जीआईएस मैपिंग वाला गुरुग्राम होगा उत्तर भारत का पहला शहर
5 हजार सीसीटी कैमरे के सहारे होगी शहर के चप्पे चप्पे पर नजर
एकबार में हजारों लोग कर सकेंगे डेटा का उपयोग
अप्रेल माह से आम जनता के लिए यह सुविधा होगी उपलब्ध
सर्विसेस की प्लानिंग एवं अमल की मॉनिटरिंग में मिलेगी मदद
सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक
गुरुग्राम, 20 मार्च। गुरुग्राम ज्योग्राफिकल मैपिंग अर्थात् जीआईएस मैपिंग वाला उत्तर भारत का पहला शहर बन गया है। इसके माध्यम से विभिन्न सर्विसेज की प्लानिंग एवं उसके क्रियान्वयन में मदद मिलेगी । यह मैपिंग शहर में आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने में मील का पत्थर साबित होगी । इसके योजना को असरदार बनाने के लिए 5 हजार सीसीटीवी कैमरे इंस्टाल किये जायेंगे जिसकी पैनी नजर सरकारी जमीनो पर होने वाले अतिक्रमण पर होगी जबकि इसमें उपलब्ध डेटा एकबारगी हजारों आम पब्लिक भी उपयोग कर सकेगी। कई मायनों में गूगल को भी पीछे छोड़ने वाली अब तक की यह सबसे आधुनिक ,समृद्ध एवं आसान तकनीक आगामी अप्रेल माह से आम जनता के लिए उपलब्ध होगी । मतलब साफ है अगर सब कुछ योजना के अनुरूप रहा तो गुरुग्राम वासियों को किसी सूचना व गाइडेंस के लिए गूगल पर निर्भर रहने की मजबूरी खत्म हो जाएगी।
गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी उमाशंकर ने गुरुग्राम के नए लोक निर्माण विश्राम गृह में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। पत्रकारों के समक्ष जीएमडीए की टीम ने जीआईएस मैपिंग के बारे में विस्तृत प्रैजेंटेशन के माध्यम से इस पूरी योजना के काम करने की रूपरेखा समझाने की कोशिश की। खास बात यह थी कि प्रेजेंटेशन के दौरान हरेरा गुरुग्राम के चेयरमैन डा. के के खंडेलवाल भी उपस्थित थे। प्रैजेंटेशन के दौरान मैपिंग में उपयोग होने वाली तकनीक और उसके उपयोग की संभावनाओं को हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सैंटर(हरसैक) के सीनियर साईंटिस्ट डा. सुल्तान सिंह ने विस्तार से रेखांकित किया ।
इससे पूर्व मीडिया प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी उमाशंकर ने बताया कि गुरुग्राम के विविध इंफ्रास्ट्रक्चर की ईफएक्टिव मोनेटरिंग और विभागीय सामनाजस्य के लिए एक कॉमन प्लेटफार्म बनाने के उद्देश्य से गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण की देखरेख में सैटेलाइट इमेजरी लेकर ‘वन मैप गुरुग्राम’ तैयार किया जा रहा है। जीएमडीए के क्षेत्र में अभी सरकारी विभागों से प्राप्त सूचना के आधार पर डेटा फीड कर जीआईएस मैपिंग का काम जारी है। साथ साथ विभागों द्वारा उपलब्ध कराए गए डाटा की अब ड्रोन मैपिंग से वैलिडेशन अर्थात् पुष्टि का काम भी जोरशोर से शुरू किया गया है।
उल्लेखनीय है कि जीएमडीए के क्षेत्र में गुरुग्राम मानेसर अर्बन कॉम्पलैक्स(जीएमयूसी) का पूरा क्षेत्र आता है। इसलिए मैपिंग का कार्य क्षेत्र भी यही रखा गया है। जीएमडीए के सीईओ के अनुसार सैटेलाइट इमेजरी में 50 सेंटीमीटर का रेजोल्युशन प्राप्त हो रहा है और ड्रोन मैपिंग से वैलिडेशन होने के बाद 5 सेंटीमीटर के रेजोल्युशन में इमेजरी प्राप्त होगी। इसका मतलब है कि इस तकनीक से धरातल से मात्र 5 सेंटीमीटर ऊंचाई की वस्तु भी ऑनलाइन जूम करने पर साफ दिखाई देगी।
