चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर देश हित में है तथा यह देश की एकता व अखंडता की सुरक्षा को बचाए रखने के लिए ही है। कांग्रेस पार्टी इनका ठीक संदर्भ नहीं समझकर विरोध प्रदर्शन कर भ्रम पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा की जनता बधाई की पात्र है कि कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के बावजूद उन्होंने इसे शांतिपूर्ण ढ़ंग से निपटाया है। हरियाणा के लोगों में देशभक्ति व राष्ट्र हित पहले से ही रग-रग में बसा हुआ है।
यह जानकारी मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा मंत्रिमण्डल की बैठक के बाद यहां हरियाणा निवास में एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोंधित करते हुए दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा की जागरूक जनता ने इस विषय को बड़ी समझदारी के साथ लिया है और राज्य में कहीं से भी किसी प्रकार की भ्रांति, अशांति अथवा हिंसा की एक आवाज तक नहीं आई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गत अगस्त मास में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के साहसिक फैसले के बाद और भी कई ऐतिहासिक निर्णय किये हैं। देशहित में किये गये इन निर्णयों का दीर्घकालीन असर होने जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गत 11 दिसम्बर को हमारी संसद ने नागरिकता संशोधन विधेयक को स्वीकृति दी थी। इस विधेयक में पड़ोसी देशों से भारत में आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। पहले उनके लिए भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था। अब यह अवधि हटाकर पांच साल कर दी गई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में अब तक कुल 1500 आवेदन नागरिकता प्राप्त करने के लिए आए हैं, जिनमें एक मुस्लिम परिवार का आवेदन भी है। उन्होंने कहा कि अहमदिया मुस्लमानों के बारे भी गलत जानकारियां दी जा रही हैं। अहमदिया मुस्लमान राष्ट्रभक्त हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश संवैधानिक मुस्लिम देश हैं। वहां धर्म के नाम पर मुस्लिम उत्पीडि़त नहीं होते, इसलिए उन्हें इस कानून में शामिल नहीं किया गया है। इस अधिनियम में अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई को लाभ दिया है और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1947 में पाकिस्तान में जहां अल्पसंख्यकों की संख्या 23 प्रतिशत थी, वो 2011 में मात्र 3.7 प्रतिशत रह गई। इसी प्रकार, पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी, जो 2011 में 7.8 प्रतिशत हो गई। आखिर कहां गए ये लोग। तीनों देशों से धर्म के आधार पर प्रताडि़त होकर आए ऐसे लोगों को संरक्षित करना इस कानून का मूल उद्देश्य है। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत के अल्पसंख्यकों का इस कानून से कोई लेना-देना नहीं है। इसका उद्देश्य केवल उन लोगों को सम्मानजनक जीवन देना है, जो दशकों से पीडि़त थे। इसलिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक रूप से प्रताडि़त अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 लाना आवश्यक हुआ।
उन्होंने कहा कि 8 अप्रैल, 1950 को नेहरू-लियाकत समझौता, जिसे दिल्ली समझौते के नाम से भी जाना जाता है, में यह वादा किया गया था कि दोनों देश अपने-अपने अल्पसंख्यकों के हितों का ध्यान रखेंगे। किंतु पाकिस्तान समेत इन तीनों पड़ोसी देशों ने इस वादे को नहीं निभाया। भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं। भारत ने यह वादा निभाया और यहां के अल्पसंख्यक को सम्मान के साथ देश के सर्वोच्च पदों पर काम करने का अनुकूल वातावरण दिया। 1947 में जितने भी शरणार्थी आए थे, हमने उन सबको स्वीकार किया। पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह और पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी भी इनमें शामिल हैं। यहां तक वे स्वयं भी ऐसे शरणार्थियों में से एक हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 26 सितंबर, 1947 को महात्मा गांधी ने नूंह जिले के घासेड़ा गांव में एक सभा में खुले तौर पर कहा था कि, ‘पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू और सिख, हर नजरिए से भारत आ सकते हैं, अगर वे वहां निवास नहीं करना चाहते हैं। उस स्थिति में, उनके जीवन को सामान्य बनाना भारत सरकार का पहला कर्तव्य है।’
उन्होंने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 बना कर न केवल महात्मा गांधी जी के वचन का सम्मान करते हुये उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी गई है बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीडऩ के शिकार असंख्य विस्थापित शरणार्थियों को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस कानून को लेकर देश में कुछ राजनैतिक पार्टियां और संगठन भ्रांति फैला रहे हैं कि यह देश के नागरिकों विषेशकर मुसलमानों के हित में नहीं है। जब उन्हीं से पूछा जाता है कि क्या इसका कानून से भारत के मुसलमानों की नागरिकता समाप्त हो जाएगी तो वे बगलें झांकने लगते हैं। सच तो यह है कि यह कानून मुसलमानों सहित किसी भी भारतीय के हित से खिलवाड़ नहीं करता।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि देश में आए शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम पहली बार नहीं हो रहा है। विभिन्न देशों को उस समय की समस्या के आधार पर प्राथमिकता दी गई और वहां के लोगों को नागरिकता प्रदान की गई। वर्ष 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने बांग्लादेश से आए लोगों को और फिर पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी के शासनकाल में श्रीलंका से आए तमिलों को भारत की नागरिकता दी गई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश में शरण लिये लाखों लोगों के हित में नागरिकता संशोधन कानून बनाया तो राजनैतिक स्वार्थों के वशीभूत कांग्रेस व अन्य दलों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और विभिन्न प्रकार की अफवाहें फैलाकर देश की शांति भंग करने का प्रयास किया है। सच तो यह है कि कांग्रेस के शासनकाल में इन पीडि़त परिवारों की किसी ने सुध नहीं ली थी।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर राज्यों की भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। कानून के संशोधन के प्रावधान असम, मेघालय, मिजोरम अथवा त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्र पर लागू नहीं होंगे, क्योंकि संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं और पूर्वी बंगाल के तहत अधिसूचित ‘इनर लाइन’ के तहत आने वाले क्षेत्र को कवर किया जाएगा।
