हरनौत शराब प्रकरण में नहीं मानी डी एम – एस पी की रिपोर्ट
हरनौत। हरनौत शराब प्रकरण फिर नए मोड़ पर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह प्रखंड के जदयू अध्यक्ष की शराब बरामदगी मामले में गिरफ्तारी के बाद वहां के डीएम-एसपी ने जो जांच रिपोर्ट इस बारे में दी है उसे उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक ने सिरे से खारिज कर दिया है। कहा है कि न्यायालय तय करेगा कि कौन दोषी है, कौन निर्दोष? उन्होंने दोनों अधिकारियों के निष्कर्ष पर भी सवाल उठाए हैं।
पाठक ने उत्पाद अधीक्षक को भेजे पत्र में भी कहा है कि इस पूरे प्रकरण में चूंकि मुकदमा दर्ज हो चुका है और आरोपी मोती सिंह जेल में है। न्यायिक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, तो किसने, किसको फंसाया है, यह तय करना कोर्ट का काम है। आप जांच व न्यायिक प्रक्रिया में फिलहाल कोई हस्तक्षेप नहीं करें और सबकुछ न्यायालय पर छोड़ दें।
उत्पाद अवर निरीक्षक दीपक पर आरोप है कि उन्होंने हरनौत प्रखंड के जदयू अध्यक्ष चंद्रजीत कुमार सेन उर्फ मोती सिंह के ठिकानों पर शराब रखवा दी, और इसे बरामद दिखा कर उनको जेल भिजवाया। बाद में प्रशासन ने दीपक को गिरफ्तार कर लिया था। अभी दोनों जेल में हैं। गिरफ्तार नेता को क्लीन चिट के मामले में विपक्ष ने सरकार और सीधे तौर पर मुख्यमंत्री पर हमले तेज कर दिए हैं। हरनौत नीतीश का गृह प्रखंड है।
किसने किसको फंसाया है, यह तय करना कोर्ट का काम : पाठक
पाठक ने नालंदा के उत्पाद अधीक्षक को भेजे गए पत्र में लिखा है-’नालंदा के डीएम, एसपी की जांच से मात्र यही पता चलता है कि एक्साइज सब इंस्पेक्टर दीपक कुमार अपने इनफार्मर (सूचक) सुविद्र कुमार सिंह के लगातार संपर्क में थे। इससे यह बात कहीं से सिद्ध नहीं होती है कि दीपक कुमार द्वारा किसी तरह की साजिश के तहत आरोपी मोती सिंह को फंसाया गया है।
यह कहना किसी भी उत्पाद पदाधिकारी के लिए संभव नहीं है कि वह यह सूचना में अंतर कर सके कि कौन सी सूचना उनके पास निजी रंजिश के तहत रही है या कौन सी सूचना किसी अच्छे मकसद से रही है? इसलिए
सूचना पर प्रथमदृष्टया कार्रवाई करते हुए दीपक कुमार ने जो काम किया है, वह स्वाभाविक है….।
सूत्रों के अनुसार के के पाठक ने दीपक को गिरफ्तार नहीं करने की बात नालंदा के डीएम एसपी से कही थी। लेकिन इसके बावजूद दीपक की गिरफ्तारी हुई जिससे पाठक क्षुब्ध हैं।
क्या है पूरा मामला ?
मोती सिंह के आउटहाउस भूसा घर से 168 बोतल देसी शराब मिली। वे पकड़े गए। लोगों ने हंगामा किया। जांच की मांग पर एसडीओ ने जांच की। फिर डीएम, एसपी ने जांच की। यह बात सामने आई कि सुविंद्र सिंह की पत्नी उषा देवी को मोती सिंह की पत्नी मधुमिता देवी ने मुखिया का चुनाव हरा दिया। सुविंद्र ने दीपक से मिलकर इसी का बदला लिया। मोती को क्लिन चिट मिली। दीपक और सुविंद्र जेल भेजे गए।
डीएम-एसपी की जांच में कहा गया था कि पंचायत चुनाव की रंजिश के चलते सुविंद्र कुमार सिंह ने मोती सिंह के ठिकानों पर शराब रखवा कर उनको फंसाया। सुविंद्र और दीपक संपर्क में थे। दीपक ने इसे गलत बताया। लेकिन सुविंद्र ने इसे कबूल किया।