श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर विधान सभा को भंग किये जाने पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं था। उन्होंने पीडीपी-एनसी पर निशाना साधते हुए कहा कि ये वो शक्तियां हैं जो बुनियादी लोकतंत्र में भरोसा नहीं करती हैं।
राज्यपाल ने कहा कि ये पार्टियां नहीं चाहती थीं कि राज्य में पंचायत चुनाव हो। लेकिन जब लोग बड़े पैमाने पर चुनावी प्रक्रिया में शामिल हुए तो उन्हें लगने लगा कि अब सब कुछ हाथ से निकल जाएगा। अपने आप को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए अपवित्र गठबंधन किया। उन्होंने किसी के साथ पक्षपात नहीं किया। जो राज्य की भलाई में था उसके मुताबिक फैसला किया गया।
उन्हें पिछले 15 दिन से इस बात की शिकायत मिल रही थी कि सरकार बनाने के लिए खरीदफरोख्त की जा रही थी। इसके अलावा विधायकों को धमकाया भी जा रहा था। महबूबा जी खुद इस बात की शिकायत कर रही थीं कि उनके विधायकों को धमकाया जा रहा है। दूसरे दलों की शिकायत थी कि धनशक्ति के इस्तेमाल की योजना है। लेकिन वो ये सब होते हुए नहीं देखना चाहते थे।
सत्यपाल मलिक ने कहा कि वो अपनी नियुक्ति की पहली तिथि से ही ये कहते रहे हैं कि खरीदफरोख्त के माहौल में वो सरकार गठन के पक्ष में नहीं थे। वो शुरू से ही चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो और चुनी हुई सरकार राज्य के लोगों की भलाई के लिए काम करे।