चण्डीगढ़, 11 मार्च : हरियाणा सरकार ने राज्य अधीनस्थ लेखा सेवाओं (एसएएस) और ऑडिट काडर का पुनर्गठन करने का निर्णय लिया है ताकि लेखा और लेखा परीक्षण के क्षेत्रों में पेशेवर योग्यता के उच्चतम मानकों को प्रोत्साहित किया जा सके। इससे काडर को अपना काम और अधिक पेशेवर ढंग से करने की सुविधा मिलेगी और साथ ही सरकारी विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में भी राज्य वित्त का बेहतर प्रबन्धन हो सकेगा।
इस बारे में जानकारी देते हुए राज्य के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि इस संबंध में सरकार द्वारा भारतीय लोक लेखा परीक्षक संस्थान, चंडीगढ़ द्वारा एक अध्ययन करवाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने हरियाणा स्टेट फाईनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के नाम से एक नई गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी की स्थापना करने का निर्णय लिया है, जोकि सार्वजनिक उद्यमों, हरियाणा के स्वायत्त निकायों और अन्य राज्य संस्थाओं की अधिशेष निधियों के कुशल प्रबंधन के लिए आंतरिक खजाना प्रबंधक के रूप में कार्य करेगी। इस कम्पनी के वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में चालू होने की संभावना है।
कैप्टन अभिमन्यु ने बताया कि राज्य सरकार ने कराधान, बजट, वित्तीय नियोजन, लेखा परीक्षा तथा लेखा प्रबंधन प्रक्रियाओं और नीतिगत मुद्दों पर विशेष ध्यान केन्द्रित करते हुए, सार्वजनिक वित्त नीति, वित्तीय प्रबंधन और वित्तीय प्रशासन के क्षेत्रों में सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए बुनियादी प्रशिक्षण एवं अनुसंधान कार्यक्रम उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से स्वर्ण जयंती हरियाणा इंस्टीच्यूट फॉर फिस्कल मैनेजमेंट की स्थापना की है। इसके अलावा, हरियाणा में सतत विकास लक्ष्यों के आधार पर विजन-2030 को कार्यान्वित करने के लिए, यूएनडीपी की सहायता से संस्थान के एक भाग के रूप में, एसडीजी समन्वय केंद्र की स्थापना भी की जा रही है।
उन्होंने बताया कि विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों समेत स्वायत्त निकायों को अप्रैल 2018 से केवल एक या दो प्रमुख बैंक खाते संचालित करने की अनुमति देकर और अधिक वित्तीय अनुशासन लाने के लिए एक प्रमुख प्रक्रियात्मक परिवर्तन किया जा रहा है, इसका अर्थ है कि धनराशि के कुशल उपयोग के लिए प्रत्येक विभाग, बोर्डों, निगमों या प्राधिकरण को सभी शेष बैंक खातों को एक या दो खातों में समेकित करना होगा।
हरियाणा में लेखा सेवा और ऑडिट काडर का पुनर्गठन करने का निर्णय
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