उन्होंने बताया कि डेटा वेेलीडेशन का कार्य अप्रैल माह के अंत तक पूरा होने का अनुमान है। उसके बाद हीी जीआईएस मैपिंग की पूरी सूचना पब्लिक डोमेन पर डाल दी जाएगी । तब इसे ई नेट के माध्यम से आम जनता भी केेवल देख ही नहीं सकेगी बल्कि इसमें अपना इनपुट, शिकायत व अपने व्यवसाय की जानकारी भी डाल पाएगी। जीआईएस मैपिंग में 144 से ज्यादा लेयर स्टैंडर्डाइज की जा चुकी हैं, जिसका मतलब है कि विभिन्न विभागों द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही सेवाओं, चाहे जमीन के ऊपर हो या नीचे, इसमें अलग-अलग कलर कोड में दर्शाए गए हैं। इससे यह लाभ होगा कि सरकारी विभागों के अधिकारियों को यह पता चल सकेगा कि जमीन के नीचे पीने के पानी, सीवरेज, टेलिफोन आदि की लाइने कहां से गुजर रही हैं।
इसके सर्वर की क्षमता के सवाल पर उन्होंने बताया कि जीआईएस मैपिंग का सारा डेटा क्लाऊड में स्टोर किया जा रहा है। इसकी लाइसेंसिंग ली गयी है । इसके माध्यम से ही इस सुविधा का उपयोग करने वाले दर्शकों की संख्या व स्थिति का आकलन करना संभव होगा।
उन्होंने बताया कि वन मैप गुरुग्राम में एकत्र डाटा नगर निगम अपने क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर संंबंधी कई महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे पाइपलाइन डलवाने, जिला का नक्शा तैयार करने , प्रोपर्टी टैक्स, अतिक्रमण, अवैध निर्माण हटवाने आदि में प्रयोग करके बेहतर योजनाएं बना सकेगा। इसी प्रकार, इस सुविधा का सभी विभागों को लाभ होगा परंतु मुख्य रूप से नगर निगम, बिजली निगम, टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग, जिला प्रशासन तथा पुलिस विभाग इसका ज्यादा लाभ उठा पाएंगे। उदाहरण के तौर पर पुलिस विभाग इस जीआईएस मैपिंग से यह पता कर पाएगा कि किस क्षेत्र में क्राइम रेट ज्यादा है, उसी अनुरूप उस क्षेत्र मे क्राइम को कंट्रोल करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। इसी प्रकार स्वास्थ्य विभाग डेंगू व मलेरिया के मरीजों की अधिक संख्या वाले क्षेत्रों की पहचान करके भी इन बीमारियों की रोकथाम की योजना बना सकता है।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना पर जीएमडीए द्वारा 12 करोड़ रूपये की राशि खर्च किए जाने का प्रावधान किया गया है। एक प्रश्न के जवाब में श्री उमाशंकर ने बताया कि विभागीय डेटा वन मैप गुरुग्राम पर अपलोड करने के लिए सभी विभागों से एक या दो कर्मचारियों व अधिकारियों की नियुक्ति भी की जाएगी जो इस कार्य में अपना सहयोग करेंगे। इस परियोजना के तहत विभिन्न विभागों से लगभग 65 कर्मियों का स्टाफ नियुक्त किया जाएगा। इसके साथ जीएमडीए द्वारा अपने कार्यालय के एक फ्लोर पर कमांड एंड कंट्रोल सैंटर भी स्थापित किया जाएगा। यह सैंटर वैसा ही होगा जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वड़ोदरा में शुरू किया था।
उन्होंने बताया कि इस कमांड एंड कंट्रोल सैंटर से सभी मुख्य विभाग जोड़े जाएंगे। एक अन्य सवाल के जवाब में श्री उमाशंकर ने बताया कि जीएमडीए द्वारा अपने क्षेत्र में सडक़ों पर लगभग 5000 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और उनकी फीड कमांड एंड कंट्रोल सैंटर में आएगी। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि सडक़ों के बर्म ठीक करने के लिए जीएमडीए द्वारा हाल ही में ढाई करोड़ रूपये के टैंडर दिए गए हैं। इस डेटा बेस में खसरा नंबर के साथ जमीन का रिकॉर्ड दर्ज होगा जिससे कि लैंड गर्वनेंस में मदद मिलेगी।