मॉडल किरायेदारी अधिनियम का मसौदा
जनगणना 2011 के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में लगभग 1.1 करोड़ घर खाली पड़े हैं। मकान मालिकों और किरायेदारों के हितों में संतुलन स्थापित करने और इनकी रक्षा करने तथा अनुशासित एवं सुव्यवस्थित तरीके से परिसरों को किराये पर उठाने के लिए एक उत्तरदायितत्वपूर्ण एवं पारदर्शी माहौल बनाने हेतु एक मॉडल किरायेदारी अधिनियम के मसौदे को राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के बीच प्रसारित कर इनसे 26 जुलाई, 2019 तक अपनी टिप्पणियां प्रस्तुत करने को कहा गया है। आम जनता सहित सभी हितधारकों से भी इस मसौदे पर 1 अगस्त, 2019 तक अपनी राय प्रस्तुत करने को कहा गया है। आम जनता से अब तक 56 टिप्पणियां/राय/सुझाव प्राप्त हुए हैं। प्राप्त ज्यादातर टिप्पणियों में नए मॉडल किरायेदारी अधिनियम का स्वागत किया गया है और इसके साथ ही सरकार की पहल की सराहना की गई है। आम जनता द्वारा प्रस्तुत किए गए विभिन्न सुझावों में सिक्योरिटी डिपॉजिट के लिए राशि, परिसर या मकान को खाली करने के लिए निर्दिष्ट नोटिस अवधि, वरिष्ठ नागरिकों एवं एनआरआई (अनिवासी भारतीय) मकान मालिकों के लिए विशेष प्रावधान, किरायेदारों एवं मकान मालिकों द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाना, पगड़ी प्रणाली से संबंधित मुद्दे इत्यादि शामिल हैं। सभी हितधारकों से टिप्पणियां/राय प्राप्त होने और उनका विश्लेषण करने के बाद इस दिशा में आगे कार्रवाई की जाएगी। केन्द्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने पर मॉडल किरायेदारी अधिनियम के अंतिम मसौदे को जल्द ही राज्यों के बीच प्रसारित (सर्कुलेट) किया जाएगा। इसके अलावा, राज्यों को नया किरायेदारी कानून बनाने अथवा मौजूदा कानूनों में संशोधन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि ये मॉडल अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप हो सकें, जैसा कि राज्यों ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए हस्ताक्षरित सहमति पत्र (एमओयू) के तहत सहमति जताई है।
स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) – शहरी – प्रगति
स्वच्छता के मामले में:
- 24 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के शहरी क्षेत्र ओडीएफ (खुले में शौचालय मुक्त) हो गए हैं। कुल मिलाकर 4,265 शहरों एवं कस्बों ने स्वयं को ओडीएफ घोषित कर दिया है जिनमें से 3,737 शहरों एवं कस्बों को अन्य पक्ष (थर्ड पार्टी) के सत्यापन के जरिए प्रमाणित किया गया है। 64.5 लाख व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों (66 लाख के मिशन लक्ष्य के सापेक्ष) और सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों की 5.5 लाख सीटों (5.08 लाख सीटों के मिशन लक्ष्य के सापेक्ष) का निर्माण कर दिया गया है/निर्माणाधीन हैं; 377 शहरों को ओडीएफ+ के रूप में और 167 शहरों को ओडीएफ++ के रूप में प्रमाणित किया गया है। 1700 शहरों एवं कस्बों में 45,000 से भी अधिक सार्वजनिक शौचालय अब गूगल मैप पर नजर आते हैं, जो भारत की 53 प्रतिशत से भी अधिक शहरी आबादी को कवर करते हैं।
ठोस कचरे से मुक्ति पाने के मामले में:
