नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश की नवरत्न कंपनियों में से एक लाइफ इंश्योरेंस ऑफ इंडिया को आनन-फानन में बेचने का कारण जानना चाहा । उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार की लाभकारी उपक्रमों को मोदी सरकार फायर सेल में बेच रही है. पार्टी के मीडिया प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस ब्रीफिंग में एलआईसी को बेचने का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि इस कंपनी का अवमूल्यन कैसे हो गया ? उन्होंने कहा कि 2 माह के अंदर ही देश की सबसे बड़ी संस्था जिसमें 30 करोड़ से अधिक लोगों की पॉलिसी है कीमत कैसे कम हो गई ? उन्होंने कहा कि इसमें देश के 120 करोड़ लोगों का हिस्सा है जो उनके इस निर्णय से सीधे प्रभावित होंगे उनको केंद्र सरकार दोनों हाथों से बेरहमी से लूटा रही है।
कांग्रेस नेता ने पूछा कि आखिर 30 करोड़ लोगों के विश्वास को केंद्र सरकार इस तरह रौंदने पर क्यों तुली हुई है ? इसे वास्तविक मूल्य से कम कीमत में क्यों बेचना चाहती है ?
उन्होंने याद दिलाया कि एलआईसी का गठन देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु व सरदार बल्लभ भाई पटेल के द्वारा कांग्रेस शासनकाल में 1 सितंबर 1956 को किया गया था। यह इंश्योरेंस सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी है जो भारत सरकार की नवरत्नों में से एक है।
उन्होंने बताया कि 4 मई 2022 को अक्षय तृतीया की पूर्व संध्या पर एलआईसी में डिसइनवेस्टमेंट का आईपीओ प्रपोजल लाया गया । कांग्रेस नेता ने कहा कि हमें इसमें डिसइनवेस्टमेंट के प्रस्ताव से विरोध नहीं है। उन्होंने कहा कि इसकी लिस्टिंग के तौर तरीके, कम कीमत , और आई पी ओ की शर्तों से केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं।
सुरजेवाला ने बताया कि एलआईसी की कुल संपत्ति सितंबर 2021 तक 39 लाख 60 हजार करोड़ थी । यह अमेरिकी डॉलर 556 बिलियन के बराबर है जबकि एलआईसी का स्टॉक पोर्टफोलियो 50000 करोड़ है।
उन्होंने कहा कि एलआईसी के पास वर्तमान में 30 करोड पॉलिसी होल्डर हैं । साथ ही इसके इन्वेस्टमेंट से अप्रैल और सितंबर के बीच में इनकम 3 लाख 35000 करोड़ है। एलआईसी देश की 13 लाख 94000 परिवारों को रोजगार देती है. इनके अलावा 12 लाख 80000 एजेंट हैं जबकि 1 लाख 14000 कर्मचारी हैं। एलआईसी के देश में 3500 ऑफिस हैं . एलआईसी दुनिया की 10 वीं सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है.
कांग्रेस नेता ने नरेंद्र मोदी सरकार से इस संबंध में 4 सवाल पूछे . उन्होंने कहा कि एल आई सी की कीमत 12- 14 लाख करोड़ से दो माह में ही घट कर पर 6 लाख करोड़ कैसे हो गई ? उन्होंने कहा कि ज्यादातर एक्सपर्ट्स ने कहा है कि एलआईसी के शेयर बेहद अंडरवैल्यूड हैं।
उन्होंने कहा कि इस मेगा आईपीओ के लिए फरवरी 2022 में प्रॉस्पेक्टस दाखिल करते समय, एलआईसी विनिवेश का लक्ष्य एम्बेडेड मूल्य का 2.5 गुना था। अब EIC वैल्यूएशन को घटाकर एम्बेडेड वैल्यू का 1.1 गुना कर दिया गया है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि जनवरी-फरवरी 2022 से, एलआईसी के शेयर की कीमत को नीचे रखा गया है। लगभग 1100 रुपये/शेयर से जिसे सरकार ने कहा था कि वह अब 902-949 रुपये/शेयर के प्राइस बैंड में बेच सकेगी। सरकार ने खुद प्राइस बैंड में लगभग 150-200 रुपये प्रति शेयर की कमी की है। कई विशेषज्ञ यह कहने के लिए आगे आए हैं कि एम्बेडेड मूल्य में इस कमी और शेयर मूल्य की जोड़ी से सरकार को 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
फरवरी 2022 में नरेंद्र मोदी सरकार ने कंपनी में 5% हिस्सेदारी बेचकर 70,000 करोड़ रुपये लेने के लिए बड़े टिकट निवेशकों, पेंशन फंड, म्यूचुअल फंड, निवेश निगम आदि के लिए रोड शो आयोजित किया. अब 3.5% हिस्सेदारी बेच कर 21,000 करोड़ रुपये तक घटा दिया गया है।
कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि मोदी सरकार एलआईसी के प्रमुख सूचकांकों की अनदेखी कर रही है ? उच्च आरओई। कंपनी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर, कंपनी द्वारा अर्जित शुद्ध प्रीमियम, और भारत में इसकी बाजार हिस्सेदारी – ये चार भाजक हैं जब आप किसी कंपनी को महत्व देना शुरू करते हैं।
उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2021 में एलआईसी का आरओआई 82% था। यह दुनिया में सबसे ऊंचा है। यह दुनिया में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी का चार गुना है। वित्त वर्ष 16 से वित्त वर्ष 20 तक एलआईसी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर 5.1% थी। यह बीमा क्षेत्र में एलआईसी को दुनिया में तीसरे स्थान पर रखता है। वित्त वर्ष 20-21 में भारतीय बीमा बाजार में एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी 64 फीसदी थी।
अगला बीमा खिलाड़ी – एसबीआई लाइफ़ – की केवल 8% बाजार हिस्सेदारी है।
उन्होंने कहा कि प्रबंधन के तहत संपत्ति की बात करें तो एलआईसी दुनिया में छठा सबसे बड़ा है। इन संपत्तियों का कुल मूल्य 56 अरब अमेरिकी डॉलर है।मूल्यांकन पर पहुंचने में सरकार द्वारा इन प्रमुख सूचकांकों को कम आंकने का कारण अज्ञात है।
सुरजेवाला ने पूछा कि जब घरेलू और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल है तो सरकार एलआईसी को बेचने की कोशिश क्यों कर रही है? सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेश के प्रभारी सचिव ने हाल ही में कहा था कि सरकार उच्च आर्थिक अस्थिरता के कारण सभी सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश को अस्थायी रूप से रोक रही है। एलआईसी उस नियम का अपवाद क्यों है?