गुरुग्राम, 21 जनवरी : हार्ट अटैक के बाद इलाज में मरीजों के हृदय को खून प्रदान करने वाली धमनियों में रूकावट की जांच करने की जरूरत रहती है। इसके लिए विशेष टेस्ट का उपयोग होता है जिसे इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा मरीज में किया जाता है । इन टेस्ट में शामिल है सीटी हार्ट स्कैन जिसकी लोकप्रियता बढ़ती पाई जा रही है । इससे एक खतरनाक ट्रेंड बढ़ रहा है जिससे उपचार को लेकर मरीज गुमराह हो रहे हैं। इससे टेस्ट पर अनावश्यक खर्च को बढ़ावा मिल रहा है और यहां तक कि मरीज के स्वास्थ्य पर भी जोखिम पैदा हो जाता है।
यह कहना है डब्ल्यू प्रतीक्षा हाॅस्पिटल, गुरुग्राम के सीनियर इन्वेंषनल कार्डियोलाॅजिस्ट एवं डायरेक्टर डॉक्टर संजीव चौधरी का। डॉक्टर चौधरी ‘अलट्र्स इन हार्ट अटैक मैनेजमेंट’ विशय पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने बताया, ‘जिन मरीजों को एंजियोग्राफी जांच कराने की सलाह दी जाती है, उनमें प्रत्येक 10 में से 6 मरीज हमसे सीटी हार्ट स्कैन करने को कहते हैं। वह सिर्फ इस बात पर जोर देते हैं कि उन्हें ऐसा कराने से किसी गंभीर प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा।’ उन्होंने कहा, ‘सीटी हार्ट स्कैन को लेकर इस गलत धारणा को दूर किए जाने की जरूरत है। मरीजों में हार्ट सीटी स्कैन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों, गैर-सीटी जांच की तुलना में इसकी उपयोगिता के बारे में सार्वजनिक जागरूकता का अभाव है।’
डॉक्टर चौधरी का कहना है, ‘पारंपरिक एंजियोग्राफी की तुलना में सीटी कोरोनरी एंजियोग्राम में दिल की धमनियों में ब्लाॅकेज की प्रतिषतता का अनुमान लगाने के लिए कम सटीक जानकारी मिलती है। जांच संबंधित इस अधूरी जानकारी से गलत उपचार की आषंका पैदा हो सकती है जो स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘हार्ट सीटी स्कैन कराने वाले मरीजों को डाई के रूप में चर्चित विपरीत सामग्री की भारी खुराक दी जाती है। इस डाई में केमिकल होते हैं जिससे किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। जोखिम तब ज्यादा गंभीर हो सकता है जब मरीज को किडनी की समस्या या सेजन और मधुमेह हो।’
डॉक्टर चौधरी बताया कि हार्ट सीटी स्कैन टेस्ट के समय मरीज तो अधिक रेडिएशन सामना करना पड़ता है ।
वह कहते हैं, ‘यदि मरीज का वजन ज्यादा हो या वह मोटापे से ग्रसित हो, तो रेडिएषन से उसके स्वास्थ्य को ज्यादा खतरा रहता है। रेडिएषन से कैंसर जैसी खतरनाक स्थिति को बढ़ावा मिल सकता है, हालांकि रेडिएषन की कम मात्रा की स्थिति में इसकी आषंका बेहद कम रहती है।’
डॉक्टर चौधरी ने कहा, ‘सीटी हार्ट स्कैन उन लोगों में हार्ट अटैक के संभावित खतरे का पता लगाने के लिए उपयुक्त हैं, जिनमें इस तरह के जोखिम की आषंका है, लेकिन कोरोनरी हार्ट डिजीज का रिकॉर्ड नहीं रहा है। छाती दर्द या हार्ट अटैक के मरीजों में, नाॅन-सीटी एंजियोग्राफी मरीजों के लिए सुरक्षित, प्रभावी और समय पर उपचार संकेत है।’
लेगों में जागरूकता से भारत में हृदय रोग, खासकर कोरोनरी हार्ट डिजीज (सीएचडी) के तेजी से बढ़ रहे मामलों के परिणामस्वरूप होने वाली मौतों, अपंगता और आर्थिक बोझ में कमी लाई जा सकती है। भारत के महापंजीयक के अनुसार, 2010-2013 में सीएचडी का कुल मौतों में 23 प्रतिषत और वयस्क मौतों में 32 प्रतिषत योगदान रहा। अध्ययनों से पता चला है कि भारत में षहरी आबादी में सीएचडी का प्रतिषत 9-10 प्रतिषत और ग्रामीण आबादी में 4-6 प्रतिषत है। डॉक्टर चौधरी का कहना है, ‘हम युवाओं में हार्ट अटैक के मामलों में तेजी देख रहे हैं। ऐसे मामलों में 25-30 प्रतिषत मरीज 40 साल से कम उम्र के, 5-6 प्रतिषत 30 साल से कम उम्र के होते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘भारत में सीएचडी के लिए प्रमुख जोखिम कारक डाइस्लीपीडाएमियास, धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, मोटापा, मनोसामाजिक तनाव, अस्वस्थ आहार, और षारीरिक निश्क्रियता हैं।’