नई दिल्ली । सत्रहवीं लोकसभा के पांचवें दिन सदन में एक बार में तीन तलाक को गैर कानूनी ठहराने वाला मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक पेश किया गया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बिल को पेश करते हुए कहा कि हमने पिछली सरकार में इस बिल को लोकसभा से तो पारित करा लिया था लेकिन राज्यसभा में यह बिल पास नहीं हो सका था।इस बिल को पेश करने में ही आज भारी विरोध का सामना करना पड़ा। विपक्ष ने इसे पेश करने के लिए मतविभाजन की मांग कर दी जिसमें सरकार के पक्ष में अधिक वोट पड़े जबकि विरोध में 74 वोट पड़े।
प्रसाद ने संविधान की प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए कहा कि एक बार फिर से बिल को सदन के पटल पर रखते हुए कहा कि जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है और कानून पर बहस अदालत में होती है और कोई लोकसभा को अदालत न बनाए। मंत्री ने कहा कि यह सवाल सियासत या इबादत का नहीं बल्कि नारी न्याय का सवाल है। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में कहा गया है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता, इसलिए यह संविधान के खिलाफ कतई नहीं है बल्कि उनके अधिकारों से जुड़ा हैं।
17वीं लोकसभा के गठन के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला बिल है। लोकसभा में हंगामें के बीच रविशंकर प्रसाद ने इन्स्टैंट ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी बनाने के लिए बिल पेश किया। लेकिन तीन तलाक बिल का कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने विरोध किया है।