असम में बांस से बने पंडालों के साथ हुई गणेश पूजा

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नई दिल्ली : गणेश पूजा भारत में एक मनभावन उत्सव है, जो धार्मिक भक्ति से कहीं अधिक बढ़-चढ़कर है। आध्यात्मिक उत्साह के साथ-साथ गणेश पूजा पर्यावरण-अनुकूल व्यवहारों की आवश्यकता पर बल देते हुए स्थायी उत्सव का प्रतीक बन गई है। इन समारोहों में प्लास्टिक के पर्यावरणीय दुष्प्रभाव से बचने के लिए, कई राज्य अब स्थायी समाधान अपना रहे हैं। इस पर्यावरण-सचेत दृष्टिकोण के अनुरूप, असम ने परंपरा और पर्यावरणीय जिम्मेदारी, दोनों के लिए प्रतिबद्धता दिखाते हुए, बांस से बने पंडालों के साथ गणेश पूजा मनाने का विकल्प चुना।

मौजूदा स्वच्छता पखवाड़े के दौरान, डिगबोई नगर बोर्ड ने, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड के सहयोग से 19 से 21 सितंबर 2023 तक प्लास्टिक मुक्त गणेश पूजा का एक उल्लेखनीय उत्सव मनाया। यह कार्यक्रम डाक्का लाइन, आईओसी रोड के निकट के मनमोहक स्थान पर आयोजित किया गया। इसमें असमिया संस्कृति के सार को दर्शाया गया। उत्सवों से प्लास्टिक से बचने के क्रम में आयोजकों ने टिकाऊ और देशी संसाधन बांस को चुना। इस आयोजन में, बांस ने मूर्तियों के निर्माण, प्रवेश द्वार के निर्माण और प्रतिष्ठित जापी पगड़ी और खोराही टोकरियाँ जैसी विस्तृत पारंपरिक सजावट में मुख्य भूमिका निभाई। बांस के इस सरल उपयोग ने न केवल इस सामग्री की बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया, बल्कि निरंतरता की भावना को भी मूर्त रूप दिया।

हर दिन लगभग 200 लोग इस कार्यक्रम में आए, जिससे तीन दिवसीय समारोह में 600 व्यक्तियों की सामूहिक भागीदारी हुई। कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य एक ऐसा उत्सव मनाना था, जो लोगों को आध्यात्मिक रूप से स्फूर्ति का अनुभव कराए तथा उन्हें स्वच्छता अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी करे।

सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक प्लास्टिक की मालाओं के स्थान पर पारंपरिक असमिया कपड़ा, जिसे ‘गमोचा’ कहा जाता है, का उपयोग करना था। इन जीवंत कपड़ों में न केवल प्रामाणिकता थी, बल्कि वे बदलाव का भी प्रतीक बने। पंडाल के आवरण को भी कपड़े से बदल दिया गया था, और प्राकृतिक फूलों ने उनके प्लास्टिक विकल्पों की जगह ले ली, जिससे आयोजन स्थल एक मनमोहक सुगंध से भर गया।

स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने के सिलसिले में, पूरे मंडप परिसर में अलग-अलग कूड़ेदान सोच-समझकर रखे गए थे। इन कूड़ेदानों ने कचरे के उचित निपटान की सुविधा प्रदान की और जिम्मेदार अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया। शायद सबसे प्रभावशाली परिवर्तनों में से एक सभी प्रतिभागियों और कार्यक्रम की आयोजन समिति द्वारा सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध था। इस साहसिक कदम ने वास्तव में प्लास्टिक-मुक्त उत्सव बनाने के सामूहिक संकल्प को रेखांकित किया।

डिगबोई में प्लास्टिक मुक्त गणेश पूजा के उत्सव ने न केवल शहर की सांस्कृतिक विरासत को बल दिया, बल्कि जिम्मेदार कार्यक्रम प्रबंधन का एक शानदार उदाहरण भी स्थापित किया। इसने साबित किया कि परंपरा और स्वच्छता के प्रति समर्पण एक साथ हो सकते हैं। कार्यक्रम के संपन्न होते ही प्रतिभागियों के खुशी भरे चेहरों और प्राचीन परिवेश ने एक अमिट छाप छोड़ी, जिससे दूर-दूर के समुदायों को स्थायी उत्सवों की सुंदरता को अपनाने के लिए प्रेरणा मिली। पूरे देश में, स्वच्छता पखवाड़े के उत्साह ने हर नागरिक को मंत्रमुग्ध कर दिया है और अब तक दो करोड़ से अधिक नागरिक स्वच्छता आंदोलन में शामिल हो चुके हैं।

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