सुप्रीम कोर्ट ने कहा : वरिष्ठ वकीलों द्वारा कोर्ट पर धौंस जमाने की प्रवृत्ति बर्दाश्त नहीं

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मुख्य न्यायाधीश ने रामजन्म भूमि सुनवाई के दौरान कुछ वरिष्ठ वकीलों के आचरण पर आपत्ति जताई 

नई दिल्ली। मिडिया की खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में बड़े मुकदमों की सुनवाई के दौरान कुछ वरिष्ठ वकीलों द्वारा कोर्ट पर धौंस जमाने की प्रवृत्ति पर चीफ जस्टिस ने गुरुवार को कड़ी आपत्ति जताई। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि इस तरह का आचरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने आगाह किया कि ” या तो बार स्वयं इसे नियंत्रित करे या फिर मजबूरन अदालत को इसे नियंत्रित करना पड़ेगा।”

देश के सुप्रीम कोर्ट की इन बेहद सख्त टिपण्णी को दो प्रमुख मामले की सुनवाई के दौरान उत्पन्न स्थिति के सन्दर्भ में देखा जा रहा है. बताया जाता है कि इनमें से एक मामला बुधवार को दिल्ली व केन्द्र सरकार के बीच अधिकारों की लड़ाई के मामले में वरिष्ठ वकील राजीव धवन द्वारा मुख्य न्यायाधीश से ऊंची आवाज में बहस करने सम्बन्धी है जबकि दूसरा मामला मंगलवार को अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन और दुष्यंत दवे द्वारा किये गए व्यवहार सम्बन्धी है. खबर में यह दावा किया गया है कि राम जन्म भूमि -बाबरी ढाँचे वाले मामले में तीनों वकीलों ने सुनवाई का विरोध करते हुए अदालत छोड़ कर जाने तक की धमकी दे दी थी।

मीडिया की खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों के इस आचरण पर ऐतराज जताने वाली टिप्पणियां मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने पारसी महिला की दूसरे धर्म में शादी करने से स्वत: धर्म परिवर्तन के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं। उल्लेखनीय है कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही है।

कहा जाता है कि इस सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने वकीलों के आचरण का मसला उठाया. उन्होंने वकीलों को कोर्ट की मर्यादा का ध्यान रखने की बात कही.  इस पर मुख्य न्यायाधीश ने वरिष्ठ वकीलों के कोर्ट में ऊंची आवाज में बहस करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर सख्त ऐतराज जताया।

जस्टिस मिश्रा ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि वरिष्ठ वकीलों का एक छोटा समूह सोचता है कि वो कोर्ट में ऊंची आवाज में बोल सकते हैं, लेकिन उन्हें समझ लेना चाहिए कि ऊंची आवाज बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऊंची आवाज उनकी अक्षमता  सिद्ध करती है साथ ही इससे पता चलता है कि वे वरिष्ठ बनने लायक नहीं है। उन्होंने कहा कि जब वकील संविधान के मुताबिक आचरण  नहीं करते हैं तो भी कोर्ट उसे नजरअंदाज करता है. उन्होंने सवाल किया कि यह कब तक चलेगा। मुख्य न्यायाधीश ने साफ़ कहा कि अगर बार इसे स्वयं नियंत्रित नहीं करती तो मजबूरन कोर्ट को इसे नियंत्रित करना पड़ेगा।

उल्लेखनीय है कि गत मंगलवार को राम जन्मभूमि सम्बन्धी याचिका की सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन और दुष्यंत दवे ने सुनवाई को 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद करने की मांग करते हुए कोर्ट में ऊंची आवाज में बात की थी । उन्होंने सुनवाई जारी रखने पर अदालत छोड़ कर जाने तक की धमकी दे दी थी। कोर्ट ने तीनों वकीलों के इस व्यवहार को अचरज के साथ अपने आदेश में दर्ज किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस घटना को दर्ज करने के लिए कोर्ट द्वारा अपनाई जा रही भाषा में इन वकीलों ने न दर्ज करने की अपील की.  इस कारण उस अंश को आदेश में करीब चार बार लिखा और काटा गया। अंत में कुछ साधारण शब्दों में उसे दर्ज किया गया। 

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