नई दिल्ली/श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में दिनभर चले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य की विधानसभा को भंग कर दिया है। जम्मू राजभवन की ओर से बुधवार रात इस संबंध में आदेश जारी किया गया। राज्यपाल के इस फैसले से पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को बड़ा झटका लगा है, जिन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का समर्थन लेकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
मुफ्ती के बाद पीपल्स कॉन्फ्रेंस नेता सज्जाद लोन ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया था। लोन के पास अपने दो विधायक हैं और 25 विधायकों वाली बीजेपी उन्हें समर्थन दे रही थी। पीडीपी ने सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए राज्यपाल को पत्र लिखा था। पीडीपी ने यह पत्र फैक्स के जरिए राज्यपाल कार्यालय में भेजा था। हालांकि मुफ्ती ने ट्विटर पर जानकारी दी कि यह फैक्स राज्यपाल कार्यालय की तरफ से रिसीव नहीं किया गया है और न ही राज्यपाल फोन उठा रहे हैं।
मुफ्ती ने अपने पत्र में लिखा, “जैसा कि आप जानते हैं कि राज्य विधानसभा में 29 विधायकों के साथ पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है। मीडिया के जरिए आपको जानकारी मिल ही गई होगी कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पीडीपी के साथ सरकार बनाने पर सहमत हो गए हैं। वहीं एनसी के पास 15 और कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं। इस तरह हमारे पास कुल 56 विधायकों का समर्थन है। मैं अपनी पार्टी की तरफ से सरकार बनाने का दावा पेश करती हूं। ”
जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के गठन को लेकर महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), उमर अबदुल्ला की अध्यक्षता वाली नेश्नल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस साथ आए थे। राज्य की सियासत में धुर विरोधी मानी जाने वाली एनसी और पीडीपी ने बीजेपी को रोकने के लिए साथ आने का फैसला किया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तीनों दलों की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए अल्ताफ बुखारी के नाम पर सहमति बनी थी। मार्च 2015 में पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकार बनी थी। तब मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद बने थे, उनके निधन के बाद महबूबा मुफ्ती सीएम बनीं। इस साल 16 जून को पीडीपी-बीजेपी गठबंधन से बीजेपी अलग हो गई थी। जिसके बाद से यहां राज्यपाल शासन लगा हुआ है।