- 91 प्रतिशत से भी अधिक वार्डों में घर-घर जाकर कचरे को एकत्रित करने की सुविधा है, 65 प्रतिशत वार्डों में कचरे को अलग-अलग करने की सुविधा है और कुल कचरे में से लगभग 56 प्रतिशत की प्रोसेसिंग की जा रही है। 3 शहरों को ‘5-स्टार कचरा मुक्त सिटी’ और 53 शहरों को ‘3-स्टार कचरा मुक्त सिटी’ के रूप में प्रमाणित किया गया है।
स्वच्छ सर्वेक्षण:
स्वच्छ सर्वेक्षण 2016 देश के राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियों के साथ-साथ 10 लाख एवं उससे अधिक की आबादी वाले 73 शहरों में कराया गया था। वर्ष 2017 में इस तरह का सर्वेक्षण 434 शहरों में कराया गया था। स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में 4,203 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को कवर किया गया। स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में 4,237 शहरों एवं कस्बों को कवर किया गया।
एसबीएम (यू) के लिए 100 दिवसीय कार्य योजना
50 और शहरों को ओडीएफ+ किया जाएगा, जिनकी मौजूदा संख्या 377 है।
50 और शहरों को ओडीएफ++ किया जाएगा जिनकी मौजूदा संख्या 167 है।
50 और शहरों को ‘3-स्टार कचरा मुक्त सिटी’ में तब्दील किया जाएगा, जिनकी मौजूदा संख्या 53 है।
स्मार्ट सिटी मिशन
2 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा की लागत वाली 5000 से अधिक परियोजनाएं 12 जुलाई, 2019 तक कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। मौजूदा समय में 1,35,000 करोड़ रुपये की लागत वाली 3,500 से भी अधिक परियोजनाओं के लिए निविदाएं जारी की जा चुकी हैं; 90,000 करोड़ रुपये की लागत वाली 2800 से भी अधिक परियोजनाओं के निर्माण के लिए उनकी नींव डाली जा चुकी हैं और 15000 करोड़ रुपये की लागत वाली 900 से भी अधिक परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। मिशन वाले शहरों में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर जारी कार्य को सफलतापूर्वक तेज कर दिया गया है जिनमें ये शामिल हैं: 73 शहरों में एकीकृत कमांड एवं नियंत्रण केन्द्र यानी आईसीसीसी (16 शहरों में परिचालन बाकायदा शुरू हो गया है); 72 शहरों में स्मार्ट रोड परियोजनाएं (25 शहरों में पूरी हो चुकी हैं); 47शहरों में स्मार्ट सौर परियोजनाएं (15 शहरों में पूरी हो चुकी हैं); 67 शहरों में स्मार्ट जल परियोजनाएं (10 शहरों में पूरी हो चुकी हैं) और 62 शहरों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजनाएं (26 शहरों में पूरी हो चुकी हैं)। यह मिशन इस दिशा में एक गेम-चेंजर साबित हो रहा है। यह न केवल सीधे नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर कर रहा है, बल्कि यह देश को डिजिटल दृष्टि से सशक्त समाज और एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में तब्दील करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम) के लिए 100 दिवसीय कार्य योजना
‘एक जैसे शहर, एक जैसे प्रभाव’ इस मिशन का 100 दिवसीय कार्यक्रम है जिसकी परिकल्पना 100 स्मार्ट सिटी को सकारात्मक असर वाले कम से कम एक ऐसी पहल करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए की गई है जिसे 100 दिनों में पूरा किया जा सकता है और जिसके सकारात्मक एवं मापने योग्य नतीजे सामने आएं। इस कार्यक्रम से लगभग 2.7 करोड़ नागरिकों के सीधे तौर पर लाभान्वित होने की आशा है। इसके तहत लक्षित महत्वपूर्ण नतीजों में ये शामिल हैं: 1 लाख से भी अधिक पौधे लगाना, 100 से भी अधिक सार्वजनिक स्थलों का पुनरुद्धार/पुनर्विकास करना, 80 स्मार्ट क्लासरूम तैयार करना, 100 से भी अधिक सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना, 2 लाख से भी अधिक कूड़ेदानों को इस्तेमाल में लाना, 1.25 लाख से भी ज्यादा एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाना और 200 टन प्रति दिन (टीपीडी) से भी अधिक की संचयी क्षमता वाली नगरपालिका ठोस कचरा प्रोसेसिंग सुविधाओं का निर्माण करना। