आंगनवाडी सेंटरों को बनाने के लिए नहीं मिल रहे ठेकेदार

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: नूंह जिला में 40 आंगनवाडी सेंटर बनाऐ जाने हैं

: जीएसटी लगने और ईंटे मंहगी होने की वजह से ठेकेदार टेंडर नहीं भर रहे हैं

यूनुस अलवी

 
मेवात :   नूंह जिला के 40 गावों में बनाई जाने वाले आंगनवाडी सेंटरों को बनाने के लिए ठेकेदार नहीं मिल रहे हैं। दो बार ऑनलाईन टेंडर मांगने के बाद ही मात्र 18 के आवेदन मिल पाऐ हैं। ठेकेदारों द्वारा आवेदन ना भरनेे का कारण जीएसटी और इंटों की मंहगाई बताई जा रही है। इन सेंटरों को ठेकेदारों से बनवाया जाऐगा या फिर विभागीय द्वारा ही इनका निर्माण होगा। अधिकारी इस बारे में विभाग से डारेक्शन लेने की बात कर रहे हैं। 
 
  प्राप्त जानकारी के अनुसार नूंह जिला के खंड पुनहाना, नगीना, नूंह, फिरोजपुर झिरका आदि खंडों के गावों में कुल 40 आंगनवाडी सेंटर बनाऐ जाने हैं। एक आंगनवाडी सेंटर बनाने की 9 लाख 95 हजार विभाग ने लागत रखी है। एक आंगनवाडी सेंटर में दो कमरे, एक बरामदा, शोचालय, बाथरूम, रसोई घर, पानी स्टोक करने के लिए टेंक, चारदिवारी और बडा गेट बनाऐ जाना है।
 
   नूंह आंगनवाडी विभाग की पीओ नीरू ने बताया कि उन्होने नूंह जिला में 40 आंगनवाडी सेंटर बनाने के लिए पंचायत राज विभाग को प्रपोजन बनाकर भेज दिया है। अब उनको बनाने का काम पंचायत राज विभाग का है। उनका कहना है कि अगर कहीं जमीन या बनाने में काई परेशानी आती है तो वे उसका समाधान करा सकती हैं।
 
   ठेकेदार जान मोहम्मद का कहना है कि आंगनवाडी सेंटर बनाने का जो इस्टीमेट है वे जीएसटी लगने से पहले के हैं। अब काम करने पर 12 फीसदी टेक्स देना होगा। इसके अलावा सरकार की ओर से र्इंट का भाव पांच हजार रूपये दिया जाता है और फिलहाल ईंट भटटों पर प्रति हजार 6 हजार है। इस वजह से आंगनवाडी सेंटर बनाने में नुकसान जाता है। इसी वजह से अधिक्तर ठेकेदारों ने टेंडर ही नहीं भरे हैं।
 
  पंचायत राज नूंह के अधिकारी अवनीत ने बताया कि टेंडर तीन बार छोडे जाते हैं। पहला टेंडर सोसायटी के लिए होता है। जब कोई सोसायटी आगे नहीं आती तो ठेकेदारों के लिए ऑन लाईन टेंडर छोडे जाते हैं। फिर भी अगर कोई ठेकेदार नहीं आता तो पंचायत विभाग खुद ही ऐसे भवनों को बनाता है। उनहोने बताया कि नूंह जिला में कुल 40 आंगनवाडी सेंटर बनने हैं जिनमें से करीब 18 सेंटरों के लिए आवेदन आ चुके हैं। बाकी सेंटरों के निर्माण के बारे में उच्च अधिकारियों से गाईडलाईन लेने के बाद भी कुछ कहा जा सकता है। उनका कहना है कि जैसे अधिकारियों के आदेश आऐगें उन पर अमल किया जाऐगा।
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