वर्ष 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी के द्वारा क्लॉज सिक्स के तहत एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया था, जो वहां के लोगों की भाषा, संस्कृति और सामाजिक पहचान की रक्षा करती, किंतु यह आष्चर्यजनक बात है कि 1985 से लेकर 2014 तक तीन दशकों से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस कमेटी का गठन नहीं हो सका। वर्ष 2014 में श्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद उस कमेटी का गठन किया गया। क्षेत्र के लोगों की भाषाई, सांस्कृतिक एवं सामातिक पहचान को संरक्षित रखा जाएगा और इस कानून में इन राज्यों के लोगों की समस्याओं का समाधान है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष वोटबैंक की राजनीति करने के लिए भ्रम फैला रहा है, मुसलमानों में यह दुष्प्रचार किया जा रहा है कि यह मुसलमानों से देश की नागरिकता छीन लेने का कानून है, जबकि वास्तविकता नागरिकता देने की है ना कि लेने की है।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के बारे में कहा कि इस पर विपक्ष द्वारा दुष्प्रचार किया जा रहा है। हम सब जानते हैं कि देश में 10 साल के बाद जनगणना होती है। जनगणना के समय ही सभी परिवारों की आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक स्थिति का पता करने के लिए विभिन्न जानकारियां जुटाई जाती हैं। ये निजी जानकारियां होती हैं, इन्हें राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में दर्ज किया जाता है और इन्हें कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जाता। देश में कितने लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं, कितनों के पास मकान नहीं है, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, परिवहन, पेयजल इत्यादि की कमी कहां-कहां है, यह सब राश्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर से पता चलता है। इसकी जानकारी का उपयोग नीतियां बनाने और जनकल्याणकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में किया जाता है और यह उपयोग केन्द्र व राज्य, दोनों सरकारें करती हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर का विचार कोई नया नहीं है। इससे पहले इसे 2010 और 2015 में आयोजित किया गया था। कांग्रेस के शासनकाल में 2004 में नागरिकता अधिनियम,1955 को संशोधित करके राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अधिकृत किया गया था। उस संशोधन से केन्द्र सरकार को भारत के प्रत्येक नागरिक को पंजीकृत करने और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने की अनुमति और अधिकार दिये गये थे।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाने की शुरूआत की गई थी। जनगणना 2011 के साथ ही इसकी जानकारी एकत्रित की गई जिसे 2015 में घर-घर जाकर अपडेट किया गया था। अब इसे असम राज्य को छोडक़र शेष राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में 2021 की जनगणना के साथ अपडेट किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 7 मई, 2010 को लोक सभा में 2011 की जनगणना पर चर्चा हुई तो तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने विस्तार से चर्चा का जवाब दिया था और उस समय की सरकार के समर्थन में समाजवादी पार्टी, भाकपा, माकपा आदि के नेता साथ खड़े थे। आज जब हम 2021 की जनगणना के साथ इसे लागू कर रहे हैं तो उन्हें क्या परेशानी है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर पर भी विपक्ष पार्टियां वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं। यदि भारत में हम राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर लागू कर नागरिकों को राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी नहीं करेंगे तो घुसपैठियों का प्रवेश आसान होता जाएगा। इस तरह से तो यह देश एक धर्मशाला बनकर रह जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उठाए गये ऐतिहासिक और साहसिक कदमों से उनकी लोकप्रियता बढ़ती नजर आ रही है तो आज विपक्ष के नेताओं को अपना राजनैतिक वजूद खत्म होता दिखाई दे रहा है तथा ये लोग अपने इसी वजूद को किसी तरह बचाए रखने के लिए जनता को गुमराह कर रहे हैं और हिंसा व तोडफ़ोड़ का सहारा लेकर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने का काम कर रहे हैं।
इस अवसर पर मुख्य सचिव श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजेश खुल्लर, परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री एस.एन.राय, प्रधान ओएसडी नीरज दफ्तुआर, सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के निदेशक श्री पी.सी.मीणा, मीडिया सलाहकार श्री अमित आर्य और हरियाणा हाऊसिंग बोर्ड के पूर्व चेयरमैन श्री जवाहर यादव के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित
सीएए, एनपीआर और एनआरसी देश हित में , कांग्रेस का विरोध बेमानी : मनोहर लाल
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