जमशेदपुर: धार्मिक महोत्सव करमा में शरीक होने आऐं बिहार क मुख्यमंत्री नीतिश कुमार आज शनिवार को बिष्टुपुर के गोपाल मैदान में राजनीति करते नजर आए. रघुवर दास के ही गढ़ जमशेदपुर में उन्होंने शराब बंदी के मसले पर झारखंड सरकार को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि कई बार बड़े भाई होने के नाते मैंने झारखंड के सीएम रघुवर दास को शराबबंदी के लिए प्रेरित किया हैं.पर वे इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से लेते हैं. विकास के कदम पर बिहार जैसा झारखंड को होना चाहिए. गोपाल मैदान में आयोजित करमा महोत्सव कार्यक्रम से पहले नीतिश कुमार ने सर्किट हाउस में पत्रकारों को संबोधित किया.
बिहार के सीएम ने एनएच 33 की हालत पर भी झारखंड सरकार को खरी खरी सुनाई. उन्होंने कहा सड़क का खास्ताहाल है, फोर लेन सड़क निर्माण में भले देर हो रही है, पर सड़क कि मरम्मत पर सरकार को विचार करना चाहिए. गौरतलब है कि इसी मार्ग से आज नीतीश कुमार रांची से जमशेदपुर पहुंचे हैं।
नीतीश कुमार के जमशेदपुर पहुंचने पर झारखंड सरकार के मंत्री सरयू राय ने सर्किट हाउस में उनसे मुलाकात की. दोनों नेता कुछ देर तक बात करते दिखे. इस मुलाकात पर नीतिश कुमार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जयप्रकाश आन्दोलन के समय से हमारी मित्रता रही है. लिहाजा इस पर राजनीति नही होनी चाहिये. और इसका कोई राजनीतिक अर्थ भी नहीं निकाला जाए.
बिहार के मुख्यमंत्री शहाबुद्दीन की रिहाई के मसले पर यह कहते हुए बात को टाल गए कि कानून अपना काम कर रहा है.मैं कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. जमशेदपुर आने से पूर्व रांची पहुंचने पर भी नीतीश कुमार राजद के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन के उस बयान पर प्रतिक्रिया देने से बचते दिखे जिसमें शहाबुद्दीन ने नीतीश कुमार को संयोगवश बना सीएम कहते हुए लालू प्रसाद को अपना नेता बताया. पत्रकारों ने जब यह सवाल बिहार के सीएम नीतीश कुमार से पूछा तो उन्होंने कहा कि यह सब कोई प्रतिक्रिया की बात नहीं है और यह सब महत्वहीन बातें है. कुर्मी सेना द्वारा आयोजित करमा महोत्सव कार्यक्रम में सांसद विद्युत वरण महतों अर्जुन मुंडा और काफी संख्या में स्थानीय लोगों ने भाग लिया.
सिवान के पूर्व सांसद व बाहुबली मो. शहाबुद्दीन शनिवार को जेल से जमानत पर रिहा हो गए। जेल से बाहर आने के बाद दिए उनके पहले राजनीतिक बयान से विवाद खड़ा हो गया है। सिवान के पूर्व सांसद व राजद नेता मो. शहाबुद्दीन शनिवार की सुबह भागलपुर जेल से जमानत पर रिहा हुए। जेल से बाहर निकलने पर अपने पहले राजनीतिक बयान में उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को अपना असली नेता बताते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को परिस्थितियों का नेता करार दिया।उन्होंने कहा कि वे सुशील मोदी को गंभीरता से नहीं लेते। शहाबुद्दीन के इन बयानों के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है।