गुरुग्राम : सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा साध्वी रेप मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को दोषी करार दिए जाने पर उनके समर्थकों ने चार राज्यों में जमकर उत्पात मचाया. पुलिस व मिडिया पर हमले किये. इस हमले व आगजनी में कम से कम दो दर्जन लोगों की मौत हो गयी है जबकि दो सौ से अधिक लोग घायल हो गए हैं. हिंसक उपद्रवियों ने सैकड़ों वाहनों में आग लगा दी और दर्जनों सरकारी भवनों में भी आगजनी व तोड़फोड़ की है. पंजाब में भी कई जगहों पर उग्र भीड़ ने कई रेलवे स्टेशन को आग के हवाले करने का प्रयास किया. इसको लेकर आम जन मानस व विभिन्न क्षेत्रों के लोग हतप्रभ है और सरकार व प्रशासन की एक बड़ी भूल के रूप में देखते हैं. अधिकतर लोगों का कहना है कि डेरा समर्थकों ने कानून को अपने हाथ में लिया जो सर्वथा गलत है दूसरी तरफ प्रशासन इसे नियंत्रित करने में नाकामयाब रहा. इससे प्रदेश की छवि को एक बार फिर नुकसान पहुंचा है.
आज के हालत पर thepublicworld.com न्यूज पोर्टल ने विभिन्न क्षेत्रों से सम्बन्ध रखने वाले व्यक्तियों से
बातचीत की. प्रस्तुत है उनकी प्रतिक्रिया :
क्या कहते हैं एडवोकेट नरेश शर्मा ?
दी हरियाणा चैस एसोसिएशन के महासचिव व एडवोकेट नरेश शर्मा ने साध्वी रेप मामले में सीबीआई अदालत के फैसले का स्वागत किया उन्होंने कहा कि अदालत का फैसला सभी को मानना चाहिए. इसमें किसी को आपत्ति है तो उसके कानूनी प्रावधान हैं जिसके तहत वे उच्च अदालतों में अपील कर सकते हैं. उन्हें कानून को हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने ऐसा कर व्यवस्था को चुनौती दी है. अंधविश्वास से कुछ नहीं हो सकता अपने कर्म में सुधार करना चाहिए.
अनियंत्रित स्थिति के लिए श्री शर्मा ने कहा कि इस पूरे मामले को हैंडल करने में पोलिटिकल विल की कमी दिखी. सरकार को जागरूक रहनी चाहिए थी. प्रशासन ने लोगों को इतनी बड़ी संख्या में वहां क्यों पहुँचने दिया ? यहाँ एक गलत परंपरा शुरू हो गयी है हर बात में आर्मी को तैनात कर देते हैं जो गलत कदम है. सरकार कोई भी हो सभी को हर संस्था में वोट दिखाई देता है आम आदमी की चिंता किसी को नहीं है. राजनीतिक कारणों से इस मामले को बिगड़ने दिया गया.
वार्ड 10 के निवर्तमान पार्षद मंगत राम बागड़ी ने क्या कहा ?
इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व गुरुग्राम नगर निगम वार्ड 10 के निवर्तमान पार्षद मंगत राम बागड़ी का कहना है कि अदालत के फैसले का सभी को सम्मान करना चाहिए. इसमें सरकार का कुछ लेना देना नहीं है. सरकार ने सुरक्षा का पूरा बंदोबस्त किया था लेकिन डेरा समर्थकों ने कानून अपने हाथ में लेकर स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश की. उन्हें समझना चाहिए कि राष्ट्र की संपत्ति उनकी भी संपत्ति है. भाजपा नेता ने कहा कि वे इसे नुक्सान पहुंचा कर अपने देश व प्रदेश को नुकसान पहुंचा रहे हैं और विकास में बाधा डाल रहे हैं. यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. सरकार ने तो प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पूरी छूट दी थी.
कांग्रेस के नेता मो.आबिद दानी बास ने सरकार को
जिम्मेदार क्यों माना ?
मेवात में युवा कांग्रेस के नेता मो.आबिद दानी बास ने इस घटना के लिए पूरी तरह प्रदेश की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने सवाल खड़ा किया कि जब हरियाणा सरकार को इस बात का इल्म था कि डेरा सच्चा सौदा के नार्थ हरियाणा व पंजाब में बड़ी सख्या में अनुयायी हैं तो उन्हें इसके लिए पहले ही रणनीति बनानी चाहिए थी. अदालत के फैसले की तारीख तय होने के बाद धारा 144 लागू करने की स्थिति में भी लाखों लोगों को पंचकूला व सिरसा में क्यों इकट्ठे होने दिया ? यह सरकार की नाकामी है. उनके शब्दों में यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है जिसे मनोहर लाल सरकार सही तरीके से हैंडल नहीं कर पाई. उन्होंने कहा कि इनके शासन काल में इस प्रकार की अब तक तीन ऐसी घटनाएं हो चुकी जिससे प्रदेश की छवि को बड़ा नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि जाट आन्दोलन के दौरान भी यह सरकार मूक दर्शन बनी रही और विफल रही थी.
अधिवक्ता बी पी गौर ने क्यों कहा प्रशासनिक अधिकारी इसमें नाकाम रहे ?
