दिल्ली में ओड-इवन वाहन योजना लागू होगी या नहीं : इसको लेकर क्या बोले दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ?

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-दिल्ली से बाहर की एप बेस्ड गाड़ियों पर भी लग सकती है रोक 

-दिल्ली का परिवहन विभाग जारी करेगा निर्देश 

 

सुभाष चौधरी /The Public World 

नई दिल्ली : दिल्ली में अब प्रदूषण नियंत्रण को लेकर ओड- इवन वाहन चलने की योजना अगले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के बाद लागू करने का निर्णय लिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पिछले वर्षों में दिल्ली में लागू की गई ओड- इवन योजना का वायू प्रदूषण पर क्या असर पडा था इसकी विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है. दो प्रमुख संस्थानों द्वारा इसका अध्ययन किया गया था जिसे दिल्ली सरकार कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेगी और कोर्ट के निर्देश के बाद ही इसे पुनः लागू किये जाने का निर्णय लिया जाएगा.

 

यह कहना है एनसीटी दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का. श्री राय आज एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर यह स्पष्ट किया कि ओड- इवन वाहन चलाने की योजना अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद आने वाला निर्णय एल जी के समक्ष रख्नेगे तभी यह योजना लागू की जाएगी. उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.  उल्लेखनीय है कि इस योजना के लेकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और शिकागो यूनिवर्सिटी ने जॉइंट स्टडी की थी जबकि दूसरी स्टडी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने की थी. दोनों रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जायेगी .

 

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि उत्तर भारत में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए कल सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश,राजस्थान, हरियाणा, पंजाब,दिल्ली और केंद्र सरकार की ओर से क्या-क्या कदम उठाये गए हैं अपनी रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है. कोर्ट ने काफी विस्तार से इस पर सुनवाई की और उसके बाद प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित कई अहम ऑर्डर दिए हैं .

 

मंत्री श्री राय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद जो ऑर्डर दिया उसका अध्ययन करने के बाद हमने उस ऑर्डर को दिल्ली में इंप्लीमेंट करने के लिए  संबंधित मंत्रियों और अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की . इस बैठक के बाद हमने कई निर्देश जारी किए हैं.

गोपाल राय ने कहा कि सबसे पहले तो मैं सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने दिल्ली के अंदर जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद और दिल्ली सरकार के कैबिनेट के निर्णय के पश्चात दिल्ली में लगाए गए कनॉट प्लेस के स्मोक टावर को डीपीसीसी के अध्यक्ष द्वारा मनमाने तरीके से बंद कर दिया गया था उसको खोलने का निर्देश दिया. साथ ही साथ डीपीसीसी के अध्यक्ष के द्वारा रियल टाइम सोर्स ऑफ़ स्टडी जो सरकार के द्वारा शुरू की गई थी उसको भी ठप कर दिया गया था उसको भी पुनः चालू करने और रियल टाइम डाटा को पब्लिक करने का जो आर्डर दिया है इसके लिए तहे दिल से दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट का शुक्रगुजार है. उन्होंने कहा कि  पिछले एक हफ्ते से हम केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर  विनती कर रहे थे. मैंने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र भी लिखा. आज जो प्रदूषण की स्थिति है पूरे उत्तर भारत की है और जब तक यह सम्बंधित पांच राज्य और केंद्र सरकार के साथ मिलकर संयुक्त रूप से अपनी कार्य योजना को बनाने में और उसे कार्य योजना को जमीनी हकीकत पहुंचने में सक्रिय नहीं होंगे तब तक प्रदूषण की जो स्थिति है उसको नियंत्रित करना काफी कठिन काम है.

