के.आर. मंगलम विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस शुरू
गुरुग्राम : के.आर. मंगलम विश्वविद्यालय परिसर में आज दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ हुआ। कांफ्रेंस का उद्घाटन विश्वविद्यालय के चांसलर, प्रो. के.के. अग्रवाल, वाइस चांसलर प्रो. के.के. मित्तल, समन्वयक डॉ. ओम्ना एंटनी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. भीम सिंह दहिया ने दीप प्रज्जवलित करके किया। इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का शीर्षक है : अंग्रेजी भाषा, साहित्य और संचार : नवाचार और शिक्षण अनुप्रयोग।
कांफ्रेंस में विश्वविद्यालय के चांसलर, प्रो. के.के. अग्रवाल ने कहा कि ”साहित्य और विज्ञान में सामंजस्य बनाने की आवश्यकता है। साहित्य कल्पना करता है और विज्ञान अपनी तकनीक की बदौलत उस सपने को साकार करता है।”कांफ्रेंस में देश-विदेश से करीब 150 से अधिक प्रोफेसर, शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी शिरकत कर रहे हैं।
कांफ्रेंस के मुख्य अतिथि एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. भीम सिंह दहिया ने कांफ्रेंस के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तरह कार्यक्रम अन्य विश्वविद्यालयों को भी जागरूक करेंगे और शिक्षण पद्धति एवं अकादमिक जगत में अमूल्य योगदान देंगे।
कांफ्रेंस में अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि केकी एन. दारुवाला एक कार्यशाला का भी आयोजन कर रहे हैं। श्री दारुवाला ने उपस्थित गणमान्यों को संबोधित करते हुआ कहा कि ”साहित्य से सभी लोगों को परिचित होना आवश्यक है। साहित्य ही स्वस्थ समाज का निर्माण करता है।”कांफ्रेंस में देश-विदेश से उपस्थित प्रतिभागियों एवं अतिथियों का कला संकाय की डीन डॉ. ओम्ना एंटनी ने स्वागत किया और कहा कि इस तरह के कांफ्रेंस से भारतीय संस्कृति और साहित्य को नई दिशा मिलेगी। कांफ्रेंस में बीस (20) से अधिक देशों के 150 से अधिक प्रतिभागी शिरकत कर रहे हैं।
कांफ्रेंस में साइप्रस यूनीवर्सिटी के प्रो. स्टेफेनोस,स्पेन के सीज़र लॉरेंटो, सेनिगल के श्री गना स्नो, कोलंबिया के श्री एरिक साट्स और पेरू के श्री डियेगी वालडिनिया ने एक पैनल परिचर्चा में शिरकत की। पैनल परिचर्चा में प्रो. स्टेफेनोसने कहा कि वे भारत के ज्ञान से प्रभावित हैं और उम्मीद करते हैं कि भविष्य में भारत एक बार फिर दुनिया को नई राह दिखायेगा।स्पेन के श्री सीज़र लॉरेंटोने कहा कि सोशल मीडिया के आने के बाद से भाषा और साहित्य में काफी बदलाव आ रहे हैं। इस कांफ्रेंस में हुई समग्र चर्चा भाषा और संचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
विश्वविद्यालय के उप-कुलपति डॉ. सुभाष गुप्ता ने कांफ्रेंस में आये अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए छह समांतर सत्र चलाये जा रहे हैं। आये सभी अतिथियों के रहने व खाने-पीने व स्थानीय दर्शनीय स्थलों में भ्रमण की उपयुक्त व्यवस्था की गयी है। कांफ्रेंस में डॉ. बृजेश कुमार, डॉ. अरुण गर्ग, आई.आई.टी. दिल्ली की प्रोफेसर रुक्मिणी भाया नायर, प्रोफेसर अमि उपाध्याय, डॉ. उषा वांदे, डॉ. कीर्ति कपूर, डॉ. पूर्णिमा एवं अन्य गणमान्य विद्वतजनों ने शिरकत की।
के.आर. मंगलम विश्वविद्यालय में समय-समय पर छात्रों और शिक्षकों के समेकित विकास के लिए इस तरह के आयोजन किये जाते हैं। यह अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस भाषा एवं शिक्षण दोनों दृष्टि से राष्ट्रीय महत्व का है और यह शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में भी योगदान देगा।