नई दिल्ली : केद्रीय शिक्षा और कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज नई दिल्ली से गैबॉन की पहली कृषि-एसईजेड (विशेष आर्थिक क्षेत्र) परियोजना को झंडी दिखाई। परियोजना तकनीकी और ज्ञान भागीदार के रूप में सेंचुरियन विश्वविद्यालय के साथ एओएम समूह द्वारा कार्यान्वित की जाएगी। कार्यक्रम के प्रथम चरण में 30 किसान एवं गजपति जिले के 20 बी.एससी./एम.एससी. एग्री और बी.टेक/एम.टेक इंजीनियरिंग के छात्र इस परियोजना के तहत विकसित किए जा रहे कृषि एसईजेड के लिए कृषि-तकनीकी और तकनीकी सलाहकार के रूप में एक साथ यात्रा करेंगे। गौरतलब है कि गजपति ओडिशा का एक आकांक्षी जिला (एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट) है।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री प्रधान ने कहा कि गजपति से गैबॉन तक, चीतों से लेकर जलवायु परिवर्तन तक, भारत-अफ्रीका संबंध लगातार मजबूत होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज की यह शुरुआत उस रिश्ते में एक नया अध्याय जोड़ेगी। उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि गैबॉन में एक कृषि और खाद्य प्रसंस्करण विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना देश में खाद्य सुरक्षा और आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी।
भारत-अफ्रीका संबंधों के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में, भारत-अफ्रीका संबंध दृढ़ता से मजबूत हुए हैं। भारत से 35 से अधिक उच्च स्तरीय यात्राओं और अफ्रीका से 100 से अधिक समान यात्राएं दर्ज की गई हैं। उन्होंने कहा कि उपनिवेश-विरोधी एकजुटता, प्रवासी सद्भावना और ‘साउथ-साउथ’ सहयोग के सिद्धांत भी भारत और अफ्रीकी महाद्वीप के बीच साझेदारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि विकास साझेदारी भारत की अफ्रीका नीति का एक प्रमुख स्तंभ है। सामाजिक-आर्थिक विकास की यात्रा में एक विश्वसनीय भागीदार होने के नाते, भारत ने अफ्रीका को 12.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का रियायती ऋण और विभिन्न क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के लिए 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता दी है।
भारत की जी20 अध्यक्षता के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वैश्विक दक्षिण और विकासशील देशों की आवाज और चिंताओं को आगे लाने तथा भारत-अफ्रीका संबंधों को मजबूत करने में एक और अध्याय लिखने में भारत की भूमिका को देखते हुए भारत की जी20 अध्यक्षता बहुत अनूठी है।
उन्होंने कहा कि गैबॉन और अन्य अफ्रीकी देशों को भारत की विकास यात्रा तथा आकांक्षी जिलों के कार्यक्रमों जैसी हालिया पहलों से बहुत कुछ सीखना है।
उन्होंने शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्रों में भारत-अफ्रीका के लंबे समय से चले आ रहे संबंधों के बारे में भी बात की।