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अगले 100 दिनों में 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत वाली परियोजनाएं पूरी की जाएंगी।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई- एनयूएलएम)
वर्ष 2014 से वर्ष 2019 के बीच 5 लाख से भी अधिक कुशल अभ्यर्थियों को मिशन के तहत प्लेसमेंट सुनिश्चित किया गया है (वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के बीच यह आंकड़ा 2.73 लाख था)। उधर, व्यक्तिगत/समूह सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के साथ 4.24 लाख से भी अधिक लाभार्थियों की सहायता की गई है। तकरीबन 4 लाख स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का भी गठन किया गया है, जबकि 5 लाख से भी अधिक बैंक लिंकेज एसएचजी को दिए गए हैं।
डीएवाई-एनयूएलएम के लिए 100 दिवसीय कार्य योजना
‘डीएवाई-एनयूएलएम एसएचजी परिवार’ में 38 लाख से भी अधिक शहरी गरीब परिवार शामिल हैं। चूंकि विभिन्न बीमारियों के इलाज पर अपनी जेब से किए जाने वाला खर्च शहरी गरीबी का एक महत्वपूर्ण निर्धारक होता है, इसलिए ‘स्वस्थ एसएचजी परिवार’ के नाम से एक सकारात्मक पहल की गई है जिसका उद्देश्य सभी पात्र एसएचजी महिला सदस्यों को आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) और पोषण योजना से जोड़ना है। इसके अलावा 2 अक्टूबर, 2019 तक सभी एसएचजी सदस्यों के लिए स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था की जाएगी जिसका मुख्य उद्देश्य पैनल में शामिल अस्पतालों में मिलने वाली बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनके जीवन स्तर में निरंतर बेहतरी लाना है। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से तकरीबन 11 लाख महिलाओं के लाभान्वित होने की आशा है।
अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत)
139 लाख कनेक्शनों के लक्ष्य के सापेक्ष कुल मिलाकर 59 लाख घरों में नल से जल के कनेक्शन दिए गए हैं। 145 लाख कनेक्शनों के लक्ष्य के सापेक्ष 37 लाख नए सीवर कनेक्शन दिए गए हैं। चिन्हित 98 लाख लाइटों में से 63 लाख स्ट्रीट लाइटों के स्थान पर एलईडी लाइटें लगाई जा चुकी हैं और 468 शहरों में क्रेडिट रेटिंग से जुड़ा कार्य पूरा हो चुका है। 163 शहरों को निवेश योग्य ग्रेड रेटिंग (आईजीआर) प्राप्त हुई है जिनमें ए- अथवा उससे अधिक की रेटिंग वाले 36 शहर भी शामिल हैं।
पिछले वर्ष 3,390 करोड़ रुपये के नगर निगम बांड जारी कर धनराशि जुटाने के मद्देनजर 8 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) यथा अहमदाबाद, अमरावती, भोपाल, हैदराबाद, इंदौर, पुणे, सूरत और विशाखापत्तनम को प्रोत्साहन के रूप में 181 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