गुरुग्राम के अधिवक्ता बी पी गौर का कहना है कि अदालत देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए निष्पक्ष है. हमें उनके हर फैसले को स्वीकार करना चाहिए और अगर किसी को लगता है कि उन्हें न्याय नहीं मिला है तो वे बड़ी अदालतों में जा सकते हैं लेकिन इस तरह के खून फसाद व आगजनी कतई बर्दास्त नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने याद दिलाया कि उच्च न्यायालय ने पहले ही प्रशासन को सख्ती से निपटने का आदेश दिया था लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इसमें नाकाम रहे . उन्होंने पुलिस अधिकारी व इंटेलिजेंस की भूमिका पर सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा कि इसमें साफ़ तौर पर अधिकारियों की लापरवाही दिखी. बड़ी संख्या में लोगों को एकत्रित होने देना ही उनकी बड़ी खामी रही. इससे प्रदेश को आज जान माल का खतरा हुआ. उन्होंने कहा ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
आर डब्ल्यू सेक्टर 4 गुरुग्राम के प्रेसिडेंट जे एन यादव
क्या है मानना ?
आर डब्ल्यू सेक्टर 4 गुरुग्राम के प्रेसिडेंट जे एन यादव ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि सरकार ने तो स्थिति को शांतिपूर्ण निपटाने की पूरी कोशिश की लेकिन डेरा प्रेमियों ने कानून हाथ में ले लिया. जो घटना हुयी वह दुखद है. उनका मानना है कि जब बड़ी संख्या में भीड़ इकट्ठी हो तो कई बार स्थिति अनियंत्रित हो जाती है. राम रहीम के समर्थकों को शांति बनाये रखनी चाहिए थी. उन्हें यह समझने की जरूरत है कि न्यायालय को कोई चुनौती नहीं दे सकता. अदालती विवाद का हल हिंसा से नहीं बल्कि अहिंसा से संभव है. अदालत में अपील का प्रावधान है कोई भी आगे अपील कर सकता है.
आरडब्ल्यूए सेक्टर 3,5, और 6 के प्रधान दिनेश वशिष्ठ ने कहा, धारा 144 पर अमल नहीं :
आर डब्ल्यू ए सेक्टर 3,5, और 6 के प्रधान दिनेश वशिष्ठ का मानना है कि अदालत के फैसले को लेकर बवाल खड़ा करना गैरकानूनी ही नहीं अनैतिक भी है. उन्होंने कहा कि पुलिस की सबसे बड़ी भूल थी इतनी बड़ी संख्या में राम राहीम के अनुयायियों को पंचकूला में एकत्र होने देना. इस तरह के मामले को संवेदनशीलता से लेने की जरूरत थी. इसमें कुछ कमी रही जिसका दुरपयोग डेरा समर्थकों ने किया. हत्या व आगजनी सर्वथा गलत कदम है, इससे उक्त संस्था का नाम भी ख़राब हुआ और प्रदेश की छवि को भी धक्का लगा. उन्होंने माना कि धारा 144 तो लागू की गयी लेकिन उसके अनुरूप अमल नहीं हुआ जिससे आज इतनी बड़ी घट्ना हो गयो जिसमें दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गयी और 200 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं.
सरकार ने पिछली घटनाओं से सबक नहीं ली : समाजसेवी कुलदीप जांघू
मारुती कर्मचारी यूनियन के नेता व समाजसेवी कुलदीप जांघू ने अदलत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि भारत में अदालत ही एक फोरम है जहाँ निष्पक्ष फैसले होते हैं. राम रहीम को रेप मामले में दोषी करार देने के बाद प्रदेश के पंचकूला, सिरसा व अन्य क्षेत्रों में उत्पन्न स्थिति पर उनका कहना है कि सच्चा सौदा के समर्थकों ने नाहक ही कानून को हाथ में लिया. उन्होंने सरकार से मांग की कि ऐसे उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही इसकी जिम्मेदारी भी तय करनी चाहिए कि इस हालत के लिए कौन जिम्मेदार है ? उन्होंने कहा कि सरकार व प्रशासन दोनों स्तर पर खामी रही .
इससे पूर्व जाट आन्दोलन के दौरान बने हालात की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पिछली घटनाओं से सरकार ने सबक नहीं ली और फिर वही हालत बन गई. तब भी इनसे स्थिति नहीं संभाली थी. उन्होंने सवाल किया कि लाखों लोगों को पंचकुला में क्यों पहुँचने दिया. सरकार इन्हें पहले ही रोक सकती थी या वहां से हटा सकती थी. सरकार का ख़ुफ़िया तंत्र क्या कर रहा था ? सरकार ने स्कूल, अस्पताल, सरकारी दफ्तर एवं अन्य भवनों की सुरक्षा क्यों नहीं बढाई ? आधुनिक तकनीक का उपयोग कर इनकी गतिविधियों पर पुलिस नजर रख सकती थी . उन्होंने कहा कि इन घटनाओं से लगता है कि हमारी मानसिकता अभी विकासशील देशों की तरह है. हम 2021 में विकसित होने का सपना देख रहे हैं लेकिन इस प्रकार की घटनाओं से कभी वहां नहीं पहुच सकते हैं.