गुरुग्राम: मेयर मधु आज़ाद ने आज प्रधान सचिव वी उमाशंकर से मुलाकात कर पार्षदों की माँगो और गुरुग्राम के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं पर चर्चा की।
– मेयर ने कार्य में लापरवाह अधिकारियों के बारे में प्रधान सचिव को कराया अवगत
– मेयर ने कहा , जिले का सबसे ऊंचा और महत्वपूर्ण पद, नहीं है कोई वित्तीय एवं एसीआर की शक्ति
– उन्होंने इकॉग्रीन की कार्यप्रणाली में सुधार करने या बाहर करने की कही बात
– मेयर ने प्राधान सचिव को शहर की बदहाल सफाई व्यवस्था के बारे में करवाया अवगत
– उन्होंने कहा कि आयुक्त के आदेशों को भी नहीं मानते अधिकारी
– उन्होंने बताया कि पार्षदों और जनता से मिलती है काफी शिकायतें
– मेयर ने बताया कि काम के बिलों में हो रही है गड़बड़ी
-मेयर ने कहा कि लापरवाह अधिकारियों को सस्पेंड करने की पावर हो मेयर के पास
– उन्होंने मांग की कि पार्षदों को मिले एक करोड़ रुपए के विकास कार्य करने की शक्ति
– पार्षदों को मिले एक करोड़ रुपए के विकास कार्य करने की शक्ति
– मेयर टीम एवं पार्षदों के साथ एक बैठक करने के लिए समय भी माँगा।
गुरुग्राम । गुरुग्राम की मेयर मधु आज़ाद ने शुक्रवार को स्थानीय लोक निर्माण विभाग विश्राम गृह में शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव वी उमाशंकर से मुलाकात की तथा उन्हें विभिन्न मुद्दों के बारे में अवगत कराया। मेयर ने विभिन्न विकासात्मक बिंदुओं पर चर्चा की।
मेयर ने निगम पार्षदों द्वारा समय-समय पर उठाई गई मांगों को पूरा करने की बात कही तथा गुरुग्राम के विकास पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि निगम पार्षदों को एक करोड़ रुपए के विकास कार्य करने की शक्ति देने बारे सदन ने प्रस्ताव पास किया था लेकिन अभी तक उस दिशा में कोई स्वीकृति सरकार की तरफ से नहीं मिली है। उन्होंने प्रधान सचिव से मेयर टीम व सभी पार्षदों के साथ एक बैठक करने का अनुरोध भी किया।
श्रीमती आज़ाद ने कहा कि मेयर का पद जिले में सबसे ऊंचा और महत्वपूर्ण होता है, इसलिए मेयर को अधिकारियों और कर्मचारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) लिखने तथा अन्य वित्तीय शक्ति प्रदान की जाए। इसके अलावा कार्य ना करने वाले और लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों को सस्पेंड करने की शक्ति भी मेयर के पास होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि वे काफी दिनों से शहर का दौरा कर रही हैं। इस दौरान ना तो सफाई व्यवस्था दुरुस्त पाई गई है और ना ही शौचालय की स्थिति दुरुस्त है। ऐसे में सफाई शाखा से संबंधित बिलों की जांच और दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों और ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करनी जरूरी है। उन्होंने इकोग्रीन की कार्यप्रणाली में सुधार करवाने या इसकी जगह कोई दूसरा विकल्प रखने की बात भी कही। उन्होंने कार्य मे कोताही बरतने वाले अधिकारियों के बारे में भी प्रधान सचिव को अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ अधिकारी व कर्मचारी नगर निगम आयुक्त के आदेशों को भी नहीं मानते। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही तथा बिलों में गड़बड़ी के बारे में पार्षदों और जनता की तरफ से शिकायतें मिलती हैं, जिन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।