ऑनलाइन भवन निर्माण अनुमति प्रणाली (ओबीपीएस) को 1,705 नगरों/शहरों में कार्यान्वित किया गया है जिनमें ‘अमृत’ से जुड़े 439 शहर भी शामिल हैं। विभिन्न आंतरिक और बाह्य एजेंसियों के निर्बाध एकीकरण के साथ ओबीपीएस को दिल्ली और मुम्बई में स्थापित किया गया है। अनेक सुधारों पर अमल के परिणामस्वरूप निर्माण परमिट संकेतक के मामले में भारत की रैंकिंग ‘डूइंग बिजनेस रिपोर्ट (डीबीआर) 2018 के 181वें पायदान से ऊपर चढ़कर डीबीआर 2019 में 52वें पायदान पर पहुंच गई। इसके अलावा, ओबीपीएस को अब देश के सभी शहरों में कार्यान्वित किया जा रहा है। 11 राज्यों यथा आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और त्रिपुरा ने अपने यहां के सभी शहरी स्थानीय निकायों में ओबीपीएस को बाकायदा कार्यान्वित कर दिया है।
77,640 करोड़ रुपये की कुल राज्य वार्षिक कार्य योजना (एसएएपी) में से 39001 करोड़ रुपये (50 प्रतिशत) जलापूर्ति सेक्टर के लिए, 32456 करोड़ रुपये (42 प्रतिशत) सीवरेज एवं सेप्टेज प्रबंधन सेक्टर के लिए, 2969 करोड़ रुपये (4 प्रतिशत) तूफानी जल निकासी परियोजनाओं के लिए, 1436 करोड़ रुपये (2 प्रतिशत) गैर-मोटर शहरी परिवहन के लिए और 1768 करोड़ रुपये (2 प्रतिशत) हरित स्थलों एवं पार्कों के लिए आवंटित किए गए हैं। 80,428 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को मंजूरी दी गई है जिनमें से 65811 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं के लिए अनेक ठेके दिए गए हैं और विभिन्न कार्यों की नींव डाली गई है। इनमें 4271 करोड़ रुपये की लागत वाली पूर्ण परियोजनाएं भी शामिल हैं। कुल मिलाकर 20,971 करोड़ रुपये केन्द्रीय सहायता (सीए) के रूप में जारी किए गए हैं।
अमृत के लिए 100 दिवसीय कार्य योजना
जल शक्ति अभियान
जल शक्ति अभियान (जेएसए) के तहत 754 शहरों में बड़े पैमाने पर जल संरक्षण से जुड़े कार्यों को प्रोत्साहित किया जा रहा है जिनमें वर्षा जल का संचयन, शोधित जल की रिसाइक्लिंग/फिर से उपयोग, जल स्थलों का पुनरुद्धार और वृक्षारोपण शामिल हैं। जल शक्ति मंत्रालय द्वारा 1 जुलाई, 2019 को शुरू किया गया जल संरक्षण अभियान दो चरणों में चलाया जाएगा (प्रथम चरण: 1 जुलाई, 2019-15सितंबर 2019 और दूसरा चरण: 2 अक्टूबर, 2019–30 नवंबर 2019)।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने जल संरक्षण से जुड़े लक्षित उपायों के लिए देश भर में ऐसे 754 यूएलबी की पहचान की है जो जल की समस्या से जूझ रहे हैं। इन उपायों में वर्षा जल का संचयन (आरडब्ल्यूएच), शोधित अपशिष्ट जल का फिर से उपयोग, जल स्थलों का पुनरुद्धार और वृक्षारोपण शामिल हैं। मंत्रालय द्वारा 29 जून, 2019 को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए।
सभी चिन्हित यूएलबी ने जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियां बाकायदा शुरू कर दी हैं, ताकि जन शक्ति को जल शक्ति अभियान से जोड़ा जा सके।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)
