नई दिल्ली ; विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में डब्ल्यूटीओ सुधार पर विषयगत सत्र के दौरान जिनेवा में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री श्री पीयूष गोयल द्वारा दिए गए वक्तव्य का मूल पाठ इस प्रकार है:
“हम सभी सहमत हैं कि विश्व व्यापार संगठन का प्राथमिक उद्देश्य उस तंत्र के रूप में कार्य करना है जिसके माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सदस्यों, विशेष रूप से विकासशील देशों और अल्प विकसित देशों (एलडीसी) के आर्थिक विकास का समर्थन करने का साधन बन सकता है।
हमें विशेष रूप से अपीलीय निकाय में संकट के प्रति सुधार की जरूरतों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, जिसका कामकाज अधिक पारदर्शी और प्रभावी होना चाहिए, विश्व व्यापार संगठन में सुधार के लिए सुझावों की संख्या के परिणामस्वरूप संस्थागत संरचना में मौलिक परिवर्तन हो सकते हैं, जिससे विकासशील देशों के हितों के विरुद्ध प्रणाली के प्रतिकूल होने का जोखिम हो सकता है।
इसलिए, गैर-भेदभाव, पूर्वानुमेयता, पारदर्शिता के साथ-साथ सर्वसम्मति से निर्णय लेने की परंपरा और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में अंतर्निहित विकास को लेकर प्रतिबद्धता के सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण हैं।
ऐसे सभी सुधारों में, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बहुपक्षीय नियम बनाने की प्रक्रियाओं को न तो दरकिनार किया जाए और न ही कमजोर किया जाए।
विशेष एवं विभेदीय व्यवहार यानी स्पेशल एंड डिफरेंशियल ट्रीटमेंट (एसएंडडी) सभी विकासशील सदस्य देशों के लिए एक संधि-अंतर्निहित और गैर-मोलजोल का अधिकार है। विकासशील और विकसित सदस्य देशों के बीच की खाई दशकों में कम नहीं हुई है बल्कि वास्तव में कई क्षेत्रों में चौड़ी हुई है। इसलिए, एसएंडडी प्रावधान प्रासंगिक बने हुए हैं।
भारत एक सशक्त विश्व व्यापार संगठन के सुधारों और आधुनिकीकरण एजेंडे का पुरजोर समर्थन करता है जो संतुलित, समावेशी और वर्तमान बहुपक्षीय प्रणाली के मूल सिद्धांतों को संरक्षित करता है। हमें उरुग्वे दौर के समझौतों में निहित मौजूदा विषमताओं को दूर करने के लिए भी सहमत होना चाहिए।
अंत में, जैसा कि मैंने कई सदस्यों के विचारों को सुना है, मुझे लगता है कि हममें से अधिकांश यह सुझाव दे रहे हैं कि सुधार प्रक्रिया महापरिषद और उसके नियमित निकायों में होनी चाहिए, क्योंकि महापरिषद के पास मंत्रियों की ओर से कार्य करने का अधिकार है और विश्व व्यापार संगठन के मौजूदा निकायों के अधिकार को कम करने के उद्देश्य से सुधारों को लेकर चर्चा नहीं होनी चाहिए।”