नई दिल्ली। मीडिया की खबरों के अनुसार नोटबंदी के बाद देश के बैंकों को सबसे ज्यादा मात्रा में जाली नोट मिले हैं। इस अवधि में संदिग्ध लेनदेन में भी 480 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि हुई है। देश में 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुई फेक करेंसी पर आई पहली रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
मीडिया की खबर में यह कहा गया है कि यह रिपोर्ट वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) ने जारी की है। उल्लेखनीय है कि यह एजेंसी देश में होने वाले संदिग्ध बैंकिंग ट्रांजैक्शंस पर नजर रखती है। इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि सरकारी, निजी क्षेत्र के अलावा सहकारी बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों में सामूहिक रूप से 400 प्रतिशत से अधिक संदिग्ध लेनदेन के मामले मिले हैं।
वर्ष 2016-17 में कुल मिलाकर 4.73 लाख से भी अधिक संदिग्ध लेनदेन के बारे में बैंकों द्वारा एफआईयू को सूचित किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016-17 में एफआईयू को बैंकों और अन्य वित्तीय इकाइयों से 4.73 लाख संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) मिलीं। यह 2015-16 के मुकाबले चार गुना अधिक है।
एसटीआर के मामले सबसे अधिक बैंकों की श्रेणी में सामने आए। 2015-16 के मुकाबले इसमें 489 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि वित्तीय इकाइयों में यह वृद्धि 270 प्रतिशत की रही।
वर्ष 2015-16 में कुल 1.05 लाख एसटीआर बनाई गई थीं। इसमें से 61,361 एसटीआर बैंकों द्वारा एफआईयू को भेजी गई थीं। नोटबंदी के बाद इनकी संख्या बढक़र 3,61,215 तक पहुंच गई। दूसरी तरफ अन्य वित्तीय इकाइयों के संबंध में एसटीआर का आंकड़ा 40,033 था। नोटबंदी के बाद यह बढक़र 94,837 पर पहुंच गया। फेक करेंसी के लेनदेन के मामलों में 2016-17 के दौरान इनकी संख्या में पिछले साल के मुकाबले 79 प्रतिशत बढ़ गया । 2015-16 में फेक करेंसी रिपोर्ट (सीसीआर) की संख्या 4.10 लाख थी।
2016-17 में यह 3.22 लाख की बढ़ोतरी के साथ 7.33 लाख पर पहुंच गई। सीसीआर 2008-09 से निकाली जानी शुरू की गई थी। उसके बाद से यह इसका सबसे बड़ा आंकड़ा है। नोटबंदी के बाद एसटीआर और सीटीआर की संख्या बढऩे को देखते हुए एफआईयू ने 2016-17 में अपनी कोशिशों में बढ़ोतरी की। इस दौरान उसने 56,000 एसटीआर को विभिन्न जांच एजेंसियों के साथ साझा किया। इनमें आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीबीआई और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) शामिल हैं। इससे पिछले वर्ष में एफआईयू ने 53,000 एसटीआर इन जांच एजेंसियों के साथ साझा की गई थी।