अर्थ व्यवस्था को स्वच्छ व मजबूत करेगा बजट : अनुराग बख्शी

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गुरूग्राम । आम बजट और रेल बजट अलग-अलग पेश करने की 92 वर्ष पुरानी परम्परा को तोडते हुए वित्तमंत्री अरूण जेटली ने वर्ष 2017-18 के लिए 21 लाख 47 हजार करोड का सांझा बजट पेश किया। सरकार के ऐतिहासिक नोटबंदी के फैसले के बाद पेश पहले बजट से कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आये। जिनसे नोटबंदी की आवश्यकता और प्रमाणिकता पर मुहर लगती है। शायद पहली बार किसी वित्तमंत्री ने खुलकर कहा कि देश में कर चोरी करने वालों की संख्या ज्यादा है ओर कर न देना जैसे आम बात है।

 

विमुद्रीकरण के बाद व्यक्तिगत आय पर लगने वाले अग्रिम कर भुगतान में 34.8 फीसदी की वृद्धि नोटबंदी के दूरगामी परिणामों का संकेत है। यह कहना है आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और पूर्व आईआरएस अनुराग बख्शी का। बजट पर अपनी विस्तृत प्रतिक्रिया देते हुए बख्शी ने कहा कि 125 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में कुल 4.2 करोड़ लोग आयकर रिटर्न भरते हैं। जिसमें से 1.72 करोड़ वेतन पाने वाले कर्मचारी है।

 

कुल आबादी में से केवल 1.5 फीसदी (1.9 करोड) लोग आयकर भरते हैं। इस 1 करोड 90 लाख लोगों में से 90 फीसदी लोग कुल आयकर प्राप्ति का केवल 23 फीसदी भरते हैं और शेष 10 फीसदी लोग बाकी का 77 फीसदी आयकर जमा कराते हैं। यानि की आबादी का 98.5 फीसदी हिस्सा कोई आयकर नहीं भरता। बख्शी ने बताया कि वर्ष 2002-03 में आयकर भरने वालों की संख्या 2.7 करोड थी लेकिन आयकर में मिलने वाली छूट के चलते वर्ष 2014-15 में ये घटकर 1.90 करोड रह गई, जबकि इसी काल में आयकर प्राप्ति 36858 करोड से बढकर 258326 करोड हो गई।
लोगों की अनुमानित आय और आयकर प्राप्ति में दिखने वाली भारी विषमता पर बोलते हुए बख्शी ने कहा कि केवल 24 लाख लोगों ने अपनी वार्षिक आय 10 लाख रूपए से अधिक बताई है और केवल एक लाख 72000 लोगों ने अपनी वार्षिक आय 50 लाख से अधिक बताई है। आंकडे बताते हैं कि आयकर भरने वालों में अधिक संख्या वेतन भोगी कर्मचारियों की है। देश में केवल 76 लाख व्यक्तिगत आयकर रिर्टन भरने वालें लोग है जिन्होंने अपनी वार्षिक आय 5 लाख रूपए से अधिक बताई है। इनमें से 56 लाख लोग वेतन पाने वाले कर्मचारी है। बख्शी ने कहा कि ये आंकडे साफ दिखाते हैं कि कर चोरी करने वालों का बोझ ईमानदार लोगों पर पडता है। अन्यथा जिस देश में पिछले पांच सालों में 1.25 करोड कारें बिकी हो और अकेले वर्ष 2015 में दो करोड लोगों ने विदेश यात्रा की हो, वहां आयकर भरने वालों की यह तस्वीर नहीं हो सकती।
बख्शी ने बताया कि कर और सकल घरेलू उत्पाद (टैक्स टू जीडीपी) अनुपात एक स्थापित मापदण्ड है कर अदायगी में ईमानदारी मापने का, यदि हम दुनिया के देशों से अपनी तुलना करें तो हम पाएंगे कि इस दिशा में 16.7 फीसदी दर पर भारत घाना (16.1 फीसदी) और तंजानियां (16.8 फीसदी) के साथ खडा है। जबकि अमेरीका 25.4 फीसदी, रूस 34.8 फीसदी और फ्रंास 45 फीसदी दर पर हमसें कहीं आगे हैं।
बख्शी ने कहा कि इसी विषमता को ठीक करने की दिशा में वित्तमंत्री द्वारा बजट में सकारात्मक कदम उठाए गए हैं। ईमानदारी से टैक्स देने वाले निम्र माध्यम वर्ग को बडी राहत दी गई है। अब 3 लाख तक की आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा। जबकि 3-5 लाख तक की आमदनी पर 10 फीसदी की बजाए अब 5 फीसदी टैक्स देना होगा। 50 लाख से 1 करोड की आमदनी पर अब 10 फीसदी सरचार्ज लगेगा।
कर चोरी पर लगाम कसने के इरादे से अब कैश लेन देन की सीमा तीन लाख होगी और कर चोरी की समपत्तियां कुर्क करने के लिए अलग से कानुन बनेगा।
राजनैतिक दलों द्वारा इक्_ा किए जाने वाले चंदों में र्भी पारदर्शिता लाने का प्रयास सराहनीय है। पिछले 10 सालों में 94 फीसदी तक चंदे के स्त्रोत राजनीतिक पार्टियों ने नकद में दिखाते हुए अज्ञात बताए हैं। इस पर लगाम कसने के इरादे से अब पार्टियां एक व्यक्ति से केवल दो हजार रूपए तक हो नकद में चंदा ले सकेगी। कारपोरेट घरानों के चंदे में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से चुनावी बाण्ड जारी करने की भी घोषणा की गई है।

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