बिलासपुर : न्यायपालिका में रिक्त पड़े स्थानों और बड़ी संख्या में विचाराधीन मामलों का मुद्दा एकबार फिर उठाते हुए देश के प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने रविवार को कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज करना जरुरी है । उल्लेखनीय है कि उन्होंने इस मसले को कई बार अपने भाषणों में पहले भी उठाया है।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने कमन कि देश में प्रति 10 लाख व्यक्ति पर केवल 12 न्यायाधीश हैं और कम से कम तीन करोड़ मामले अदालतों में लंबित हैं। न्यायाधीशों के रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया तेज करने की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया । न्यायमूर्ति यहां न्यायिक अधिकारियों के पहले राज्यस्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह आयोजन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय व राज्य न्यायिक अकादमी की ओर से किया गया था।
उनका कहना था कि विधि आयोग की 1987 की रिपोर्ट के अनुसार 40 हजार न्यायाधीशों की आवश्यकता थी, लेकिन आज जनसंख्या बढ़ने के बाद भी न्यायाधीशों की संख्या सिर्फ 18000 है। उन्होंने कहा कि अगर हालात में सुधार नहीं होता है तो अगले 15-20 साल में विचाराधीन मामलों की संख्या पांच करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी। ठाकुर ने इस बात पर बल दिया कि अगले पांच वर्षों में एक लक्ष्य निर्धारित कर नियुक्तियां की जा सकती हैं। ठाकुर ने स्पष्ट किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री के समक्ष भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई है।