लगभग एक वर्ष में विदेशी कर्ज में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि
नई दिल्ली । भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों का विभाग हर वर्ष सितम्बर और दिसम्बर में समाप्त तिमाहियों के दौरान भारत के विदेशी ऋण पर तिमाही आंकड़ों को जारी करता रहा है। इस आंकलन से पता लगता है कि दिसम्बर 2017 के आखिर में भारत पर विदेशी ऋण का दबाव बढ़ा है। दिसम्बर 2017 के आखिर में भारत पर कुल मिलाकर 513.4 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी ऋण हो गया जो मार्च 2017 के आखिर में दर्ज किये गये विदेशी ऋण की तुलना में 8.8 प्रतिशत (41.6 अरब अमेरिकी डॉलर) अधिक है। इस अवधि के दौरान विदेशी ऋण में वृद्धि मुख्यत: वाणिज्यिक उधारियां, एनआरआई जमाएं और अल्पकालिक ऋण बढ़ जाने के कारण दर्ज की गई। तिमाही आधार पर गौर करने पर पता चलता है कि दिसम्बर 2017 के आखिर में भारत का कुल विदेशी ऋण सितम्बर 2017 के आखिर की तुलना में 3.6 प्रतिशत (17.6 अरब अमेरिकी डॉलर) अधिक रहा।
भारत के विदेशी ऋणों की परिपक्वता के रुख से दीर्घकालिक उधारियों के वर्चस्व के बारे में पता चलता है। दिसम्बर 2017 के आखिर में भारत के कुल विदेशी ऋण में दीर्घकालिक विदेशी ऋणों की हिस्सेदारी 81 प्रतिशत है, जबकि अल्पकालिक विदेशी ऋणों की हिस्सेदारी 19 प्रतिशत है।
दिसम्बर 2017 के आखिर में दीर्घकालिक ऋण 415.8 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया जो मार्च 2017 के आखिर में दर्ज दीर्घकालिक ऋणों की तुलना में 8.4 प्रतिशत (32.1 अरब अमेरिकी डॉलर) अधिक है। दिसम्बर 2017 के आखिर में अल्पकालिक विदेशी ऋण 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाते हुए 97.6 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया । कुल ऋणों में इसकी हिस्सेदारी 19 प्रतिशत रही जो मार्च 2017 में दर्ज 18.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी की तुलना में अधिक है।
दिसम्बर 2017 के आखिर में कुल विदेशी ऋण के लिए विदेशी मुद्रा कवर बढ़कर 79.7 प्रतिशत हो गया जो मार्च 2017 के आखिर में 78.4 प्रतिशत था।
दिसम्बर 2017 के आखिर में भारत के विदेशी ऋण पर पूरी तिमाही रिपोर्ट वित्त मंत्रालय की वेबसाइट www.finmin.nic.in पर उपलब्ध है।