नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सऊदी अरब की अध्यक्षता में हुई जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों (एफएमसीबीजी) की तीसरी बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान कोविड-19 महामारी संकट के बीच वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण के साथ ही साल 2020 के लिए अन्य जी20 वित्तीय प्राथमिकताओं पर भी बात की गई।
बैठक के पहले सत्र में वित्त मंत्री ने कोविड-19 से निपटने में जी20 कार्ययोजना के बारे में बात की, जिसका जी20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों ने 15 अप्रैल 2020 को अपनी पिछली बैठक में समर्थन किया था। जी20 कार्ययोजना में स्वास्थ्य प्रतिक्रिया, आर्थिक कदम, मजबूत और सतत रिकवरी और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय समन्वय के स्तंभों के तहत सामूहिक प्रतिबद्धताओं की एक सूची सामने रखी गई, जिसका मकसद महामारी से लड़ने में जी20 के प्रयासों में समन्वय स्थापित करना है। श्रीमती सीतारमण ने जोर देकर कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि यह कार्ययोजना प्रासंगिक और प्रभावी बनी रहे।
सीतारमण ने कार्ययोजना पर आगे बढ़ने के तरीकों के बारे में अपना दृष्टिकोण साझा किया और निकास रणनीतियों के स्पिल-ओवर इफेक्ट्स (असंबंधित घटना के कारण आर्थिक असर) से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समन्वय की जरूरत पर प्रकाश डाला। इस बात पर जोर देते हुए कि कार्ययोजना में यह प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है कि कोविड-19 संकट में कैसे अर्थव्यवस्थाएं अपने आपूर्ति पक्ष और मांग को संतुलित कर रही हैं.
सीतारमण ने अपने समकक्षों के साथ यह भी साझा किया कि भारत कैसे ज्यादा तरलता के लिए क्रेडिट योजनाओं, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण और रोजगार गारंटी योजनाओं के जरिए इस संतुलन को सुनिश्चित करने पर काम कर रहा है। वित्त मंत्री ने रिकवरी और विकास के लिए खासतौर से भारत के व्यापक आर्थिक पैकेज का जिक्र किया, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का करीब 10 प्रतिशत और 295 अरब डॉलर से अधिक है। इसके साथ ही सीतारमण ने रेटिंग एजेंसियों द्वारा क्रेडिट रेटिंग घटाने के उतार-चढ़ाव और नीतिगत विकल्पों पर इसके हानिकारक प्रभाव खासतौर से ईएमई के लिए, पर भी बात की।
बैठक के दूसरे सत्र में जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों ने सऊदी अरब की अध्यक्षता में जी20 वित्तीय ट्रैक डिलिवरेबल्स के घटनाक्रमों पर चर्चा की।
अपने संबोधन में सीतारमण ने ऐसे दो डिलिवरेबल्स की चर्चा की। पहला, सऊदी प्रेसिडेंसी के तहत महिलाओं, युवाओं और एसएमई के लिए अवसरों तक पहुंच बढ़ाना एक प्राथमिक एजेंडा है और इसके तहत जी20 द्वारा अवसरों तक पहुंच के लिए नीतिगत विकल्पों का एक मेन्यू तैयार किया गया है। मेन्यू में जी20 सदस्य देशों के अनुभवों को प्रस्तुत किया गया है जिनका उद्देश्य नीतियों से संबंधित है: युवाओं, महिलाओं, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और वयस्क कौशल और वित्तीय समावेशन। वित्त मंत्री ने उल्लेख किया कि इस एजेंडे का महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि महामारी ने सबसे कमजोर वर्गों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।
दूसरा, अंतरराष्ट्रीय कराधान के एजेंडे और डिजिटल कराधान से संबंधित चुनौतियों के समाधान का जिक्र करते हुए उन्होंने एजेंडे में प्रगति की बात करते हुए कहा कि यह जरूरी है कि सर्वसम्मति पर आधारित यह समाधान सरल, समावेशी और एक मजबूत आर्थिक प्रभाव के आकलन पर आधारित हो।
सत्र के दौरान, वित्त मंत्री ने महामारी से लड़ने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कुछ नीतिगत कदमों को भी साझा किया, जिनमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों को विशेष सहायता, ग्रामीण रोजगार गारंटी उपाय आदि शामिल हैं। श्रीमती सीतारमण ने इस बात का खासतौर से जिक्र किया कि कैसे भारत ने राष्ट्रव्यापी डिजिटल पेमेंट ढांचे (जो भारत ने पिछले पांच वर्षों में तैयार किया है) का दोहन कर प्रौद्योगिकी आधारित वित्तीय समावेशन को सफलतापूर्वक नियोजित किया है। इसके जरिए 420 मिलियन लोगों को उनके बैंक खातों में 10 अरब से ज्यादा नकदी बिना किसी के संपर्क में आए हस्तांतरित की गई। उन्होंने नवंबर 2020 तक कुल आठ महीनों के लिए 800 मिलियन से
ज्यादा लोगों को मुफ्त अनाज प्रदान करने के लिए तीव्र उपायों का भी उल्लेख किया।