Agnipath Agitation : बिहार में युवाओं का उग्र प्रदर्शन : सेना में भर्ती की 4 साल वाली योजना पसंद नहीं आई

Font Size

-हजारों युवा सड़क और रेलवे ट्रैक पर उतरे, दर्जनों ट्रेनें ठप

-बक्सर, आरा , नवादा जैसे कई जिले में रेल रोको और पत्थरबाजी व आगजनी की घटनाएं

-रेलवे प्लेटफोर्म पर ही कसरत करने लगे सेना में जाने का सपना पाले युवा अभ्यर्थी

पटना : सेना में भर्ती के लिए केंद्र सरकार की 4 साल वाली अग्नीपथ योजना बिहार के युवाओं को पसंद नहीं आई. राज्य के कई जिले में छात्रों ने लगातार दूसरे दिन यानी गुरुवार को भी अपना आक्रोश प्रदर्शन जारी रखा. बुधवार की अपेक्षा गुरुवार को बिहार में सेना में भर्ती होने का सपना संजोए युवाओं ने बड़ी संख्या में सड़क पर उतर कर केंद्र सरकार के निर्णय के प्रति अपनी असहमति जताई. खबर है कि जहानाबाद, बक्सर, मुजफ्फरपुर, आरा और मुंगेर सहित कई जिले में युवाओं ने जमकर हंगामा किया. रेल रोकने की कोशिश की. रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया. युवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते दिखे जबकि स्टेशन के प्लेटफार्म पर ही अपनी कसरत कर विरोध जताने लगे। कई जगह रेलवे लाइन पर पत्थरबाजी करने की भी सूचना है. इस आंदोलन के उग्र रूप धारण करने को लेकर बिहार में पुलिस एहतियात बरत रही है. खबर के मुताबिक़ बिहार पुलिस की ओर से आरा जिला को छोड़ कर अभी तक किसी भी प्रकार का बल प्रयोग नहीं किया गया है।

Agnipath Agitation : बिहार में युवाओं का उग्र प्रदर्शन : सेना में भर्ती की 4 साल वाली योजना पसंद नहीं आई 2
उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मंगलवार यानी 14 जून को सेना में भर्ती की नई योजना अग्निपथ नाम से शुरू करने का ऐलान किया था. इसकी घोषणा देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के साथ विशेष पत्रकार वार्ता में की थी. सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों की ओर से इस योजना की मुक्त कंठ से तारीफ भी की गई थी. लेकिन लगता है बिहार के युवाओं को उनकी यह तारीफ पसंद नहीं आई. इस योजना को लेकर बिहार के युवाओं में अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है. उन्हें कई प्रकार की आशंकाओं ने परेशान कर दिया है. उनके दिलो-दिमाग पर अब अपना भविष्य अधर में लटका हुआ दिखने के कई सवाल छा गए हैं।

सेना में भर्ती के लिए सरकार की 4 साल वाली नई योजना के विरोध में बिहार के कई जिले में दूसरे दिन भी छात्रों ने अपना आक्रोश प्रकट किया. जहानाबाद में उग्र छात्रों ने पुलिस पर पत्थर भी चलाए. हालांकि पुलिस ने अभी बल का प्रयोग करने में सावधानी बरती. कुछ जगह पर पुलिस ने आंदोलनकारी छात्रों को खदेड़ने की कोशिश भी की. राज्य के आरा और बक्सर जिले में भी युवाओं ने जमकर बवाल काटा।

जहानाबाद में हंगामा कर रहे युवा प्लेटफार्म के सहारे कसरत करने लगे . सभी जमकर केंद्र सरकार विरोधी नारेबाजी भी कर रहे थे . छात्रों की संख्या प्लेटफार्म पर इतनी बढ़ गई कि उन्हें संभालना मुश्किल हो गया. हालांकि अब भारी पुलिस बल स्टेशन पर तैनात कर दिया गया है. लेकिन स्टेशन पहुंचने वाले यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।Agnipath Agitation : बिहार में युवाओं का उग्र प्रदर्शन : सेना में भर्ती की 4 साल वाली योजना पसंद नहीं आई 3

आरा जिले में भी आज युवाओं का प्रदर्शन देखने को मिला. यहां भी छात्रों का प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका है. छात्रों ने बड़ी संख्या में रेलवे ट्रैक पर ट्रेन रोकने की कोशिश की. युवाओं ने जमकर उत्पात मचाया .स्टेशन के आसपास कई दुकानों में तोड़फोड़ की भी सूचना है।

नवादा जिले में रेल ट्रैक जाम होने से क्यूल- गया रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन ठप हो गया है. बताया जाता है कि गया -हावड़ा एक्सप्रेस वारसलीगंज स्टेशन पर खड़ी थी. वहीं कई ट्रेनें विभिन्न स्टेशनों पर खड़ी दिखी. युवाओं ने ट्रैक पर ही टायर और लकड़ियों में आग लगा कर अपना विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया .पुलिस बल की तैनाती के बावजूद नवादा में रेलवे ट्रैक और सड़कों पर प्रदर्शन जारी है।

