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गुरुग्राम : जिला सूचना एंव जनसंपर्क विभाग द्वारा आयोजित जिला स्तरीय सांझी प्रतियोगिता का आज समापन किया गया जिसमें निर्णायक मंडल ने प्रतियोगिता में आई सांझी में से प्रथम, द्वितीय , तृतीय और दो सांत्वना सांझी का चयन किया।
निर्णायक मंडल में नगराधीश अल्का चौधरी, जिला शिक्षा अधिकारी नीलम भंडारी, महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी सुनैना शामिल थे। श्रीमति चौधरी ने इस मौके पर सांझियों का अवलोकन करते हुए कहा कि सूचना ,जनसपंर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा इस प्रतियोगिता के माध्यम से लोक परम्परा को जीवित रखे हुए है।
उन्होंने अपनी यादें ताजा करते हुए बताया कि हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्र में यह परम्परा रही है कि नवरात्रों में लड़कियां तथा महिलाएं गांव में उपलब्ध काली-मिट्टी और गोबर से मां गौरी की तस्वीर बनाकर उसे पूजती है। नवरात्रों के बाद इस तस्वीर को पानी में बहा दिया जाता है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग हर वर्ष सांझी बनाओं प्रतियोगिता का आयोजन प्रत्येक जिला में करता है ताकि यह लोक परम्परा जीवित रहे और नई पीढ़ी को अपनी पुरातन परम्पराओं तथा संस्कृति से अवगत करवाया जा सके।
यह प्रतियोगिता आम तौर पर अक्टूबर-नवम्बर माह में आयोजित की जाती है और पहले तीन स्थान पाने वाले प्रतिभागियों को नकद ईनामो से नवाजा जाता है। विभाग की नीति के अनुसार प्रथम पुरस्कार विजेता को पांच हज़ार रूपये, दूसरा स्थान पाने वाले को तीन हज़ार तथा तीसरे स्थान पर रहने वाली सांझी को दो हज़ार रूपये के नकद ईनाम दिए जाते है। इस बार की प्रतियोगिता मे प्रथम स्थान साऊथ सिटी-1 , गुडग़ांव की श्रीमति अजीत , दूसरे स्थान पर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सैक्टर-9 की शालिनी और तीसरे स्थान पर इसी महाविद्यालय की प्रतिभा रही।
इनके अलावा, निर्णायक मंडल द्वारा दो सांत्वना पुरस्कार भी निकाले गए है जिनमें राजकीय स्नातकोतर महाविद्यालय सैक्टर-9 की दीपांशी तथा मकान नंबर 277/23, हीरा नगर की शिवानी शामिल है। सांत्वना पुरस्कार विजेताओं को एक-एक हज़ार रूपये की राशि दी जाएगी।
इस प्रतियोगिता की शर्त यह है कि सांझी कृतियां हार्ड बोर्ड अथवा स्टैण्ड कैनवस पर बनी होनी चाहिए तथा इनमें ग्रामीण परिवेश में सहजता से उपलब्ध गोबर, खडिय़ा मिटटी गेरू, कली, कोडी, चूडिय़ां, बटन, माचिस की तिल्लियों आदि का प्रयोग किया जाता है तथा कोई भी वस्तु बाजार से खरीदी हुई या कृत्रिम नही होनी चाहिए। इस प्रतियोगिता में आयु की कोई सीमा नही है तथा कोई भी व्यक्ति भाग ले सकता है। इस बार गुडग़ांव जिला में 9 सांझी आई थी।