गुरुग्राम। 15 सितम्बर: गुरुग्राम विश्वविद्यालय एवं वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा द्वारा आज ‘स्वतंत्रता संग्राम में वनवासी वीरों का योगदान’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के परिसर में किया गया। इस अवसर पर वनवासी वीरों द्वारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम में वनवासी वीरो के योगदान पर प्रकाशित पुस्तिका ‘जनजाति गौरव’ का भी लोकार्पण किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय युवा प्रमुख वैभव सुरंगे के अतिरिक्त गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुल सचिव राजीव कुमार सिंह, व वनवासी कल्याण आश्रम के जिला अध्यक्ष जगदीश ग्रोवर भी उपस्थित रहे। इस विचार गोष्ठी की अध्यक्षता प्रख्यात शिक्षाविद पूर्व कुलपति एवं अशोक सिंघल वेद विज्ञानं विश्वविद्यालय के संस्थापक निदेशक डॉ अशोक दिवाकर ने की।
इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य वक्ता वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय युवा प्रमुख वैभव सुरंगे ने कहा की भारत के स्वतंत्रता अभियान में सुदूर वनवासी क्षेत्रो में रह रहे जनजातियों का विशेष योगदान रहा हालाँकि उनके बारे में इतिहास में ज़्यादा उल्लेख नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम का आरम्भ 1857 से लगभग 70 साल पहले बिहार के जंगलों में वनवासी समाज से आने वाले तिलका मांझी ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग की पहली शुरुआत कर दी थी। उनके अलावा बिरसा मुंडा, रानी गांडिल्यू व अन्य कई ऐसे नाम है जो भारत के वनवासी क्षत्रों से आते हैं तथा उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य योगदान दिय।
वैभव सुरंगे ने विश्विद्यालयों से आग्रह किया के वे इस क्षेत्र अनुसंधान कर इन तथ्यों को देश और दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करें।
इस अवसर पर नगर संघचालक यशपाल जी, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के उत्तर क्षेत्रीय नगरीय कार्य प्रमुख जय भगवान्, गुरुग्राम के विभाग संयोजक जगदीश कुकरेजा, वरिष्ठ कार्यकर्त्ता श्रीनिवास जी व गुरुग्राम कार्यकारिणी के सदस्य भी उपस्थित थे।