Agnipath Agitation : बिहार में युवाओं का उग्र प्रदर्शन : सेना में भर्ती की 4 साल वाली योजना पसंद नहीं आई 4
बक्सर जहां बुधवार को भी छात्रों ने प्रदर्शन किया था आज भी अप एंड डाउन ट्रेन रोक दी.  पटना दीनदयाल उपाध्याय रेल मार्ग को छात्रों ने पूरी तरह से जाम कर दिया है.  डुमराव बाजार में राज अस्पताल के पास भी सेना में भर्ती होने का सपना देखने वाले सैकड़ों युवाओं ने सड़क जाम कर दिया. बक्सर में जीआरपी की ओर से छात्रों को समझाने की कोशिश की गई लेकिन अब तक नाकाम रही।

दूसरी तरफ केंद्र सरकार के  विभिन्न मंत्रालयों की ओर से और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की ओर से 4 साल सेना में बिताने के बाद बाहर आने वाले युवाओं को अन्य नौकरियों में प्राथमिकता देने के वायदे की झड़ी लग गई है. एक तरफ केंद्रीय गृह मंत्री ने बुधवार को ही इस संबंध में केंद्रीय सुरक्षाबलों और असम राइफल्स में अग्निवीरों को प्राथमिकता देने संबंधी नीति का खुलासा किया तो दूसरी तरफ दूरसंचार विभाग ने भी वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक के बाद विभाग में होने वाली भर्ती में अग्नि वीरों को प्राथमिकता देने का ऐलान किया है.

इसी तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी राज्य में सभी प्रकार की नौकरियों एवं पुलिस में अग्निवीरों को प्राथमिकता देने का ऐलान किया है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 4 साल बाद सेना से बाहर आने वाले युवाओं को आश्वस्त करते हुए कहा है कि उनके लिए अन्य प्रकार की योजनाओं में भी प्राथमिकता देने का प्रावधान जल्द ही किया जाएगा।

गौरतलब बात यह है कि बिहार में जहां हजारों युवा सड़क और रेलवे ट्रैक पर अपना आक्रोश प्रदर्शन करने के लिए पिछले 2 दिनों से उतर चुके हैं उस राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से अब तक इस मामले को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. ना ही उनकी ओर से अग्निवीरों को राज्य सरकार की नौकरियों में किसी प्रकार की प्राथमिकता देने संबंधी कोई आश्वासन अब तक जारी किया गया है।

आंदोलन कर रहे युवा केंद्र सरकार से कई प्रकार के सवाल पूछ रहे हैं. एक तरफ उनके मन में सेना में पेंशन समाप्त करने की आशंका घर कर गई है तो दूसरी तरफ 4 साल बाद उनका भविष्य अधर में लटकने की चिंता सताने लगी है .युवाओं का कहना है कि जब 5 साल में देश के सांसद और मंत्रियों को पेंशन देने का प्रावधान किया गया है तो 4 साल तक अपनी जवानी देश के नाम चढ़ाने वाले युवाओं को सड़क पर कैसे छोड़ा जा सकता है .

अभ्यर्थी पूछ रहे हैं कि उनके लिए पेंशन का प्रावधान क्यों नहीं किया गया ? आंदोलनकारी युवा इस बात की शिकायत करते दिखे कि पिछले 2 वर्षों से फिजिकल और मेडिकल टेस्ट लेने के बावजूद लिखित परीक्षा आयोजित नहीं की गई है. लगातार कई बार एडमिट कार्ड जारी किए गए लेकिन कभी कोरोना और कभी प्रशासनिक अन्य बहाना बनाकर लिखित परीक्षा को टाला जाता रहा है . सभी अभ्यर्थी लिखित परीक्षा तत्काल आयोजित करने की मांग कर रहे हैं।

युवाओं का कहना है कि सेना में पहले के नियमों के आधार पर ही नियमित भर्ती की जानी चाहिए. सेना जैसे संवेदनशील संस्थान में कॉन्ट्रैक्ट अपॉइंटमेंट सही कदम नहीं है. इससे युवाओं का लगाव सेना के साथ नहीं होगा. क्योंकि उनके दिमाग में अपनी अल्पकालिक 4 साल की अवधि को व्यतीत करने का विचार हावी रहेगा . इससे उनका आत्मिक लगाव सेना के साथ नहीं हो सकता .ऐसे में लोग देश सेवा के प्रति समर्पित नहीं होंगे.  इससे देश को बड़ा नुकसान हो सकता है।

सेना भर्ती की इस नई योजना को लेकर देश में बहस जोरों पर छिड़ गई है. कई पूर्व सेना अधिकारी इस योजना के विरोध में हैं. उन्होंने भी युवाओं की तरह ही आशंका व्यक्त करनी शुरू कर दी है. उनका भी मानना है कि 4 साल की नियुक्ति के लिए आए युवाओं का समर्पण सेना के मूल सूत्र नाम, नमक और निशान के प्रति नहीं होगा.  इससे सेना में भर्ती हुए इस योजना के माध्यम से युवाओं में वह जज्बा भी देखने को नहीं मिलेगा जो नियमित भर्ती से आकर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं.  क्योंकि 4 साल की भर्ती वाले युवाओं को हमेशा अपने परिवार के भविष्य की चिंता सताती रहेगी।

You cannot copy content of this page