सुभाष चौधरी/प्रधान सम्पादक
नई दिल्ली। कुछ माह पूर्व ही भाजपा के साथ आये बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नीति आयोग की बैठक में ऐसा राग अलापा कि भाजपा के लिए परेशानी दिखने लगी। राष्ट्रीय स्तर पर इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जाने लगे। नीतीश कुमार ने आज भाजपा से अलग राह अपनाते हुए नीति आयोग की बैठक में आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के विशेष राज्य के दर्जे की मांग का समर्थन कर दिया ।
खबर है कि उन्होंने चंद्रबाबू नायडू के मांग का समर्थन करने के साथ साथ बिहार के लिए भी विशेष राज्य के दर्जे की मांग को जोरदार तरीके से उठाया। नीतीश कुमार ने प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, स्वास्थ्य और मानव विकास इंडेक्स में बिहार को काफी नीचे होने का हवाला दिया और विशेष राज्य के दर्जे की मांग की। चर्चा है कि नीतीश कुमार के अलावा आंध्र के लिए नायडू की मांग का समर्थन नए राजनीतिक समीकरण के तहत पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कर दिया ।
उल्लेखनीय है कि नीति आयोग की गवर्निंग कौंसिल की चौथी बैठक में सभी राज्यों के सीएम और लेफ्टिनेंट गवर्नर मौजूद थे। इसकी अध्यक्षता पीएम नरेंद्र मोदी ने की। इसमें कई केंद्रीय मंत्री भी मौजूद थे।
आज की बैठक में सभी सीएम ने अपने सुझाव दिए। इसका फायदा नायडू ने कई अहम मुद्दों को उठाने में लिया। बैठक में नायडू ने विशेष राज्य की मांग सहित राज्य विभाजन, विशेष राज्य का दर्जा और पोलावरम परियोजना से संबंधित मु्द्दों को भी उठाया।
कर्नाटक चुनाव के बाद हुए विपक्षी ध्रुवीकरण के लिहाज से 2019 के लिए केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ नीतीश का आज का यह बयान एक नया विकल्प का संकेत दे रहा है। चर्चा इस बात की जोरों पर है कि कांग्रेस पार्टी हमेशा नीतीश कुमार को महागठबंधन में शामिल करने की हामी रही है। ऐसे में आज का बयान नए राजनीतिक समीकरण की पृष्ठभूमि का परिचायक लग रहा है।
इधर मीडिया को दिए बयान में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोहिल ने कहा है कि नीतीश कुमार फासीवादी ताकतों के साथ खड़े हैं। इसमें उनकी क्या मजबूरी है इसकी जानकारी उन्हें नही है लेकिन अगर कोई संभावना बनती है तो हम अपने सहयोगी दलों के साथ बैठकर इस पर विचार करेंगे।