-समाजहित कार्य करके मनाया डेरे का स्थापना दिवस
-गुरुग्राम में एकत्रित हुये हजारों डेरा प्रेमी
-मानवता भलाई के कार्य निरंतर करते रहने का लिया प्रण
-बच्चों को बांटे शिक्षा सामग्री
गुरुग्राम। इसे अपने गुरू के प्रति दीवानगी कहिये या फिर सच्ची श्रद्धा, जो कि इतनी विपरीत परिस्थितियां होने के बाद भी जरा सी नहीं डोल पायी। गगनचुम्बी इमारतों के शहर गुरुग्राम में रविवार को डेरा सच्चा सौदा प्रेमियों का जो हुजूम उमड़ा, उसे हर कोई देखता रह गया। साइबर सिटी के अति पॉश इलाके में बने नाम चर्चा घर (सत्संग घर) पर रात से ही श्रद्धालु पहुंचने शुरू हो गये थे।
अवसर था डेरा सच्चा सौदा सरसा के 71वें स्थापना दिवस व जाम-ए-इंसा गुरू का कार्यक्रम का। कई दिन पूर्व ही इसकी तैयारियां शुरू कर दी गयी थी। नाम चर्चा घर के साथ में ही विशाल पंडाल लगाया गया, जहां पर गुरुग्राम जिला के साथ एनसीआर व रेवाड़ी तक से भारी तादाद में श्रद्धालुओं ने शिरकत की।
सुबह से ही भजनों का कार्यक्रम शुरू हो गया था। यहां पहुंचने के बाद श्रद्धालुओं ने खुद भजनों के माध्यम से गुरू यश गाया। अपने गुरू के प्रति अटूट विश्वास, दीवानगी, श्रद्धा और प्रेम की यहां जो बानगी दिखी, वह अपने आप में बहुत कुछ कह रही थी। यहां डेरा के जिम्मेदारों की ओर से भी यही संदेश दिया गया कि हमें संत गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा ने जो नेकी और भलाई का मार्ग दिखाया है, हमें उसी पर चलना है। मानवता की भलाई के जो कार्य करने को उन्होंने पेे्रेरित किया है, उन्हें निरंतर जारी रखना है। आज सात करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु डेरा सच्चा से जुड़कर देश-विदेश में सेवा के कार्यों को निरंतर कर रहे हैं। यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने मानवता की भलाई के कार्य निरंतर करते रहने के लिए हाथ खड़े करके प्रण लिया।
50 बच्चों को दी गयी शिक्षा सामग्री
इस मौके पर गुरुग्राम जिला की साध-संगत की ओर से 51 बच्चों को शिक्षा सामग्री दी गयी। गुरू जी ने भी यही संदेश दिया है कि शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। संसाधनों के अभाव में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए। उनके संदेश पर अमल करते हुए ही यह कार्य किया गया। यहां शिक्षा सामग्री पाकर बच्चे और उनके अभिभावक खुश नजर आये। कार्यक्रम में मानवता भलाई के कार्यों को विस्तार से बताया गया। एमएसजी के प्रोडक्ट की खूबियों के बारे में भी यहां पर साध-संगत को जानकारी दी गयी।
नाचते-गाते पहुंची संगत
डेरा सच्चा सौदा के स्थापना दिवस कार्यक्रम में जो नजारे यहां दिखायी दिये, जो खुशी का आलम यहां नजर आया, वह अपने आप में अनूठा था। साध-संगत नाचते-गाते हुए यहां पर पहुंची। कोई कार में तो कोई बाइक पर, कोई बस में तो कोई टैंपों में गुरु का यश गाते हुये झूमता रहा।