-ड्रॉप आउट दर को कम करने के लिए सरकार बनाएगी ड्रॉप आउट नीति
चंडीगढ़, 23 अक्तूबर : हरियाणा सरकार ने बच्चों को शिक्षा देने से लेकर उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के लिए एक नया मैकेनिज्म तैयार किया है। इसके तहत परिवार पहचान पत्र में एकत्रित नागरिकों के डाटा को आयु वर्ग के अनुसार 6 वर्गों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक वर्ग का जिम्मा एक विभाग को सौंपा गया है। प्रत्येक विभाग आयु वर्ग के अनुसार उसकी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार इत्यादि सभी योजनाओं और सेवाओं का लाभ पहुंचाने के साथ-साथ इनका संपूर्ण रिकॉर्ड भी रखेगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल का मानना है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार उपलब्ध करवाना किसी भी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ – साथ उसका नैतिक दायित्व भी होता है। इसी विज़न के साथ राज्य सरकार ने एक नई कार्य योजना बनाई है, जिसके तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, स्वाभिमान और स्वावलंबन पर जोर देते हुए प्रत्येक नागरिक का सर्वांगीण विकास व कल्याण सुनिश्चित किया जाएगा।
महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपा 6 साल तक की आयु के बच्चों का जिम्मा
कार्य योजना के अनुसार 6 साल तक की आयु के बच्चों का जिम्मा महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपा गया है। विभाग इन बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और पोषण पर विशेष ध्यान रखेगा। साथ ही, विभाग हर बच्चे की ट्रैकिंग भी रखेगा कि वह बच्चा 6 साल तक की आयु तक घर पर, आंगनवाड़ी में या स्कूल में जा रहा है और उसे जरूरी पोषक आहार उपलब्ध हो रहा है या नहीं। इतना ही नहीं, राज्य सरकार बच्चों की डे-केयर के लिए क्रैच स्थापित करने पर भी लगातार जोर दे रही है।
बच्चों को यदि शुरुआत में ही अच्छा पोषण और शिक्षा मिलेगी तो उसकी बुनियाद मजबूत बनेगी और वे जीवन में सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेंगे।
ड्रॉप आउट दर को कम करने के लिए राज्य सरकार लेकर आएगी ड्रॉपआउट नीति
प्रारंभिक शिक्षा जितनी महत्वपूर्ण है, उससे भी कई अधिक स्कूली शिक्षा का महत्व है। इसलिए कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, इस विजन के साथ अब स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 6 साल से 18 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चों की देखभाल की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के निर्देशानुसार स्कूल शिक्षा विभाग ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए ड्रॉपआउट नीति तैयार कर रहा है, जिसके तहत विभाग हर बच्चे को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की विशेष ट्रैकिंग रखेगा, ताकि ड्रॉप आउट दर को कम किया जा सके। विभाग के पास हर बच्चे का डाटा रहेगा कि वह स्कूल या आईटीआई या अन्य किसी संस्थाान में शिक्षा ग्रहण कर रहा है या नहीं।
इस रणनीति से राज्य सरकार को प्रत्येक बच्चे के बारे में संपूर्ण जानकारी होगी और यदि किसी कारणवश कोई बच्चा शिक्षण संस्थान से ड्रॉपआउट होता है तो सरकार उस बच्चे को वापिस शिक्षण संस्थान में लाने के लिए प्रयास करेगी।
उच्चतर शिक्षा और रोजगार विभाग संभालेगा युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया करवाने की कमान
शिक्षा ग्रहण करने के बाद युवाओं के सामने रोजगार की एक बड़ी समस्या होती है। इस दिशा में युवाओं की मदद के लिए राज्य सरकार ने अब विभागों को जिम्मेवारी सौंपी है। 18 साल से 24 साल आयु वर्ग तक के बच्चों का जिम्मा उच्चतर शिक्षा विभाग और 25 साल से अधिक आयु वर्ग का जिम्मा रोजगार विभाग को सौंपा गया है। ये विभाग युवाओं के रोजगार के साथ – साथ उनके कौशल विकास पर भी जोर देंगे।
शिक्षा के साथ-साथ कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके विभाग युवाओं को रोजगारपरक तो बनाएंगे ही, वहीं औद्योगिक इकाइयों के साथ संपर्क स्थापित कर युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध करवाने में भी समन्वयक बनेंगे।
इन सभी गतिविधियों के लिए परिवार पहचान पत्र ऑथोरिटी द्वारा इन विभागों को हर माह डाटा प्रेषित किया जाएगा। विभाग अपने स्तर पर यह गतिविधियां अमल में लाएगा। परिवार पहचान पत्र पोर्टल पर 70 लाख परिवारों और 2.80 करोड़ सदस्यों का डाटा अपडेट हो चुका है। अधिकतम परिवारों का जाति, जन्म तिथि, आय का सत्यापन पूरा किया जा चुका है।