लगभग 1 करोड़ मकानों की संभावित मांग में से तकरीबन 84 लाख मकानों को अब तक मंजूरी दी जा चुकी है। निर्माण के उद्देश्य से 50 लाख से भी अधिक मकानों की नींव डाली जा चुकी है जिनमें से 27 लाख मकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और उन्हें संबंधित लोगों को सौंपा भी जा चुका है। इन स्वीकृत मकानों के निर्माण के लिए 1.3 लाख करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता सहित 5 लाख करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी दी गई है। अब तक 51,500 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता जारी की गई है। कुल मिलाकर 6.5 लाख लाभार्थियों ने लगभग 15,000 करोड़ रुपये की ब्याज सब्सिडी का लाभ उठाया है जिनमें एमआईजी के 2 लाख लाभार्थी भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 300 करोड़ से भी अधिक कार्य दिवस सृजित हुए हैं जिनमें प्रत्यक्ष रोजगार के 100 करोड़ कार्य दिवस और अप्रत्यक्ष रोजगार के 200 करोड़ कार्य दिवस शामिल हैं। 16 नई उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए दरों की अनुसूची (एसओआर) जारी कर दी गई है, ताकि मकानों के निर्माण में काफी तेजी लाई जा सके। नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर देश भर में लगभग 13 लाख मकानों का निर्माण किया जा रहा है। ‘सीआईटीआई-2019’ के तहत चैलेंज स्पर्धा के जरिए 72 भावी प्रौद्योगिकियों (घरेलू) को चिन्हित किया गया है जिनका चयन तेज गति प्रदान करने और इन्क्यूबेशन संबंधी सहयोग देने के लिए किया जाएगा। इसके अलावा अक्टूबर 2019 के आरंभ में राजकोट, रांची, इंदौर, चेन्नई, अगरतला और लखनऊ में 6 लाइट हाउस परियोजनाओं की नींव रखी जाएगी,ताकि विभिन्न अभिनव प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर निर्माण किया जा सके।
प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 100 दिवसीय कार्य योजना
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लाभार्थियों के लिए ‘अंगीकार’ नामक एक अभियान शुरू किया गया, ताकि उन्हें बदलाव को स्वीकार करने और नए माहौल को अपनाने की जरूरत से अवगत कराया जा सके। इस अभियान में ये शामिल होंगे: एक समुदाय के रूप में आपस में मिल-जुलकर रहने से जुड़े मुद्दे, जल एवं ऊर्जा संरक्षण, टिकाऊ तौर-तरीके, वर्षा जल का संचयन, वृक्षारोपण और विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों/योजनाओं में सामंजस्य स्थापित करना जिससे कि रहन-सहन के लिए स्वच्छ, हरित और सुरक्षित माहौल सुनिश्चित हो सके। अगस्त, 2019 के प्रथम सप्ताह में प्रस्तावित शुभारंभ के उद्देश्य से अभियान के लिए आईईसी से जुड़ी गतिविधियां तैयार की जा रही हैं। लाभार्थियों के लिए 3 लाख मकानों को पूरा करने की योजना बनाई गई है। अब तक 1 लाख से भी अधिक मकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और इनमें से लगभग सभी मकानों को संबंधित लोगों को सौंपा जा चुका है।
2-3 मार्च, 2019 को आयोजित कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी इंडिया (सीटीआई) – 2019 के दौरान चिन्हित सर्वोत्तम वैश्विक आवास निर्माण प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने के लिए वैश्विक आवास प्रौद्योगिकी चैलेंज-2019 के तहत परिकल्पित लाइट हाउस प्रोजेक्ट की नींव डाली गई। निर्माण प्रौद्योगिकी वर्ष के एक हिस्से के रूप में छह राज्यों (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, झारखंड, त्रिपुरा, गुजरात) में छह विशिष्ट वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर 6000 से भी अधिक आवास इकाइयों का निर्माण करने की योजना बनाई गई है।
सरकारी कॉलोनियों के लिए 100 दिवसीय कार्य योजना
