गुरुग्राम में हिंदू अध्यात्मिक एवं सेवा मेला का समापन
परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह को किया सम्मानित
गुरुग्राम। प्राकृतिक वंदन से शुरू हुआ हिंदू अध्यात्मिक एवं सेवा मेला रविवार को परमवीर वंदन के साथ समाप्त हो गया। हजारों सैनिकों की मौजूदगी में सीमा पर देश की रक्षा करते हुए दुश्मनों से लोहा लेकर परमवीर चक्र पाने वाले कैप्टन बाना सिंह को सम्मानित किया गया। साथ ही लगभग 5000 पूर्व सैनिकों का वंदन भी किया गया। दुश्मनों को नाकों चने चबाने वाले बाना सिंह ने परमवीर वंदन कार्यक्रम में जैसे ही प्रवेश किया, भारत माता जिंदाबाद के नारों से पूरा मेला परिसर गूंज उठा।
इस जोश को परमवीर बाना सिंह ने बरकरार रखते हुए कहा हमें तोडऩे का सपना देखने वाले पाकिस्तान के टुकड़े करना जरूरी है और ऐसा होकर रहेगा। उन्होंने दुश्मनों से लोहा लेने वाली वह कहानी भी अपने मूंह से उपस्थित हजारों लोगों को बताई, जिसके कारण भारत सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया। कैप्टन बाना सिंह ने कहा कि 13 अपै्रल 1987 को हमारी प्लाटून सियाचीन में थी। 1500 फुट पर 90 डिग्री का स्लोप था, जहां हमें पहुंचना था। चढ़ाई शुरू करते ही दुश्मनों ने फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें आठ जवान शहीद हुए। इसके बाद जंग जीतने की योजना बनाई गई और हमनें दुश्मनों के दांत खट्टे किए।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बक्शी ने भी देश के दुश्मनों को चेताया और देश के युवाओं से देश के लिए बलिदान देने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। जीडी बक्शी ने कहा कि हमारी कुछ कमजोरियों के कारण दुश्मन हमारें देश में आतंक फैलाने में कामयाब हो रहा है, लेकिन देश के युवाओं को चाहिए वे इन कमजोरियों को दूर कर देश भक्ति में कैप्टन बाना सिंह जैसा उदाहरण पेश करें। परमवीर वंदन जैसे कार्यक्रम की सराहना करते हुए बक्शी ने कहा कि हरियाणा की वीरभूमि पर पहली बार पराक्रम का ऐसा कार्यक्रम आयोजित हुआ है, जो अध्यात्म और सैन्य शक्ति का अद्भुत संगम है। देश में आज अगर किसी भावना की जरूरत है तो वीर भावना की। आदिकाल से प्रदेश गीता के ज्ञान और शौर्य का गवाह बना था और आज गुरुग्राम अध्यात्म और सेवा का गवाह बना है।
कश्मीर तो होगा पर पाकिस्तान नहीं होगा: साध्वी ऋतम्भरा
परमवीर वंदन और हिंदू अध्यात्मिक एवं सेवा मेले के समापन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए साधवी ऋतम्भरा भी पाकिस्तान पर बरसी। उन्होंने कहा कि कश्मीर केा लेकर पाकिस्तान नापाक सपने देख रहा है, लेकिन उनके मंसूबे कभी पूरे नहीं होंगे। कश्मीर तो होगा, लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे ही समाज में ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें फिल्म स्टारों के नाम तो याद है, लेकिन अपने देश के वीर सैनिकों के रूप में सच्चे सुपर स्टारों के नाम याद नहीं है। दुनिया में भारत की श्रेष्ठ संस्कृति होने के बाद भी हम पाश्चात्य की ओर भाग रहे हैं।
इस सोच को बदलना होगा। भारत की त्याग-तपस्या और बलिदान की परम्परा को आत्मसात करने की आवश्यकता है। ये मेला इसी का स्वरूप बन रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग सोचते हैं कि सेना में जाकर बलिदान हो जाएंगे मैं उनके लिए कहती हूं कि मरने से डरने वाले को जीन का अधिकार नहीं है। उन्होंने अध्यात्मिक सेवा मेला पर बोलते हुए कहा कि भारत में सेवा कार्यों की अनंत श्रृंखला है, लेकिन दुर्भाज्य यह है कि हमें प्राकृतिक वंदन की आवश्यकता पड़ रही है, जबकि हमारी परम्परा में दिन की शुरूआत ही प्रकृति पूजा से होती है। ये इस देश को ही पाषाण को प्राण देने की कला प्राप्त है। इसलिए हमें अपनी सभ्यता संस्कृति पर सदैव गर्व होना चाहिए।
परमवीर बाना सिंह की फिल्म देखकर फडक़ने लगी उपस्थित लोगों की भुजाएं
मंच पर जब परमवीर चक्र विजेता आए तो पूरा सभागार तालियों और भारत मां के जयकारों से गूंज उठा। यह वीरों की गाथा का असर ही था कि आज मेला परिसर खचा खच भरा हुआ था। मेले में पहुंचे फरीदाबाद पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भीम सिंह, कैप्टन बीएस पासवान, हवलदार वेदपाल, हवलदार गिरीराज ने कहा कि आजादी के सात दशक बाद भी इस मेले में देश की असल तस्वीर दिखाई दी है। सैनिकों को यह सम्मान मिलना चाहिए।
जब तक देश में सैनिकों का सम्मान नहीं होगा तब तक नई पीढ़ी सैनिक परम्परा से नहीं जुड़ पाएगी। उन्होंने कहा कि परमवीर वंदन कार्यक्रम में पहुंचकर उनका सेना में जाना सार्थक हो गया। इस कार्यक्रम में अब तक 21 परमवीर चक्र विजेताओं की शौर्य गाथा की चलचित्र के माध्यम से झलक दिखाई जा रही थी तो मेले में मौजूद हर शख्स की आंखों में श्रृद्धा से नम थी। हर कोई कह रहा था यही है असली राष्ट्र नायक।