गुरूग्राम : वैश्य धर्मशाला सैक्टर चार के सभागार में गत तीन दिनों से जारी अग्र भागवत के अन्तिम दिन आज भगवान अग्रसैन का राज्याभिषेक और सभी गोत्रों के मंचन के साथ ही कथा का समापन हो गया । कथा के समापन पर विभिन्न प्रश्नोत्तरी कर महिलाओं और युवाओं को मंच से पुरस्कृत भी किया गया .
वैश्य समाज सेक्टर 4 एवं 7 गुरुग्राम द्वारा वैश्य समाज धर्मशाला सेक्टर 4 में तीन दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आज तीसरा और अंतिम दिवस था । आज की कथा में महामंडलेश्वर परम पूज्य आचार्य नर्मदा शंकर गुरुजी ने बताया कि भगवान अग्रसेन महाराज जी का अग्रोहा में बहुत विशाल, संपन्न और शक्तिशाली राज्य था वहां हर निवासी खुशहाल और संपन्नता था। महाराजा अग्रसेन सूर्य कुल क्षत्रिय वंश के थे । महाराजा अग्रसेन के 18 पुत्र और एक पुत्री थी ।
उन्होंने अट्ठारह विशाल यज्ञ किए और हर एक यज्ञ को एक ऋषि द्वारा संपूर्ण किया गया । उन 18 ऋषि के नाम पर अग्र वंश के आगे चलकर 18 गोत्र बने । उस समय की प्रथा के अनुसार यज्ञ में पशु बलि दी जाती थी जब अग्रसेन जी ने अठारहवें यज्ञ में उन्होंने बली में दिए जाने वाले घोड़े की दशा को देखा तो वह विचलित हो गए और उन्होंने यज्ञ में बलि देने से मना कर दिया । ऋषियों ने कहा की राजन यज्ञ को अधूरा छोड़कर ठीक नहीं है लेकिन महाराज किसी भी हालात में पशु बलि देने को तैयार नहीं हुए तब तब ऋषियों ने एक सुझाव दिया की वैश्य वंश में बिना बली के यज्ञ पूर्ण किया जा सकता है । यह सुनकर महाराज ने कहा कि मैं क्षत्रिय वंश छोड़कर वैश्य वंश स्वीकार करने को तैयार हूं, लेकिन मैं बलि नहीं दूँगा ।
इस प्रकार दूध दही और नारियल की आहुति देकर यज्ञ संपूर्ण किया गया । उसके बाद महाराज अग्रसेन की संतान वैश्य वंशी कहलाई ।आज की कथा में अट्ठारह गौत्र के स्वरूप 18 बच्चों की सुंदर झांकी प्रस्तुत की गई । आज एक प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम भी रखा गया जिसमें श्रोताओं से श्री अग्र भागवत संबंधित प्रश्न पूछे गए और सही उत्तर देने वालों को प्रोत्साहन पुरस्कार दिए गए । आज की कथा में गौ सेवा आयोग के पूर्व चेयरमैन श्री भानी राम मंगला उपस्थित रहे । उन्होंने वैश्य समाज में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से खत्म करने का आह्वान किया । उन्होंने कहा कि हमारे समाज में एक प्रीवेडिंग नाम की कुप्रथा धीरे-धीरे पैर जमा रही है इसे पूर्णतया बंद करना चाहिए बच्चों की समय पर शादी करनी चाहिए और वैवाहिक आयोजन रात्रि के बजाय दिन में करने चाहिए ।
इस अवसर पर रामनिवास मंगला, आर डी गर्ग, नरेंद्र कुमार व्यास एवं ओम प्रकाश बंसल कोटपूतली से सोहना से सतीश डॉक्टर महेश गोयल वह उनकी पूरी टीम तथा हंसराज गुप्ता, नितानंद गर्ग, देवेंद्र गुप्ता दवाई वाले, नरेश अग्रवाल दीपमाला, दिनेश गर्ग, अनिल गोयल, सुभाष सिंगला पार्षद, अनिल बंसल, अरुण अग्रवाल, महेंद्र लाहौरिया, डॉ मनदीप गोयल ,आर सी गुप्ता सत प्रकाश मंगला, प्रेमचंद गुप्ता पीयूष सिंघल तथा अनेक गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे .
आज की व्यवस्था में राम बिलास सिंगला, सुंदर दास अग्रवाल, विजय अग्रवाल, नरेश चंद्र गुप्ता, रमेश सिंघल, विजेंद्र गोयल, त्रिलोक अग्रवाल, राम किशन गोयल, राजेश अग्रवाल योगेश गुप्ता, सुरेश गुप्ता, गुप्ता हरीश गुप्ता, युवा अग्रवाल सम्मेलन गुरूग्राम जिला अध्यक्ष राजीव मित्तल, महामंञी अमित गुप्ता, बी एल अग्रवाल, प्रवीण अग्रवाल आदि का विशेष योगदान रहा।
अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के मनोज गुड़ियानी ने अपने सम्बोधन में वैश्य समाज सैक्टर 4, गुरुग्राम की इस शुभ और भव्य आयोजन के लिए भूरि भूरि प्रशंसा की और लोगों से अनुरोध किया कि भगवान अग्रसेन जी के सिद्धान्तों से अगली पीढ़ी को परिचित करवाएं तथा स्वयं भी उनके द्वारा दिखाये मार्ग पर चलें, इसी में मानव जाति का कल्याण है।
अंत मे समाज के प्रधान और सभी पदाधिकारियों ने श्री अग्र भागवत जी की भावपूर्ण विदाई की और सभी ब्राह्मणों का समुचित सम्मान व दान दक्षिणा देकर विदा किया।
कथा के तीनों दिन सभी भक्तों के लिए भोजन प्रशाद की उत्तम व्यवस्था वैश्य समाज की ओर से की गईं थी।