सुभाष चौधरी /The Public World
नई दिल्ली ; कर्नाटक के मतदाताओं ने अपने 38 साल की परंपरा को बरकरार रखते हुए एक बार फिर विधानसभा चुनाव में सरकार बदलने का निर्णय लिया. कांग्रेस पार्टी कुल 137 सीटों के साथ भारी बहुमत से सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच गई जबकि भारतीय जनता पार्टी को कुल 65 सीटें मिली और जनता ने विपक्ष में बैठने का फैसला सुना दिया. इसके साथ ही अक्सर प्रदेश की सत्ता में किंग मेकर की भूमिका निभाने वाली जेडीएस के आधार भी खिसके लेकिन 19 सीटों पर सफलता हासिल कर अपनी पहचान बनाए रखने में कामयाब रही. इस चुनाव में अन्य के खाते में 3 सीटें गई. कुल मिलाकर इस चुनाव में कर्नाटक की जनता ने स्पष्ट जनादेश देकर कांग्रेस को सत्ता में बैठने का एक मजबूत मौका दिया जबकि भाजपा को उनके किए पर लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग करते हुए बड़ा झटका दिया. इसका असर देश में कुछ ही माह में होने वाले कई बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है.
कर्नाटक विधानसभा की कुल 224 सीटों पर गत 10 मई को मतदान कराया गया था जिसका परिणाम आज 13 मई को घोषित किया गया. इस चुनाव में कुल 2615 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे. इनमें कई पूर्व मुख्यमंत्री तो दर्जनों कैबिनेट मंत्री व पूर्व मंत्री एवं उनके बेटे व रिश्तेदार भी चुनावी मैदान में भाग्य आजमाने उतरे थे. कुछ को कामयाबी मिली तो कुछ को जनता ने नकार दिया. इस चुनाव में निर्वाचन आयोग के अनुसार 5.13 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले. कुल 73.19 प्रतिशत मतदान हुए जो 1957 के विधानसभा चुनाव के बाद सबसे अधिक मतदान होने का रिकॉर्ड है.
आज कराई गई मतगणना के अनुसार कांग्रेस पार्टी को कुल 42.9% मत हासिल हुए जबकि भारतीय जनता पार्टी को 35.9% वोट मिले. अगर बात की जाए जनता दल एस की तो उन्हें 13.3% मत हासिल हुए. इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि अगर चुनावी मैदान में कांग्रेस पार्टी और जेडीएस का चुनाव पूर्व गठबंधन होता तो भारतीय जनता पार्टी को और भी करारी हार का सामना करना पड़ सकता था.
निर्वाचन आयोग की ओर से विधानसभा क्षेत्र वाईज जारी आंकड़े बताते हैं कि अधिकतर सीटों पर कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को 5000 से लेकर 40000 तक वोट के अंतर से हराया है. कुछ क्षेत्र ऐसे भी देखने को मिले जिसमें हार जीत का फैसला बहुत कम रहा . यानी 200 से 300 वोटों का अंतर भी देखने को मिला. कुमार स्वामी की पार्टी जनता दल एस ने भी कई जगह बड़े मार्जिन वाली जीत हासिल की है. कुछ स्थानों पर क्षेत्रीय पार्टी ने कांग्रेस के उम्मीदवार को भी हराया है तो कुछ स्थानों पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को पराजित किया है.