गुरुग्राम : हरियाणा के राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने आज कहा कि स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद का जीवन भारत के जीवन का परिचायक है और उस तरह का सरल जीवन आज भी जीने की आवश्यकता है। उनको अनुकरणीय मानकर हम जीवन जीने की सीख ले सकते हैं।
प्रो. सोलंकी आज गुरुग्राम में डा. राजेंद्र प्रसाद की 132वीं जयंती के अवसर पर पुर्वांचल एकता मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में बिहार के बकसर से सांसद अश्वनी चौबे, बिहार के विधायक नीरज सिंह, गुरुग्राम के विधायक उमेश अग्रवाल, सोहना के विधायक तेजपाल तंवर तथा भाजपा नेता कुलभूषण भारद्वाज भी मौजूद रहे। राज्यपाल तथा बिहार के सांसद व उपस्थित सभी विधायको ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्वांजलि दी।
डा. राजेंद्र प्रसाद को सरल व्यक्तित्व का धनी बताते हुए प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि उन्होंने गांव में जन्म लिया और कोलकाता विश्वविद्यालय से कानून की पढाई करके देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति तक पहुंचे। डा. राजेंद्र प्रसाद अपनी विद्वता के बल पर संविधान सभा के अध्यक्ष रहे और भारतीय राष्ट्रीय कांगे्रस के अध्यक्ष चुने गए तथा हिंदी आंदोलन के अध्यक्ष रहे। इन पदो पर रहने केे बाद वे अंत में पटना के निकट सदाकत आश्रम में चले गए।
उन्होंने कहा कि उनका जन्म आज ही के दिन सन् 1884 में बिहार के एक किसान परिवार में हुआ था और वे 1963 में हमारे बीच से चले गए। वे 12 वर्षों तक देश के राष्ट्रपति रहे और उसके बाद उन्होंने स्वयं 1962 में अपने अवकाश की घोषणा की।
राज्यपाल ने कहा कि प्रत्येक जन को डा. राजेंद्र प्रसाद के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार की भावना की देश में आज जरूरत है वैसी भावना उन्हें आज के इस कार्यक्रम में देखने को मिली है और लगा है कि काम देश की एकता के लिए हो रहा है। इसके लिए उन्होंने पूर्वांचल एकता मंच को बधाई दी और कहा कि बिहार विद्वता और ज्ञान की खान है। वहां के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी विद्वता का लोहा मनवाया है।
उन्होंने कहा कि बिहार के लोग सबको एकता के सूत्र में बांधकर सुगंधित करने का कार्य कर रहे हैं, जिसे पूरे देश में फैलाने की जरूरत है। प्रो. सोलंकी ने कहा कि बिहार के जो लोग हरियाणा में आ गए हैं वे हरियाणा की एकता की भी चिंता करते हैं। इससे पूर्व बिहार से विशेष रूप से पधारे सांसद एवं पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे ने अपने विचार रखते हुए कहा कि डा. राजेंद्र प्रसाद महात्मा गांधी के प्रिय थे क्योंकि गांधी जी मानते थे कि राजेंद्र प्रसाद एक सच्चे इंसान हैं।
उन्होंने बताया कि डा. प्रसाद पंडित जवाहर लाल नेहरू के मंत्रालय में कृषि मंत्री रहे और सन् 1930 में बिहार रिलीफ कमेटी बनाकर भूकंप पीडि़तों की सेवा की। उस समय डा. प्रसाद के आह्वान पर आम जनता ने भूकंप पीडि़तों की सहायता के लिए 28 लाख रूपए की राशि एकत्रित करके उन्हें दी। श्री चौबे ने कहा कि पूर्वांचल एकता मंच भोजपुरी का मंच है और आज तक भोजपुरी को देश की 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री राजनाथ सिंह से पूर्वांचलियों का प्रतिनिधि मण्डल मिला था। अब भोजपुरी को 8वीं सूची में शामिल करने की सद्धांतिक रूप से सहमति बन गई है।
दैनिक जागरण गुरुग्राम के वरिष्ठ संवाददाता आदित्य राज ने भी इस मौके पर अपने विचार रखते हुए कहा कि पूर्वांचल एकता मंच कई सालो से डा. राजेंद्र प्रसाद की जयंती मना रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के दूसरे प्रदेशों में रह रहे लोग अपने आपको बिहार का ऐंबस्डर समझे और अपनी संस्कृति की स्मृद्ध परंपराओं की सुगंध वहां भी बिखेरें। उन्होंने डा. राजेंद्र प्रसाद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक प्रसंग सुनाया और कहा कि उनके आह्वान पर लोग खुलकर दान देने को तैयार हो जाते थे।
कार्यक्रम में पूर्वांचल एकता मंच के संजय सिंह व सत्येंद्र सिंह सहित सभी पदाधिकारियों ने राज्यपाल को स्मृति चिन्ह् भेंट किया। सालवान पब्लिक स्कूल के बच्चों ने प्रेरणादायक गीत प्रस्तुत किया। अंजना आर्य ने स्वागत गान गाया। इस अवसर पर भाजपा नेता कुलभूषण भारद्वाज, उपायुक्त टी एल सत्यप्रकाश, अतिरिक्त उपायुक्त विनय प्रताप सिंह, संयुक्त पुलिस आयुक्त वाई पूर्ण कुमार, पुलिस उपायुक्त दीपक सहारन सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।