सुभाष चौधरी /मुख्य संपादक
नई दिल्ली: संभावना के अनुरूप द्रोपदी मुर्मू भारत की 15 वीं राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित घोषित की गई है. श्रीमती मुर्मू ने अपने प्रतिद्वंद्वी विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को जबरदस्त अंतर से हराने का इतिहास रचा है. राज्यसभा के महासचिव की ओर से उन्हें निर्वाचित घोषित किए जाने के बाद श्रीमती मुर्मू भारत की पहली आदिवासी और आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनेंगी. आरम्भ से ही चुनावी आंकड़े उनके पक्ष में थे इसलिए उनका देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए चुना जाना लगभग तय था. उन्हें भाजपा नीत एनडीए गठबंधन के साथ-साथ कई विपक्षी दलों का भरपूर समर्थन मिलने के कारण 64 फ़ीसदी वोट उनके पक्ष में गया जिससे उनकी जीत शानदार बन गई।
राष्ट्रपति चुनाव में द्रोपदी मुर्मू ने कुल 676803 मत हासिल किए जो कुल वोट का 64 .03 प्रतिशत है। उनके प्रतिद्वंदी विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को कुल 380177 वोट मिले हैं जो कुल वोट का 36% है।
राष्ट्रपति चुनाव का इतिहास खंगालने से पता चलता है कि भारत में इस पद के लिए हुए चुनाव में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के नाम दर्ज है। डॉ राजेंद्र प्रसाद लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति पद पर चुने गए थे . उन्होंने रिकॉर्ड 459698 वोट हासिल कर इस पद पर कब्जा जमाया था . इस चुनाव में उनके खिलाफ नागेंद्र नारायणदास और चौधरी हरी राम सामने थे।
श्री दास को करीब 2000 वोट और चौधरी हरिराम को 2600 वोट मिले थे जबकि उक्त चुनाव में कुल 464370 मत पड़े थे। कुल डाले गए मतों की संख्या और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के नाम फर्स्ट चॉइस के रूप में पड़े मतों की संख्या की तुलना करने से यह स्पष्ट होता है कि वह चुनाव भारत के इतिहास में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बनाने वाला चुनाव था . जो प्रतिशत के हिसाब से सर्वाधिक है। इस लिहाज से यह कहना सही होगा कि राष्ट्रपति चुनाव में सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकॉर्ड देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के नाम ही दर्ज है. जिस आंकड़े को अब तक कोई भी उम्मीदवार पीछे नहीं छोड़ पाया है।
डॉ राजेंद्र प्रसाद के बाद तीसरी बार राष्ट्रपति का चुनाव 1962 में कराया गया था. इस चुनाव में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दूसरी सबसे बड़ी जीत हासिल की थी. उन्हें 553067 वोट मिले थे। डॉक्टर राधाकृष्णन के खिलाफ चौधरी हरिराम चुनावी मैदान में थे जिन्हें केवल 6000 वोट ही मिले थे. जबकि तीसरे उम्मीदवार यमुना प्रसाद त्रिशूलिया केवल 3500 वोट ही हासिल कर पाए थे जाहिर है डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी बड़े अंतर से राष्ट्रपति चुने गए थे।
वर्ष 1997 में राष्ट्रपति पद के लिए कराया गया चुनाव भी अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है. इस वर्ष कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के आर नारायणन को 956290 वोट मिले थे . उन्हें इतनी बड़ी एकतरफा जीत इसलिए हासिल हुई थी क्योंकि विपक्ष ने भी अपना पूरा समर्थन उनको दे दिया था. हालांकि उनके खिलाफ मैदान में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सेशन थे. श्री सेशन को केवल 50000 वोट ही मिल पाए थे।
वर्ष 2002 में भारत के राष्ट्रपति पद के लिए कराए गए चुनाव भी इस लिहाज से ऐतिहासिक रहा है . इस चुनाव में देश के अति प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के खिलाफ विपक्ष की ओर से डॉ लक्ष्मी सहगल को उतारा गया था. डॉ कलाम को सत्ता पक्ष के साथ-साथ विरोधी दलों का भी समर्थन हासिल था. लेकिन वामपंथी दलों ने लक्ष्मी सहगल को अपना उम्मीदवार बनाकर विरोध जताया था.
इस चुनाव में डॉक्टर कलाम ने जीत का बड़ा मार्जिन हासिल कर रिकॉर्ड बनाया था. उन्हें 922884 वोट मिले थे जबकि सहगल को केवल 107366 वोट ही मिल पाए थे. इस चुनाव में 1030250 वोट पड़े थे। चुनावी आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि यह चुनाव भी राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनावी इतिहास में बड़े मार्जिन वाला चुनाव रहा है।