जगदेवराम उरांव के 52 वर्षों के अथक प्रयास से करोड़ों वनवासियों को पहचान मिली : कृष्ण सिंघल

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अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष थे जगदेवराम उरांव

वर्ष 1968 में कल्याण आश्रम से शिक्षक के रूप में जुड़े थे उरांव

जगदेवराम उरांव का निधन दिल का दौरा पड़ने से हो गया था

वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा द्वारा आयोजित की गई श्रद्धांजलि सभा

हरियाणा प्रान्त संघ चालक पवन जिंदल ने उनके पदचिन्हों पर चलने की दी सीख

गुरुग्राम, 19 जुलाई :  राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर एस एस) के क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख कृष्ण सिंघल ने कहा है कि अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष दिवंगत जगदेवराम उरांव के 52 वर्षों के अथक प्रयासों से देश के करोड़ों वनवासियों को न केवल एक दूसरे से जुडने का मौका मिला, बल्कि उन्हें पहचान भी प्राप्त हुई .

उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष जगदेवराम उरांव का निधन दिल का दौरा पड़ने से 15 जुलाई को आश्रम के मुख्यालय जशपुर नगर में हो गया था । वे 72 वर्ष के थे। आश्रम से 3 कि.मी दूरी पर स्थित कोमोड़ो गाँव के वे निवासी थे तथा दो वर्षों से पेफड़े एवं हृदय संबंधी रोगों से पीड़ित थे।

श्री सिंघल वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा द्वारा आज अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष दिवंगत जगदेवराम उरांव को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आयोजित एक श्रद्धांजलि सभा में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि कल्याण आश्रम में जगदेवराम का प्रवेश 1968 में आश्रम द्वारा संचालित विधालय में शिक्षक के रूप में हुआ था। स्वर्गीय देशपाण्डे ने 1980 के दशक में कल्याण आश्रम के कार्य विस्तार हेतु भारत भ्रमण किया था तब संतत सहचारी के रूप में जगदेवराम उरांव भी साथ में थे। कल्याण आश्रम के उपाध्यक्ष के रूप में भी दीर्घकाल तक उन्होंने दायित्व का निर्वहण किया। बाद में उन्हें 1993 के कटक सम्मेलन के दौरान संगठन का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया।

 

इस अवसर पर हरियाणा प्रान्त संघ चालक पवन जिंदल ने अपने वक्तव्य में कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा के कार्यकर्ताओं को उरांव की कार्यशैली को अपने जीवन में उतरना चाहिए I  इससे पूर्व प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, मोहन भगवत व देश के अन्य मशहूर हस्तियों ने भी जगदेवराम उरांव को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है .

 

कार्यक्रम का आरम्भ जगदेवराम उरांव के जीवन वृत्त से हुई.  इसके पश्चात् उनके जीवन पर तैयार  चलचित्र को भी संभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। आज भिवानी स्थित आश्रम द्वारा संचालित  एकलव्य छत्रवास में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इसके पश्चात रोहतक में भी इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

 

वक्ताओं ने कहा कि कल्याण आश्रम के विविध कार्यक्रमों को सफल बनाने हेतु राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे रहकर नेतृत्व किया। जनजाति समाज के संदर्भ में ‘दृष्टी नीती पत्र’ को तैयार करने और प्रकाशित करने में उनकी सराहनीय भूमिका रही। जनजाति युवाओं के लिये खेल महोत्सव और खेल प्रतियोगिता का आयोजन प्रति वर्ष करने हेतु वे सतत प्रेरणा देते रहे। शबरी कुंभ, प्रयाग कुंभ और उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ के दौरान आयोजित जनजाति संस्कृतिक नृत्य का कार्यक्रम, झाबुआ में 2003 में हुई विशाल वनवासी सम्मेलन, भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के सहयोग से “जनजाति प्रतिमा एवं वास्तविकता” इस विषय पर आयोजित सेमिनार आदि उनके कार्यकाल में आयोजित किये गये विशेष उल्लेखनीय कार्यक्रम हैं ।

 

उरांव जनजाति के आस्था का केन्द्र रोहतासगढ़ के इतिहास को पुनर्जागरण करने और देश भर के उरांव जनजाति को एक सूत्र में बांधने का प्रयास भी जगदेवराम के नेतृत्व में हुआ। जनजाति समाज का सरना पर्व को सामूहिक रूप से मनाते हुये जनजाति समाज का स्वाभिमान जगाने के कार्य में भी वे अग्रणी थे और अंतिम समय तक इस कार्य में जुटे रहे।

 

उनके नेतृत्व में कई सेवा कार्य और राहत कार्य करने में कल्याण आश्रम सफल रहा है। अभी कल्याण आश्रम का काम देश के लगभग 500 जनजाति समूह तक फैला हुआ है। आश्रम के कार्य की पहुंच 50000 से अधिक गाँवों तक हो चुकी है। वर्तमान समय में प्रकल्पों की संख्या 20000 से अधिक हो गई है और देश के लगभग सभी प्रांतों के 14000 गावों में नियमित काम चल रहा है। इन सभी कार्यों का सारा श्रेय  जगदेवराम को जाता है।

 

इस कार्यक्रम का आयोजन वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के द्वारा किया गया. इसमें हरियाणा प्रान्त संघ चालक पवन जिंदल, प्रान्त संघ रक्षक बंसी लाल, वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा के अध्यक्ष रामबाबू सिंघल, उपाध्यक्ष महेन्दर नरेश, प्रान्त महा मंत्री सुरेंदर शर्मा, रमेश सिंघल, श्रीभगवान, प्रान्त प्रचारक विजय, प्रान्त कार्यवाह राकेश , व नगरीय कार्य प्रमुख जय भगवान के अतिरिक्त प्रान्त के सभी जिलों से प्रतिनिधियों ने भाग लिया .

 

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