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निर्धारित समय सीमा में काम नहीं करने वाले अधिकारियों के खिलाफ हो सकती है कार्रवाई
दोषी अधिकारी पर 250 रु. से 5 हजार रु. तक जुर्माना का प्रावधान
गुरुग्राम, 13 फरवरी। आम जनता को सरकारी विभागों द्वारा निर्धारित समय सीमा में सेवाएं दी जाएं, यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने अब हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम-2014 को कड़ाई से लागू करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में जानकारी देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा प्रदेश में सेवा का अधिकार अधिनियम-2014 को अधिसूचित किए हुए भी तीन वर्ष से अधिक का समय हो चुका है और जनता को अधिनियम में निर्धारित किए गए समय में सेवाएं दिलवाने के लिए हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग भी बनाया गया है। अब राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों के प्रशासनिक सचिवों को इस अधिनियम को कड़ाई से लागू करने की हिदायतें दी हैं।
प्रवक्ता के अनुसार राज्य सरकार द्वारा सभी प्रशासनिक सचिवों को निर्देश दिए गए हैं कि सेवा के अधिकार अधिनियम-2014 में जिन सेवाओं का उल्लेख किया गया है उनसे संबंधित संपूर्ण जानकारी, सेवा प्राप्त करने का आवेदन पत्र तथा साथ संलग्न किए जाने वाले दस्तावेजों आदि के बारे में सूचना संबंधित अधिकारी द्वारा अपने कार्यालय के सूचना पट्ट पर अथवा अन्य तरीके से सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जाएं। इसी प्रकार की सूचना ई-दिशा केंद्रों के बाहर प्रदर्शित होनी चाहिए ताकि आम जनता को यह पता चल सके कि उन्हें कितने दिन में वह सेवा उपलब्ध होगी।
उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा विभिन्न विभागों से संबंधित 163 सेवाओं को इस अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है। इन सेवाओं के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है। उदाहरण के तौर पर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर देने के लिए सात दिन का समय निर्धारित किया गया है,बशर्ते कि आवेदन पूर्ण रूप से भरा गया हो और उसके साथ आवश्यक दस्तावेज भी संलग्न हों। इसी प्रकार, नगर निगम क्षेत्र में पेयजल और सिवरेज का कनेक्शन देने के लिए भी सात दिन की समय सीमा निर्धारित की गई है। यहां तक कि नगर निगम क्षेत्र में सीएलयू की अनुमति भी 60 कार्यदिवसों में देने का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने बताया कि यदि कोई अधिकारी अधिनियम में निर्धारित समय सीमा के अंदर किसी आवेदक को सेवा उपलब्ध नहीं करवाता है या उसके आवेदन को रिजैक्ट कर देता है तो वह 30 दिन के भीतर प्रथम कष्ट निवारण अथोरिटी के पास अपील कर सकता है, जो आवेदक को एक सप्ताह में वह सेवा उपलब्ध करवाने के आदेश संबंधित अधिकारी अथवा डैजिग्नेटिड ऑफिसर को दे सकता है। यदि इस स्तर पर भी आवेदक संतुष्ट नही होता है तो वह प्रथम कष्ट निवारण अथोरिटी के फैसले के 60 दिन के भीतर द्वितीय कष्ट निवारण अथॉरिटी के पास अपील दायर कर सकता है। यहां भी संतुष्टी नहीं होने पर वह 90 दिन में हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवा सकता है। प्रवक्ता ने बताया कि अधिनियम में आयोग को दोषी अधिकारी पर 250 रूपए से 5 हजार रूपए तक जुर्माना करने की शक्तियां दी हुई हैं। यही नहीं, यदि आयोग को अधिकारी का रवैया ठीक प्रतीत नही होता है तो वह देरी के लिए 250 रूपए प्रति दिन के हिसाब से भी जुर्माना कर सकता है।
उन्होंने बताया कि सेवा से जुड़ी सूचना जैसे अधिनियम में निर्धारित समय सीमा, आवेदन पत्र तथा दस्तावेज आदि की जानकारी वैबसाईट पर भी डालने के निर्देश दिए गए हैं। यही नहीं, ग्राम पंचायतों, नगपालिका, नगर परिषद् तथा नगर निगमों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को भी हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के बारे में अवगत करवाया जाएगा। प्रवक्ता के अनुसार अधिनियम को प्रचारित करने के लिए हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग द्वारा जिला और मण्डल स्तर पर गोष्ठियों तथा कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाएगा।