सुभाष चौधरी /संपादक
नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार के 2 कैबिनेट मंत्रियों के भविष्य को लेकर राजनीतिक हलकों में कयास बाजी जोरों पर है. इनमें से एक भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी हैं तो दूसरी तरफ जनता दल यू कोटे से कैबिनेट मंत्री बने आरसीपी सिंह. दोनों ही मंत्रियों की राज्यसभा सदस्यता जुलाई में समाप्त हो रही है. लेकिन दोनों दलों ने इन्हें राज्यसभा सदस्यों के लिए होने वाले चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया. हालांकि दो और वरिष्ठ मंत्रियों का राज्यसभा कार्यकाल समाप्त हो रहा है. लेकिन उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने पुनः टिकट देकर सदन में वापस बुलाने की व्यवस्था कर दी. इनमें से एक केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण है जबकि दूसरे कॉमर्स एवं इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल है।
भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल को क्रमशः कर्नाटक और महाराष्ट्र से राज्यसभा के चुनाव के लिए उम्मीदवार तो घोषित कर दिया. लेकिन मुख्तार अब्बास नकवी को मैदान में नहीं उतारा गया. दूसरी तरफ जदयू कोटे से मंत्री बने आरसीपी सिंह को भी काफी गहमागहमी के बावजूद पार्टी के प्रमुख व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने टिकट नहीं दीया।
उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ाने पर विचार ?
ऐसे में दोनों मंत्रियों के राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलबाजी जोरों पर है. संसद के गलियारे में इस बात की चर्चा उफान पर है कि मुख्तार अब्बास नकवी को पार्टी संभवतया देश का उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही है. हालांकि पार्टी की ओर से अब तक ऐसा कोई पुख्ता संकेत नहीं दिया गया है. लेकिन पिछले कुछ दिनों में पार्टी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादित बयान से उपजे हालात के कारण मुस्लिम बहुल देशों को मजबूत सदेश देने का तर्क दिया जा रहा है।
वैसे पिछले 8 वर्षों का इतिहास यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा अपने फैसले से देश को चौकाते रहे हैं जबकि कयास बाजी करने वाले राजनीतिक पंडितों को धता बताते रहे हैं। इसलिए इस बात की संभावना थोड़ी कम दिखती है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी से संबंध रखने वाले जिस नेता का नाम किसी पद के लिए उछलता है वह हाशिए पर धकेल दिए जाते हैं।
इसलिए केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी जिनका राज्यसभा कार्यकाल 7 जुलाई को समाप्त हो रहा है का राजनीतिक भविष्य किस दिशा में जाएगा इसको लेकर अभी उहापोह की स्थिति बनी हुई है। हालांकि श्री नकवी संघ और पार्टी दोनों से बेहतर तालमेल रखते हैं . फिर भी उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं दिया जाना चौकाने वाला निर्णय है। पार्टी के साथ उनके लंबे लगाव को देखते हुए यह तो अवश्य कहा जा सकता है मुख्तार अब्बास नकवी से इतनी जल्दी पार्टी नेतृत्व का मोह भंग नहीं हो सकता।
इसलिए संभव है कि पार्टी उनके लिए कुछ अलग सोच रही है. इसका प्रकटीकरण अगले 1 से 2 सप्ताह में होने की उम्मीद है . अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर उन्हें मंत्री पद से हाथ धोना ही पड़ेगा।
भाजपा से नजदीकियों के कारण ही नीतीश कुमार नाराज
दूसरी तरफ अगर बात की जाए जनता दल यू नेता पूर्व नौकरशाह आरसीपी सिंह की तो पार्टी नेतृत्व ने उन्हें टिकट नहीं देकर उनकी बड़ी फजीहत कर दी है. बड़ी संख्या में बिहार में उनके समर्थकों में इस बात की पूरी उम्मीद थी कि नीतीश कुमार उन्हें पुनः राज्यसभा भेजेंगे और केंद्र में मंत्री बनाए रहेंगे। लेकिन हाल के कुछ दिनों में आरसीपी सिंह भाजपा नेतृत्व के कुछ ज्यादा ही करीब आ गए. इसकी रिपोर्टिंग जदयू नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बराबर मिलती रही।
समझा जाता है कि भाजपा से नजदीकियों के कारण ही नीतीश कुमार आरसीपी सिंह से नाराज चल रहे हैं. उनका यह राजनीतिक फार्मूला भी रहा है कि पार्टी में जब कोई उनसे अधिक ऊंचा कद हासिल करने की स्थिति में जाता है तो उसे बौना बना देते हैं। आरसीपी सिंह के टिकट पर निर्णय लेने को लेकर जदयू में जिस तरह घमासान देखने को मिला उससे तो यही लगता है कि 25 साल से भी अधिक समय तक दोनों के बीच रहे मधुर संबंध अब कमजोर हो गए हैं . आर सी पी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव रहे हैं. हालांकि टिकट की घोषणा होने से पूर्व अंतिम समय तक कैबिनेट मंत्री श्री सिंह मीडिया को आश्वस्त करते रहे कि उन्हें ही पुनः राज्यसभा भेजा जाएगा लेकिन उनकी मंशा पूरी नहीं हुई। नीतीश कुमार ने जदयू से इस बार खीरू महतो को प्रत्याशी बनाया गया है।
अगले 6 माह तक मंत्री बने रह सकते हैं
तकनीकी दृष्टि से दोनों ही कैबिनेट मंत्री राज्यसभा और लोकसभा में से किसी भी सदन का सदस्य नहीं रहते हुए भी अगले 6 माह तक मंत्री बने रह सकते हैं. लेकिन 6 माह के अंदर ही उन्हें किसी सदन का सदस्य बनना पड़ेगा . अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर होना ही पड़ेगा . अब देखने वाली बात यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दोनों ही मंत्रियों को अगले 6 माह तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहने की स्वीकृति देते हैं या नहीं ? इस पर ही बहुत कुछ निर्भर करेगा।
जहां तक मुख्तार अब्बास नकवी का मामला है तो यह भाजपा का अपना अंदरूनी मामला है. इसके संबंध में पार्टी की कोई ना कोई रणनीति अवश्य होगी. लेकिन जदयू कोटे से मंत्री बने आरसीपी सिंह को भाजपा की नजदीकियों के कारण ही अगर मझधार में डूबने की हालत बनेगी तो यह भाजपा से जुड़ने वाले अन्य नेताओं के लिए भी अच्छी खबर नहीं होगी. खबर है कि पटना में उनका सरकारी आवास भी वापस ले लिए गया है. संभावना इस बात की है कि भाजपा इस प्रकार का संकेत देने के बजाय आरसीपी सिंह के राजनीतिक भविष्य की चिंता अवश्य करेगी और उन्हें किसी ना किसी सांचे में फिट करने की कोशिश भी की जा सकती है।
राज्यसभा की 57 सीटें खाली हो रही हैं
उल्लेखनीय है कि राज्यसभा की 57 सीटें खाली हो रही हैं. इन सीटों को भरने के लिए चुनाव आयोग ने 41 उम्मीदवारों को पहले ही निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया है. क्योंकि वहां कोई दूसरे उम्मीदवार खड़े ही नहीं हुए . बाकी बची 4 राज्यों की 16 राज्यसभा सीटों के लिए आज मतदान कराए गए हैं। इसका असर देश के राष्ट्रपति पद के लिए जुलाई माह में होने वाले चुनाव पर भी पड़ता दिखेगा।