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चण्डीगढ़, 6 अप्रैल : हरियाणा सरकार ने 15 चिकित्सा अधिकारियों को स्नाकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, रोहतक से सत्र-2017 के लिए स्नातकोत्तर कोर्स (एमडी, एमएस व डिप्लोमा) करने हेतु अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रदान किए हैं ।
स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि जिन चिकित्सा अधिकारियों को स्नातकोत्तर कोर्स करने के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए हैं उनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मंदाना (नारनौल) से डॉ. संगीता यादव, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सांपला (रोहतक)से डॉ.सुनील कुमार, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनियानी (रोहतक) से डॉ. सुनील अरोड़ा, नागरिक अस्पताल, रोहतक से डॉ. सीमा वर्मा, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बुढ़वाल (नारनौल) से डॉ.जतिन्द्र कुमार, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनगांव (फरीदाबाद) से डॉ. राकेश कुमार, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बेगा (सोनीपत) से डॉ. वीरेन्द्र सिंह, नागरिक अस्पताल, रेवाड़ी से डॉ. जोगेन्द्र तंवर, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मोरनी (पंचकूला) से डॉ. विजय कुमार मेहरा, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र डबवाली (सिरसा) से डॉ. कीर्ति गुप्ता, सैक्टर-3 पॉलिक्लिनिक, रोहतक से डॉ. कोमल सिंघानिया, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र डीघल (झज्जर) से डॉ. अंकित कुमार, नागरिक अस्पताल सिवानी (भिवानी) से डॉ. सुनील भाटी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नूरपुर (अम्बाला) से डॉ. हरमिन्द्र सिंह और नागरिक अस्पताल नारायणगढ़ से डॉ. हेमन्त कुमार शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि यदि इन चिकित्सा अधिकारियों का चयन स्नातकोत्तर कोर्स (एमडी, एमएस व डिप्लोमा) के लिए हो जाता है तो इन्हें आरक्षित या ओपन सीट के लिए हरियाणा में कम से कम सात वर्ष की सेवा करने या 25 लाख रुपये की राशि सरकारी खजाने में जमा करवाने का बॉण्ड भरना होगा। इसी प्रकार, डिप्लोमा कोर्स करने के लिए उन्हें हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसिज कॉडर में कम से कम पांच वर्ष तक सेवा करने या 10 लाख रुपये की राशि सरकारी खजाने में जमा करवाने का बॉण्ड भरना होगा।
उन्होंने बताया कि इन चिकित्सा अधिकारियों को पीजी पॉलिसी दिनांक 23/27-12-2011 में वर्णित 29 स्ट्रीम में ही स्नाकोत्तर कोर्स करने की अवधि का पूर्ण वेतन मिलेगा तथा इस अवधि को सभी उद्देश्यों के लिए गिना जाएगा। ऐसे चिकित्सा अधिकारी को सम्बन्धित संस्था से जो भी स्टाइफण्ड मिलेगा, वह उसे सरकारी खजाने में जमा करवाना होगा। ओपन सीट के अन्तर्गत यदि 15 सीटें पूरी हो जाती हंै तो चिकित्सा अधिकारी को बिना वेतन के ही अवकाश पर जाना होगा। उन्होंने बताया कि यदि कोई चिकित्सा अधिकारी ये कोर्स ज्वाइन करने के बाद कोर्स पूर्ण नहीं करता तथा उसे बीच में ही छोड़ देता है तो कोर्स के लिए भारमुक्त करने की तिथि से पुन: सेवा ज्वाइन करने की तिथि तक की अवधि को किसी भी उद्देश्य के लिए नहीं गिना जाएगा। इसके अतिरिक्त, उसे अगले पांच वर्ष तक उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि ये कोर्स करने के उपरान्त चिकित्सा अधिकारी शैक्षणिक आधार पर किसी प्रकार से उच्च पद के लिए नियमों से परे पदोन्नति या किसी अतिरिक्त वेतन वृद्घि की मांग नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि भारमुक्त होने से पूर्व उस अधिकारी को एमबीबीएस की अपनी मूल डिग्री तथा बॉण्ड भरकर निदेशालय में जमा करवाना होगा।