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अध्यापकों ने मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
अध्यापकों ने सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन
यूनुस अलवी
मेवात: सोमवार की रात्रि एक अतिथी अध्यापक की ह्दयगति रुकने से मौत हो गई। जिसे इलाज के लिए साथी अध्यापक मेडिक़ल कालेज लेकर जाते लेकिन वह बीच में ही दम तोड़ गया। जिसे पोस्टमार्टम के लिए नूंह के सामान्य अस्पताल लाया गया। जहां देर शाम उसका पोस्टमार्टम हुआ और शव परिजनों को सौंप दिया गया। लेकिन अतिथी अध्यापक की मौत के बाद नूंह के सरकारी अस्पताल में इक्क_ा हुए सैंकड़ों अध्यापकों ने इस मौत के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। भिवानी जिला के रेवाड़ी खेड़ा गांव निवासी अनिल कुमार पुत्र ओमप्रकाश करीब 15 वर्ष से अतिथी अध्यापक लगा हुआ था। फिलहाल उसकी ड्यूटी जालीका पुन्हाना में लगी हुई थी।
सोमवार की रात उसे दिल का दौरा पड़ा। आनन-फानन में उसे मेडिक़ल कालेज लाया गया, जहां डाक्टरों से उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक अध्यापक के भाई नरसिंह, सर्वकर्मचारी संघ के जिला प्रधान तैयब हुसैन, अतिथी अध्यापक संघ के प्रदेश महासचिव पारस शर्मा, जिला प्रधान सतीश यादव, हसमत अली, नाजिम आजाद समेत दर्जनों अध्यापकों ने नूंह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। अध्यापक नेताओं ने कहा कि जब रामबिलास शर्मा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष थे तो चुनावों के समय उन्होंने अतिथी अध्यापकों को नियमित करने का वादा किया था। लेकिन सरकार बनते ही लगातार अतिथी अध्यापकों के खिलाफ सरकार ने मुहिम चला रखी है। आए दिन अतिथी अध्यापकों को लेकर सरकार नए फरमान जारी करती रहती है। जिसके कारण तनाव में अतिथी अध्यापकों को जीवन बसर करना पड़ रहा है। इस तनाव के कारण 84 अतिथी अध्यापक दिल का दौरा पडऩे से अपनी जान गवां चुके हैं। लेकिन अब वे आर-पार की लड़ाई के मूड़ में है। यदि सरकार ने 1 नवंबर तक अतिथी अध्यापकों का नियमित करने का फैसला नहीं लिया तो सरकार की ईंट से ईंट बजा दी जाएगी।
नूंह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पोस्टमार्टम के लिए चीरफाड़ करने वाला सहायक नहीं है। जिसके कारण मांडीखेड़ा जिला अस्पताल में तैनात सहायक को यहां बुलाया जाता है। लेकिन मंगलवार को मांड़ीखेड़ा में तीन शवों का पोस्टमार्टम करना था, जिसके कारण वह नूंह नहीं आया। इसके चलते अध्यापकों को नूंह के सरकारी अस्पताल में सुबह से शाम हो गई तो उनका धैर्य जबाव देने लगा।
इसे लेकर एक बार अध्यापकों की डीएसपी मुख्यालय विरेंद्र सिंह से झड़प भी हो गई। बाद में नूंह अस्पताल के एसएमओ डा. गोविंदशरण ने सीएमओ डा. श्रीराम सिवाच से निवेदन कर सहायक को नूंह भेजने के लिए कहा। जिस पर सीएमओ ने सहायक को नूंह भेजकर अध्यापक के शव का पोस्टमार्टम कराया गया। लेकिन अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए सहायक न होना एक बड़ी कमी नजर आई, जिसके लिए कर्मचारी यूनियनों ने भी सरकार से तुरंत नूंह के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम सहायक भर्ती करने की मांग की। जिस पर नूंह के एसएमओ डा. गोविंदशरण ने बताया कि सरकार से स्वीकृति मिल गई है और जल्द ही आऊटसोर्सिंग पालिसी के तहत पोस्टमार्टम सहायक की भर्ती कर ली जाएगी।