नई दिल्ली। राजस्थान और मध्य प्रदेश के शपथग्रहण समारोहों में कांग्रेस ने विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाकर शक्ति प्रदर्शन की कोशिश की, हालांकि इसमें बीएसपी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की कमी रह गई।
जयपुर के अल्बर्ट हॉल में हुए गहलोत के शपथ ग्रहण में आए विपक्षी नेता कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बस में सवार दिखे। राहुल के ट्विटर हैंडल से एक तस्वीर पोस्ट की गई, जिसमें वह बस में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के पास बैठे दिख रहे थे। खास बात यह थी कि इसी बस में शरद यादव, फारूक अब्दुल्ला और शरद पवार जैसे विपक्ष के दिग्गज नेता भी बैठे थे।
2019 में पीएम पद की उम्मीदवारी लिए राहुल गांधी का पुरजोर समर्थन करने वाले डीएमके नेता स्टालिन भी बस में राहुल के पीछे मौजूद थे। इसी तरह मध्य प्रदेश में दोपहर बाद कमलनाथ के शपथ ग्रहण में भी कुछ विपक्षी नेता संसद की कार्यवाही के बाद सीधे भोपाल में नजर आए।
जानकार बताते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि वो आम लोगों के साथ दिल से जुड़े हुए हैं। अगर वो सामान्य जन की बात करते हैं तो उसे व्यवहार में उतारते में भी है। राजनीति में सांकेतिक प्रदर्शनों का महत्व होता है, जनता के एक बड़े तबके को ये बताने की कोशिश होती है कि वो खुद आम लोगों की दिक्कतों को महसूस करते है।
गुलाबी नगरी जयपुर के अल्बर्ट हॉल में सजे भव्य मंच से भले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली लेकिन यह मंच एक अन्य बड़े राजनीतिक दृश्य का गवाह बना और वह है विपक्ष की एकजुटता।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के हालिया विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटकनी देने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल यहां विपक्षी एकजुटता की धुरी बनते नजर आए। वहीं दूसरे विपक्षी दलों के आला नेताओं की शिरकत ने भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ व्यापक गठबन्धन से जुड़ी कांग्रेस की उम्मीदों को पर लगाने का काम किया।
शपथ ग्रहण में राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) के नेता एन चंद्रबाबू नायडू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, द्रमुक नेता एमके स्टालिन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी, राजद नेता तेजस्वी यादव, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी शामिल हुए।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, भूपेंद्र हुड्डा, सिद्धरमैया, आनंद शर्मा, तरुण गोगोई, नवजोत सिंह सिद्धू, अविनाश पांडे सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पहुंचे।
गत मई महीने में कर्नाटक में कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के बाद यह दूसरा मौका था जब विपक्षी दलों के नेता इस तरह एक मंच पर नजर आए।
विपक्षी एकजुटता का यह नजारा उस वक्त दिख रहा है जब तीन राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी राजनीतिक हैसियत की लिहाज से पहले की तुलना में खुद को बहुत बेहतर स्थिति में महसूस कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इन तीनों राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद विपक्षी एकजुटता के साथ राहुल गांधी के कद में इजाफा साफ तौर पर दिख रहा है। वैसे, इसकी बानगी शनिवार को तमिलनाडु में देखने को मिली जब द्रमुक नेता स्टालिन ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने पैरवी की।