देश भर में 100 सरकारी कॉलोनियों में स्वच्छता के टिकाऊ तौर-तरीकों को अपनाने, खाली पड़े क्षेत्रों को हरित बनाने, वर्षा जल के संचयन की सुविधाएं स्थापित करने और ठोस अग्निशमन उपायों पर अमल की शुरुआत की गई है।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय में डिजिटलीकरण
मंत्रालय में भुगतान एवं प्राप्तियों दोनों से ही संबंधित सरकारी लेन-देन का लगभग शत-प्रतिशत डिजिटलीकरण हो चुका है। इस मंत्रालय द्वारा सीधे तौर पर जारी लगभग 63,000 करोड़ रुपये के वार्षिक भुगतान का डिजिटलीकरण पहले ही वेब आधारित सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के जरिए हो चुका है। मंत्रालय और इसके सभी क्षेत्रीय कार्यालयों (400 से अधिक) में सरकारी लेन-देन के पूर्ण डिजिटलीकरण से दक्षता बढ़ने के साथ-साथ समय पर भुगतान करना भी संभव हो पा रहा है, वास्तविक समय पर धनराशि के उपयोग की निगरानी करना संभव हो गया है और इसके साथ ही सार्वजनिक व्यय में पारदर्शिता व जवाबदेही बढ़ गई है।
100 दिवसीय कार्य योजना
100 स्मार्ट सिटी के लिए पीएफएमएस का व्यय अग्रिम हस्तांतरण (ईएटी) मॉड्यूल शुरू किया जा रहा है, ताकि स्मार्ट सिटी मिशन के दायरे में आ चुके सभी शहरों में भुगतान का शत-प्रतिशत डिजिटलीकरण सुनिश्चित किया जा सके। स्मार्ट सिटी के डिजिटलीकरण से न केवल भुगतान संबंधी लेन-देन का डिजिटलीकरण होगा, बल्कि कार्यान्वयन के अंतिम स्तर तक धनराशि (केन्द्र एवं राज्य दोनों की ही हिस्सेदारी) के उपयोग पर वास्तविक समय पर नजर रखना संभव हो पाएगा।
मेट्रो रेल
मेट्रो रेल का विकास :
मई, 2014 तक देश भर में सात शहरों (कोलकाता, दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम, बेंगलुरू और मुम्बई) में लगभग 247 किलोमीटर लंबी मेट्रो रेल का परिचालन शुरू किया गया था। अब 18 शहरों यथा दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम,फरीदाबाद, बल्लभगढ़, बहादुरगढ़, जयपुर, लखनऊ, कोलकाता, अहमदाबाद, मुम्बई, नागपुर, हैदराबाद, बेंगलुरू, चेन्नई और कोच्चि में 657 किलोमीटर लंबी मेट्रो रेल का परिचालन शुरू हो गया है। 27 शहरों में लगभग 900 किलोमीटर लंबी नई मेट्रो रेल/त्वरित क्षेत्रीय पारगमन प्रणाली (आरआरटीएस) निर्माणाधीन हैं।
100 दिवसीय कार्य योजना:
मंत्रालय द्वारा 15 जुलाई, 2019 को ‘मेट्रोलाइट’ नामक हल्की शहरी रेल पारगमन प्रणाली के लिए मानक जारी किए गए। यह प्रति घंटे प्रति दिशा अधिकतम 15000 यात्रियों की आवाजाही वाले शहरों के लिए उपयुक्त है। अत: यह ज्यादातर शहरों के लिए उपयुक्त है। राज्य सरकारों से आग्रह किया गया है कि वे छोटे शहरों में जन परिवहन के प्रमुख साधन के रूप में मेट्रोलाइट को अपनाएं। इसकी निर्माण लागत अत्यंत कम है (ज्यादा क्षमता वाली मेट्रो प्रणाली की एलिवेटेड संरचना की निर्माण लागत का लगभग 50 प्रतिशत और भूमिगत संरचना की निर्माण लागत का 20 प्रतिशत)। इस प्रणाली के निर्माण में अत्यंत कम लागत आने के साथ-साथ इसकी परिचालन व रख-रखाव लागत भी काफी कम होने के कारण यह अत्यंत लाभप्रद एवं टिकाऊ है।
अगले 100 दिनों में चालू करने के लिए तीन मेट्रो लाइनों (21 किलोमीटर) को लक्षित किया गया है जो निम्नलिखित हैं:
5.6 किलोमीटर लंबी, महाराजा कॉलेज से थाइकोडैम तक, कोच्चि मेट्रो
4.3 किलोमीटर लंबी, द्वारका से नजफगढ़ तक, दिल्ली मेट्रो
11 किलोमीटर लंबी, लोकमान्य नगर से सीताबुल्दी तक, नागपुर मेट्रो।