• दिल्ली सरकार के एक साल पूरा होने के विज्ञापन का 80 फ़ीसदी ख़र्चा राज्य से बाहर
• सरकारी विज्ञापन का राजनीतिक उपयोग ना करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन
• सरकारी विज्ञापनों में किये गए दावे भी झूठे, ग़ैर-क़ानूनी व अनैतिक
आर एस चौहान
नई दिल्ली : सीएजी की फ़ाइनल रिपोर्ट आ गयी है जिसमें दिल्ली सरकार के जवाब को ख़ारिज करते हुए सरकार द्वारा किये गए ख़र्चे को अनियमित और काल्पनिक बताया गया है। याद रहे दिल्ली में आम आदमी पार्टी की उन्हीं लोगों की सरकार है जो आंदोलन के समय सीएजी की रिपोर्ट का हवाला देकर दूसरी सरकारों की अनियमितताओं पर घेरते थे। दुःख की बात ये है कि आज जब इनके ऊपर सीएजी ने सवाल उठाए हैं तो यह कहते हैं कि सीएजी वाले मिले हुए हैं। हक़ीक़त ये है कि इसी रिपोर्ट में शीला दीक्षित की सरकार के समय में हुई अनियमितताओं को भी उजागर किया गया है।
रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली सरकार ने अपने विज्ञापन के खर्चे का 80 फ़ीसदी हिस्सा राज्य से बाहर ख़र्च किया है। सीएजी द्वारा पूछने पर दिल्ली सरकार ने हास्यास्पद जवाब दिया कि ऐसा दिल्ली में व्यापार और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए किया गया। जबकि अधिकतर कैंपेन पँजाब, हिमाचल, उत्तराखंड और गुजरात जैसे चुनावी राज्यों में किया गया। सरकारी विज्ञापन में पार्टी का नाम, किसी नेता का क़द बढ़ाने वाले पोस्टर, चुनाव चिह्न झाड़ू का प्रयोग, दिल्ली सरकार को केजरीवाल सरकार बताना – जैसे कितने निर्देशों का उल्लंघन सीएजी ने पाया है।
एक सनसनीख़ेज़ ख़ुलासे में सीएजी ने बताया है कि दिल्ली सरकार ने जो बड़े प्रोजेक्ट में पैसा बचा लेने का दावा किया है वे भी झूठा है। ऐसे दावे का ठोस आधार पूछने पर सरकार ने कहा कि अभी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है इसलिए विवरण उपलब्ध नहीं है। इस तरह दिल्ली सरकार ने झूठा, ग़ैरक़ानूनी और जनता के पैसे के साथ खिलवाड़ करने वाला अनैतिक काम किया है।
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने कहा, “मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के ये कारनामे राजनीतिक भ्रष्टाचार, बेशर्मी और अनैतिकता का नमूना है। कहीं ऐसा न हो कि कल को जब केजरीवाल सच बोले तो भी दिल्ली के लोग उनपर भरोसा न करें!”