, जबकि 1052 क्षमता के 58 एसटीपी लगाए गए हैं। इन 34 शहरों में 1549 किलोमीटर की सीवर लाइन बिछाई जानी प्रस्तावित है, जबकि 24 शहरों में 1077 किलोमीटर सीवर लाइन बिछाई जा चुकी हैं। बाकी 10 शहरों में 472 किलोमीटर सीवर लाइन बिछाने का कार्य दिसंबर, 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है।
इसके अलावा, शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने गैर-अनुमोदित कालोनियों में सीवेज की निकासी या इसके दिशा-परिर्वतन के लिए एक कार्य योजना तैयार की है। इसके तहत, 129 स्थानों पर 72.53 एमएलडी का उत्सर्जन या दिशा-परिवर्तन किया जाना प्रस्तावित है। इसमें से 38 स्थानों पर 14.55 एमएलडी उत्सर्जन का दिशा-परिवर्तन किया गया है। इसके अलावा, 91 स्थानों पर 57.09 एमएलडी उत्सर्जन के दिशा-परिवर्तन दिसम्बर, 2020 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसी तरह, गुरुग्राम में लैग-1, लैग-2 और लैग-3 ड्रेनों में 138.7 एमएलडी उत्सर्जन की निकासी या दिशा-परिवर्तन किया जाना प्रस्तावित है।
हालांकि, फरीदाबाद, बेरी, इंद्री और पलवल जैसे शहरों में उपचारित क्षमता में 174.4 एमएलडी का अंतर है। इस अंतर को पाटने के लिए 145 एमएलडी के 19 एसटीपी लगाए जा रहे हैं और 369 एमएलडी क्षमता के 9 एसटीपी प्रस्तावित हैं। सोनीपत, रोहतक, पानीपत, बहादुरगढ़, गुरुग्राम और फरीदाबाद में 161.5 एमएलडी क्षमता के 14 सीईपीटी स्थापित किए गए हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 14 मार्च, 2018 को हरियाणा विधानसभा में गुरुग्राम-आगरा कैनाल में प्रदूषित पानी के सम्बन्ध में एक कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया था। इसके अनुसार 23 जुलाई, 2018 को तत्कालीन कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ की अध्यक्षता में गुरुग्राम, मेवात, फरीदाबाद और पलवल जिलों के विधायकों की एक कमेटी गठित की गई थी। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को इसका मेम्बर कन्वीनर बनाया गया था और पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और सिंचाई तथा कृषि विभागों के प्रधान सचिव को इसका सदस्य नामित किया गया था।
इसके बाद 16 जुलाई, 2020 को परिवहन मंत्री की अध्यक्षता में कमेटी का पुनर्गठन किया गया और गुरुग्राम, मेवात, फरीदाबाद और पलवल जिलों के विधायकों को सदस्य जबकि बोर्ड के सदस्य सचिव को इसका मेम्बर कन्वीनर बनाया गया। पिछली कमेटी के निर्णय के अनुसार शहरी स्थानीय निकाय और जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों को भी आमंत्रित किया गया।
बैठक में वन एवं वन्य प्राणी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक निगम, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेन्द्र सिंह, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के महानिदेशक अमित अग्रवाल, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन अशोक खेत्रपाल तथा सदस्य सचिव एस.नारायणन समेत सम्बंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।