हरियाणा बार-बार जल रहा था और खट्टर जी…

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सौरभ भारद्वाज।।

तीसरी बार हरियाणा सरकार बड़ी परीक्षा में फेल हो गई है। निश्चित रूप से वह ईमानदार मुख्य मंत्री हैं। लेकिन कुशल प्रशासक होने के लिए सिर्फ इतना ही काफी नहीं होता। उसके लिए कुछ अतिरिक्त योग्यताएं चाहियें। बाबा रामपाल के मामले में अफसरों को उपद्रवियों पर गोली चलाने का आदेश नहीं मिला। जाट आंदोलन में हरियाणा जला लेकिन उपद्रवियों पर सख्ती नहीं हुई। अब डेरा समर्थकों के आगे सरकार फिर फ्लॉप हुई। 25 आदमी मरे हैं साहब। और यह तो तब है जब अदालत ने पहले ही चौकस रहने की हिदायत दी थी। धारा 144 लगने के बावजूद लाखों लोग पंचकूला में कैसे इकट्ठे हुए। आप के सूचना तंत्र की छोड़िये मीडिया ने चिल्ला चिल्ला कर बताया कि इकट्ठे हो रहे हैं पर आप न माने। कोई आदेश न दिया। पुलिस अक्षम थी तो कह देते सेना भेज दो, तोड़ दो प्रदर्शनकारियों के हाथ पैर, पर आप से न हुआ खट्टर जी।
पिछले तीन सालों में हरियाणा में सिर्फ अफसरों के तबादले हुए। इसके कारण अगर सरकार से पूछें तो सिर्फ एक जवाब मिलता है कि तबादले करना सरकार का अधिकार है। लेकिन अंदर की खबर यह है कि खट्टर सरकार को 1000 से ज़्यादा दिन बीतने के बाद भी समझ नहीं आ रहा कि प्रदेश चले कैसे यहां अमन चैन बचे कैसे। मुझे यह कहते में कभी संकोच नहीं होता कि खट्टर सरकार अब तक कि सबसे अलोकप्रिय सरकार है। मोदी जी 2019 का इलेक्शन सिर्फ 600 दिन बाद है कहीं ऐसा न हो कि हरियाणा की जनता इसका नजला आप पर उतार दे। अब ये न कहियेगा कि इसमें विपक्षियों की मिली भगत है। सोचिये सम्पन्न हरियाणा क्यों जल रहा है।

लेखक वरिष्ठ स्तंभकार  हैं ! 

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