प्रवासी हरियाणा दिवस के दूसरे दिन का विशेष सत्र
गुरूग्राम: हरियाणा सरकार में शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि शिक्षा, संस्कार व संस्कृति की धरती हरियाणा आपको सुखद ओद्यौगिक वातावरण मुहैया कराते हुए प्रदेश सरकार स्वागत करती है। बेहतर वातावरण के साथ सुरक्षित ढंग से ओद्यौगिक निवेश करते हुए विकास में सहभागी बनें। शिक्षामंत्री बुधवार को प्रवासी हरियाणा दिवस के दूसरे दिन विशेष सत्र में बोल रहे थे।
शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि हरियाणा प्रदेश की इस पावन धरा पर प्रदेश सरकार की ओर से उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ वातावरण दिया जा रहा है जिसमें उद्यमी स्वयं को सुरक्षित समझते हुए निवेशक बनें। उन्होंने उपस्थित प्रवासी उद्यमियों को लोहड़ी व मकर संक्रांति की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आप देश व प्रदेश के मालिक हैं और ये पावन धरती आपका निवेशक के रूप में स्वागत करती है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश विकासात्मक स्वरूप की सोच के साथ ही संस्कारों का समावेश करने वाली है, ऐसे में जहां पूर्व सरकारों के कार्यकाल में उद्यमी पलायन कर रहे थे वहीं अब इस धरा पर बेहतर माहौल मिलने के कारण निरंतर प्रदेश में उद्योग बढ़ रहे हैं। उन्होंने प्रवासी हरियाणा वासियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि कोई देश हथियार बनाता है तो कोई जहाज केवल हमारी धरा ही ऐसी है जो संस्कारों के साथ ही संस्कृति का संदेश देते हुए संस्कारवान मनुष्य बनाती है। उन्होंने बताया कि सबसे सुखद वातावरण तैयार करते हुए ओद्यौगिक निवेशकों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
शिक्षा में गीता को समाहित करते हुए गीता का संदेश जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है और इतना ही नहीं स्वर्ण जयंती वर्ष में इस बार कुरूक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव मनाते हुए हमनें हर आमजन को गीता का संदेश दिया है। एफआईआई के महासचिव दीपक जैन ने शिक्षामंत्री सहित अन्य उद्यमियों का स्वागत करते हुए कहा कि एक बेहतर मंच उद्यमियों को सरकार की ओर से दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आप उद्योग लगाएं सरकार की ओर से निश्चित तौर पर उद्यमियों को पूरा सहयोग दिया जाएगा। उन्होंने इंवेस्टर मीट व प्रवासी हरियाणा दिवस के आयोजन को सार्थक कदम बताते हुए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का आभार जताया।
इस मौके पर एसीएस एस.एस.ढिल्लो, नेपाल से पूर्व मंत्री चंदा चौधरी, प्रवासी मनीष गुप्ता, सुनील हाली, सनम अरोड़ा, सुनील कौशल, किरण गुलिया, अनुराग सक्सेना, अशोक वर्मा, मोहन सिंह वर्मा सहित अन्य प्रवासियों ने अपने ओद्यौगिक स्वरूप के बारे में बेबाक राय रखी।
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