ढाई महीने से अधिक समय तक फाइल दबाकर रखने का आरोप
चंडीगढ़, 16 दिसम्बर: ऑटो अपील सिस्टम (ए.ए.एस.) हरियाणा में सुशासन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस समय प्रदेश में 640 सेवाओं व योजनाओं को हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 के तहत अधिसूचित किया गया है। इससे आमजन को समयबद्ध ढंग से कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलने लगा है।
इसी क्रम में, जिला रोहतक निवासी अपीलकर्ता सुश्री सविता की ओर से आयोग में स्वतः अपील दायर हो गई। अपीलकर्ता ने दिसंबर, 2021 में ‘मुख्यमंत्री किसान एवं खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना’ के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे यह कहते हुए लाभ नहीं दिया गया कि मामले में कुछ कानूनी कार्रवाई निहित है।
आयोग ने मामले का तत्काल संज्ञान लिया और विस्तृत जांच के बाद यह पाया गया कि हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के सचिव द्वारा अतिरिक्त जिला अटार्नी को गलत तरीके से फाइल भेजी गई थी, क्योंकि मामले में कोई कानूनी मुद्दा निहित नहीं था।
‘मुख्यमंत्री किसान एवं खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना’ हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा, कृषि कार्यों के दौरान दुर्घटना का शिकार हुए किसानों व मजदूरों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में शुरू की गई थी।
योजना के तहत विभिन्न परिस्थितियों में वित्तीय सहायता की सीमा मृत्यु के मामले में 5 लाख रुपये, रीढ़ की हड्डी टूटने के कारण स्थायी अशक्तता के मामले में ढाई लाख रुपये, दो अंगों के विच्छेदन या स्थायी गंभीर चोट के मामले में 1,87,500 रुपये, एक अंग के विच्छेदन या स्थायी गंभीर चोट जैसे कि चार अंगुलियों के विच्छेदन के मामले में 1,25,000 रुपये, उंगली के पूर्ण विच्छेदन पर 75,000 रुपये तथा आंशिक विच्छेदन के मामले में 37,500 रुपये की राशि देने का प्रावधान है।
ऑटो अपील सिस्टम, अधिसूचित सेवा के लिए आयोग द्वारा निर्धारित समय-सीमा का उल्लंघन होते ही नागरिक की ओर से एफ.जी.आर.ए. को स्वतः अपील दायर कर देता है। 30 कार्य दिवसों के भीतर समाधान न होने पर बाद में अपील एस.जी.आर.ए. को भेेज दी जाती है।
जब एफ.जी.आर.ए. और एस.जी.आर.ए. द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई तो आयोग ने विस्तृत जांच की और यह पाया गया कि एच.एस.ए.एम.बी. के सचिव द्वारा फाइल गलत तरीके से अतिरिक्त जिला अटार्नी श्री आशीष शर्मा को भेजी गई थी क्योंकि मामले में कोई कानूनी मुद्दा शामिल नहीं था। सचिव, एच.एस.ए.एम.बी., रोहतक के कार्यालय में लिपिक गुरदीप ने फाइल को ढाई महीने तक अपने पास लंबित रखा। उन्हें एक नोटिस जारी किया गया था परंतु सुनवाई के दौरान वे उनके कारण हुई देरी के लिए उचित कारण नहीं बता सके। इस प्रकार, आयोग ने हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(एच) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए क्लर्क गुरदीप पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया।