नई दिल्ली : पिछली समीक्षा बैठक में, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने संबंधित जिला अधिकारियों सहित राज्य सरकार को हॉटस्पॉट जिलों पर विशेष ध्यान देने के साथ जिला योजनाओं और राज्य कार्य योजना के प्रभावी, गहन और सख्त कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने तथा कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया। राज्य में पराली जलाने को खत्म करने के उद्देश्य से यह कार्य दैनिक आधार पर किया जाएगा।
हरियाणा के 22 जिलों में से 09 जिलों में पराली जलाने के 2022 के आंकड़ों के अनुसार खेतों में आग लगने की घटनाएं शून्य या बहुत कम हैं। चार जिलों अर्थात पलवल, पानीपत, रोहतक और सोनीपत के संबंध में, पिछले वर्ष खेत में आग लगने की घटनाओं को 100 से नीचे लाया गया है। हॉटस्पॉट जिले जहां खेतों में आग लगने की घटनाएं 500 से अधिक हैं, वे फतेहाबाद, कैथल और जींद हैं। सिरसा, कुरूक्षेत्र, करनाल, अम्बाला, यमुनानगर और हिसार अन्य चिंतनीय जिले हैं।
राज्य कार्य योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के माध्यम से हरियाणा में चालू वर्ष के धान की कटाई के मौसम के दौरान पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी की कल्पना करते हुए, एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने हाल ही में हरियाणा सरकार की तैयारियों का जायजा लिया है।
बैठक के दौरान, कृषि विभाग और पर्यावरण विभाग, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) और संबंधित जिला अधिकारियों सहित संबंधित विभागों के राज्य सरकार के सचिवों ने आयोग को सभी आवश्यक कदम, कार्रवाई और उपाय करने का आश्वासन दिया, ताकि वर्तमान धान कटाई के मौसम में पराली जलाने के मामले में भारी कमी लाने के लिए राज्य कार्य योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के बारे में पूरी गंभीरता से प्रयास किये जा सकें।
राज्य कार्य योजना के अनुसार, धान का कुल क्षेत्रफल 14.82 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है और गैर-बासमती धान की भूसी का उत्पादन 7.3 मिलियन टन से अधिक होने की उम्मीद है।
वर्तमान धान कटाई सीज़न के लिए कार्य योजना को अंतिम रूप देने और राज्य और जिला कार्य योजनाओं की तैयारियों और कार्यान्वयन की समीक्षा करने के उद्देश्य से सीएक्यूएम द्वारा पहले ही चार बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। इस वर्ष सीएक्यूएम ने राज्य कार्ययोजना के साथ जिलेवार कार्ययोजना भी मांगी है। सीएक्यूएम ने कार्य योजना के कड़ाई से कार्यान्वयन के लिए वैधानिक निर्देश भी जारी किए हैं।
नवीनतम समीक्षा बैठक के दौरान संबंधित जिलों के जिला अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि उनके संबंधित जिलों में इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के माध्यम से पराली के प्रबंधन के लिए प्रणाली मौजूद है।
चारे के रूप में भूसे के उपयोग और बायो-डीकंपोजर के माध्यम से भूसे के प्रबंधन के साथ-साथ मशीनरी की उपलब्धता की स्थिति पर भी विचार-विमर्श किया गया। हरियाणा में वर्तमान में 80,000 से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी हैं। मशीनों की समग्र उपलब्धता और नई मशीनों की खरीद की भी समीक्षा की गई। समीक्षा बैठक में मांग और आपूर्ति का आकलन करके मशीनों के भरपूर उपयोग पर दोबारा बल दिया गया।
खरीफ सीजन 2022 के लिए उपग्रह डेटा के आधार पर, एक्टिव फायर लोकेशन (एएफएल) के मामले में सूक्ष्म योजना के हिस्से के रूप में चालू वर्ष के लिए हॉट स्पॉट गांवों और जिलों की पहचान की गई है:
जोन | गांवों की संख्या |
रेड (6 और अधिक एएफएल) | 147 |
येलो (2-5 एएफएल) | 582 |
ग्रीन (0-1 एएफएल) | 6175 |
रेड जोन के अधिकांश गांव फतेहाबाद (49), कैथल (36), जींद (24), सिरसा (11) और करनाल (10) जिलों में स्थित हैं।
वर्तमान कटाई के मौसम के दौरान धान के अवशेष जलाने में पर्याप्त कमी लाने के लिए हरियाणा में विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहन और योजनाएं लागू की जा रही हैं, जो निम्नलिखित हैं-
धान की फसल के अवशेषों के इन-सीटू/एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन @ 1000/- रुपये प्रति एकड़;
मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत वैकल्पिक फसलों के साथ धान क्षेत्र के विविधीकरण के लिए प्रोत्साहन @ 7000/- रुपये प्रति एकड़;
चावल की सीधी बुआई अपनाने के लिए प्रोत्साहन @ 4000/-रुपये प्रति एकड़;
रेड जोन पंचायतों को जीरो बर्निंग लक्ष्य हासिल करने के लिए 1,00,000/- रुपये का अनुदान;
येलो जोन की पंचायतों को जीरो बर्निंग लक्ष्य हासिल करने के लिए 50,000/- रुपये रुपये का अनुदान;
गांठों का परिवहन शुल्क @ रु. 500/- प्रति एकड़ अधिकतम तक सीमित
गौशालाओं को 15,000/- रुपये;
2जी इथेनॉल संयंत्र के लिए चिन्हित समूहों को सब्सिडी प्रदान करने के विशेष प्रावधान;
धान फसल अवशेष की खरीद हेतु दरों का निर्धारण 2,500 रुपये प्रति टन।
राज्य सरकार ने पूसा बायो डीकंपोजर के माध्यम से पांच लाख एकड़ धान क्षेत्र का प्रबंधन करने की भी पहल की है और राज्य सरकार किसानों को मुफ्त में पूसा बायो डीकंपोजर किट प्रदान करेगी।
धान की पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए राज्य कार्य योजना लागू होने से, हरियाणा में इस वर्ष धान की पराली जलाने के मामलों में भारी गिरावट आने की उम्मीद है। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला अधिकारियों सहित राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं।
सीएक्यूएम ने बार-बार उपायुक्तों और एचएसपीसीबी सहित राज्य सरकार के अधिकारियों को राज्य कार्य योजना के प्रभावी और सख्त कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, खासकर उन जिलों में जहां पिछले साल आग की घटनाएं तुलनात्मक रूप से अधिक थीं, जैसे फतेहाबाद, जींद, कैथल, करनाल, कुरूक्षेत्र और सिरसा।