 

उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली के अंदर लगातार ग्रेड  वन और ग्रेड 2, ग्रेड 3 हो सभी के नियमों को सख्ती  के साथ लागू कर रहे हैं लेकिन हमारे चारों तरफ सभी राज्य सरकारें उदासीन और निष्क्रियता के साथ हाथ पर हाथ रखकर बैठी हैं. सेंट्रल गवर्नमेंट चुप्पी साध कर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटी हुई . उन्होंने यह कहते हुए उम्मीद जताई कि “ मुझे लगता है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद इनकी संयुक्त बैठक होगी और सभी राज्यों में इंप्लीमेंटेशन पर फोकस किया जाएगा.

 

दीवालों पर पटाखे पर प्रतिबन्ध की चर्चा करते गोपाल राय ने कहा कि दिवाली के लिए पटाखों पर प्रतिबंध दिल्ली में लगाया गया है. पिछले एक महीने से निरंतर इस बात के लिए मैं जोर दे रहा हूं कि जो हमारे चारों तरफ अन्य राज्य हैं वहां पर पटाखों पर प्रतिबंध लगाया जाए . लेकिन कोई ना सुनने को तैयार है ना कोई बोलने को तैयार है. जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है , वहाँ तो ऐसा लगता है कि जैसे उनके लिए प्रदूषण कोई मायने नहीं रखता है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्य सरकारों का एक ही फार्मूला है बयानबाजी. सुबह उठते हैं एक प्रश्नोत्तरी करते हैं और प्रदूषण उनका काम हो जाता है.  उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह क्लियर किया कि यह जो पटाखे पर प्रतिबंध का आदेश वह पूरे देश के लिए है. सभी लोग इसको लागू करें. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि “मुझे लगता है कि शायद हमारी अपील का हमारे निवेदन का तो कोई असर नहीं हुआ लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का असर होगा और कम से कम जो इस विपरीत मौसम की स्थिति है, हवा की जो स्थिति है इसमें शायद जो दिवाली का एक खतरा बढ़ रहा है, स्थिति और खतरनाक ना हो. हमें सहूलियत मिल पाएगी.

 

उन्होंने बताया कि सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात को भी नोट किया कि एनसीआर के राज्यों को अलग-अलग फ्यूल पर चलने वाली गाड़ियों के लिए स्टीकर लगाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कल रिमार्क दिया कि दिल्ली अकेला राज्य है जिसने इस टास्क को पूरा किया किसी और राज्य ने इसको भी लागू करना जरूरी नहीं समझा .

 

 

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के लिए जो निर्देश दिया उस पर बैठक कर हमने निर्देश जारी किया है.  उन्होंने स्पष्ट किया कि स्माग टावर को फुल कैपेसिटी में स्टार्ट करने का डीपीसीसी को निर्देश दिया गया है. रियल टाइम सोर्स स्टडी करने वाली संस्था को कल तक भुगतान कर चालू किया जाएगा . सुप्रीम कोर्ट ने आर्डर में ऑब्जरवेशन दिया है  कि इस समय खास तौर से जो लोकल बर्निंग की घटनाएं होती है जिससे बायोमास बढ़ाने की घटनाएं होती हैं उस पर कार्रवाई की जाए.  उसके लिए आज डीपीसीसी और रेवेन्यू विभाग की 611टीमें बनाई गई है. उनको कल से एंटी ओपन बर्निंग ड्राइव चलाने का निर्देश दिया गया है. उनके अनुसार कोर्ट ने बाहर से दिल्ली आने वाले एप बेस्ड बाहर टैक्सियां पर भी प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है.

 

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्षों में ओड इवन योजना को लेकर जो स्टडीज की गई थी उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने  इसको लेकर की गई दो बड़ी स्टडीज की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है. उनका कहना था कि इस योजना के लेकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और शिकागो विश्वविद्यालय ने जॉइंट स्टडी की थी जबकि दूसरी स्टडी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने की थी.  दोनों स्टडी रिपोर्ट अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के सामने सबमिट करेंगे. उन्होंने यह साफ कर दिया कि  सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार होने वाली सुनवाई के बाद ही ओड इवन योजना लागू की जायेगी जबकि एप बेस्ड सभी गाड़ियां बंद की जायेंगी.

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