नई दिल्ली / वाशिंगटन : पाकिस्तान में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने पर भारतीय वायुसेना की हवाई हमले के बाद पाकिस्तान अब दुनिया के देशों की सहानुभूति बटोरने में जुटा है लेकिन अब तक उसे नाकामी ही हासिल हुई है जबकि भारत ने कूटनीतिक स्तर पर सक्रियता दिखाते हुए सभी प्रमुख देशों को इस हमले की आवश्यकता से अवगत करा दिया है। विदेश विभाग की ओर से यह बता दिया गया कि यह कार्रवाई क्यों जरूरी हो गई थी और किस प्रकार की कार्रवाई की गई है।
खबर है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका से कहा कि भारत ने उसके हवाई क्षेत्र का ‘उल्लंघन’ किया है जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा व शांति के लिए ‘खतरा’ पैदा ही गया है। इस पर अमेरिका ने कोई समर्थन देने से इनकार कर दिया और पाक स्थित आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने की नसीहत दे दी ।
दूसरी तरफ पाकिस्तान स्थित बालाकोट में आतंकी संगठन जैश के ठिकानों पर भारतीय वायुसेना की बमबारी के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने अपने बयान में कहा है कि उनकी इस बारे में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात हुई है। उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ सुरक्षा साझेदारी और दक्षिण एशिया में शांति एवं सुरक्षा स्थापित करने के साझा लक्ष्य पर जोर दिया।
पॉम्पियो ने कहा कि भारतीय कार्रवाई के बाद उनकी पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से भी बात हुई है। उन्होंने साफ कर दिया कि क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए जरूरी है कि इस्लामाबाद किसी तरह की सैन्य कार्रवाई न करे। उन्होंने पाकिस्तान से दो टूक कह दिया कि उसे अपनी सरजमीं पर सक्रिय आतंकियों के खिलाफ तुरंत ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों पर भारतीय कार्रवाई के बाद आई पॉम्पियो की यह प्रतिक्रिया कूटनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जा रही है। पुलवामा हमले के बाद ही अमेरिका ने साफ कर दिया था कि वह भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने अपने भारतीय समकक्ष अजित डोभाल से बात कर पुलवामा हमले पर संवेदना जताई थी। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि भारत ‘कुछ बड़ा’ कर सकता है। उनके इस बयान को राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना गया।