नई दिल्ली : भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने आज कहा कि वह सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से पेश जरूर हुए थे, लेकिन इसका कारण “अपरिहार्य” था क्योंकि इस मामले में वह कभी भी मुख्य वकील नहीं थे. एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि “यह सच है कि मैं अमित शाह की तरफ से पेश हुआ, लेकिन यह इसलिए अप्रासंगिक था क्योंकि मुख्य वकील राम जेठमलानी थे.”
न्यायमूर्ति ललित ने यह भी बताया कि मई 2014 में सरकार बदल गई, जबकि उन्हें पहली बार अप्रैल में शाह का प्रतिनिधित्व करने के लिए कहा गया था, जबकि पहले की सरकार सत्ता में थी. उन्होंने कहा, “प्रक्रिया व्यवस्था बदलने से काफी पहले शुरू हो गई थी.” उन्होंने कहा, “मुझे इस मामले में जानकारी दी गई थी, लेकिन मैं कभी भी मुख्य वकील नहीं रहा. मैं शाह के सह-आरोपियों की ओर से पेश हुआ,और वो भी मुख्य मामले में नहीं. ”
अगस्त 2014 में न्यायाधीश के रूप में अपनी पदोन्नति से पहले, न्यायमूर्ति ललित कई हाई-प्रोफाइल और विवादास्पद मामलों में वकील थे. उन्होंने गुजरात में सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ हत्याओं के मामले में अमित शाह का प्रतिनिधित्व किया. यूयू ललित उस समय गुजरात के गृह मंत्री अमित शाह के वकील थे, जब मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सोहराबुद्दीन शेख, उनकी पत्नी कौसरबी और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ों को लेकर सवालों के घेरे में आ गई थी.
2014 में पीएम मोदी के नेतृत्व में नवगठित भाजपा सरकार द्वारा न्यायपालिका के लिए पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम की सिफारिश को वापस भेजने के बाद न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति ललित की पदोन्नति जांच के दायरे में आ गई थी. यूयू ललित को कथित तौर पर सुब्रमण्यम की जगह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसका नाम भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया गया था.